हमरी न मानों रंगरेजवा से पूँछो जिसने रंग दीना दुपट्टा मेरा : कहाँ बिला गया वो रंगरेज ?

How The Fluid Indian "Jaat Pratha" was changed into Alien / European Rigid Caste System

"मॉडर्न caste सिस्टम एक सनकी रेसिस्ट ब्रिटिश ऑफीसर H H RIESLEY की दें है जिसने 1901 में नाक की चौड़ाई के आधार पर "unfailing law of Caste" का एक सनकी व्यवस्था के तहत एक लिस्ट बनाई , जिसमे उसने नाक की चौड़ाई जितनी ज्यादा हो उसकी सामाजिक हैसियत उतनी नीचे होती हैं , इस फॉर्मूले के तहत सोशियल hierarchy के आधार पर जो लिस्ट बनाई वो आज भी जारी है और संविधान सम्मत है / यही भारत की ब्रेकिंग इंडिया फोर्सस का , और ईसाइयत मे धर्म परिवर्तन का आधार बना हुवा है /
ऐसा नहीं है कि भारत मे जात प्रथा थी ही नहीं / ये थी लेकिन उसका अर्थ था एक कुल या वंश , जिसके साथ कुलगौरव और एक भौगोलिक आधार के साथ साथ एक पेशा भी जुड़ा हुवा था /"
अब MA शेरिंग की 1872 की पुस्तक -"caste आंड ट्राइब्स of इंडिया " से उद्धृत उस प्रथा की रूपरेखा समझने की कोशिश करें ।

"MA SHERING शृंखला -5 " जात और जाति (Caste) में क्या अंतर है ?
"Caste and Tribes of India "
चॅप्टर xiii पेज- 345
Caste of weavers , thread spinners ,Boatmen नुनिया / लूनिया beldars Bhatigars
कटेरा या धुनिया
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रुई की धुनाई करने वाली एक caste है जिनको धुनिया कहा जाता है / ढेर सारे मुसलमान और हिन्दू इस व्यवसाय से जुड़े हुये हैं / रुई की धुनाई और सफाई के लिये जिस यंत्र का ये प्रयोग करते हैं , वो एक साधारण धनुष के समान होता है / जमीन पर उकडूं बैठकर ताज़े रूई के ढेर पर , जिसमें धूल और तिनके और अन्य गंदगी भरी होती है, बायें हाथ में धनुष पकड़कर और दाहिने हाँथ में लकड़ी के mallet से कटेरा लोग जब धनुष की रस्सी पर प्रहार करते हैं तो रूई के ढेर के उपरी सतह पर हलचल होने लगती है / और रूई के ढेर से ह्लके रेशे इस रस्सी से चिपक जाते हैं / ये प्रक्रिया लगातार जारी रहती है जिससे रूई की रूई की बढिया और सुन्दर धुनाई हो जाती है और सारी गंदगी अपने भार की वजह से रूई से अलग होकर जमीन में गिर जाती है / ये caste बनारस दोआब और अवध के पूर्वी जिलों मे पायी जाती है /

कोली या कोरी
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ये बुनकरों (weavers ) की caste है / इनकी पत्नियाँ भी इनके साथ साथ काम करती हैं और इनकी मदद करती हैं / ये समुदाय छोटा है और आगरा तथा प्रांत के पश्चिमी जिले मे पाया जाता है /

"कोली वैस राजपूत के सम्मानित वंशज है /"

नोट - शेरिंग ने 1872 मे #caste शब्द का प्रयोग किन अर्थों मे किया है , जिसमे एक #व्यवसाय में #हिन्दू और #मुसलमान सब सम्मिलित हैं /

और मॉडर्न caste सिस्टम जो Risley की 1901 की जनगणना की देन है , आज किन अर्थों में प्रयुक्त होता है , आप स्वयं देखें / कोली कैसे जो कभी एक संम्‍मानित क्षत्रिय व्यवसायी थे , जब सारे व्यवसाय नष्ट हो गये तो , शेडुलेड़ caste और OBC में लिस्टेड हो जाते है , आप स्वयम् देखें / आभाषी दुनिया के मित्र श्रीराज कोली ने स्वयं यह बात स्वीकार किया है ,की उनके वंशज कहते हैं कि वे क्षत्रिय थे / आपको ये समाज का विखंडन और बंटवारा समझ मे आ रहा है न ?

"MA SHERING शृंखला -6
"Caste and Tribes of India "
चॅप्टर xiii पेज- 346

तांती
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बुनकरों की एक कॅस्ट , जो , सिल्क का किनारा (बॉर्डर) aur भांती भांती प्रकार के धातु बनाते हैं / ये किंकबाब या सोने चांडी से मढ़े हुये महन्गी ड्रेस , जिसमें इन्हीं महन्गी धातुओं की embroidary हुई होती हैं , बनाते हैं / बताया जाता है कि ये गुजरात से आये हुये हैं / बनारस में इस ट्राइब का मात्र एक परिवार है जो धनी हैं और शहर के एक विशाल भवन में निवास करता है /

तंत्रा (Tantra)
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तंत्रा एक अलग clan (वंश) है जो सिल्क के धागों का निर्माण करता है / बताया जाता है कि ये दक्षिण से आये है , और इनको निचली कॅस्ट मे माना जाता है क्योंकि ब्राम्हण इनके घरों मे खाना नही खाते हैं /

कोतोह (Kotoh)
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अवध के जिलों मे पे जाने वाली थ्रेड स्पिन्नर्स की की एक छोटी परंतु सम्मानित caste है /
Page- 346

रँगरेज
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कपड़े डाइ करने वालों की caste है ये / ये शब्द रंग से उद्धृत है , और रेज यानी ये काम करने वाला / ये caste प्रांत के लगभग सभी जिलों मे पायी जाती हैं /

छिप्पी
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कपड़ों पर प्रिंटिंग करने वालों की caste  / इनका विशेष कार्य कपडो पर क्षींट stamp karna है / ये लोगों का ये लोग ज्यादा न्हैं हैं , लेकिन ये प्रांत के लगभग सभी जिलों मे पाये जाते हैं / बनारस में ये एक अलग caste के अंतर्गत आते हैं /

"छिप्पी अपने आपको राठौर राजपूत कहते हैं "

मल्लाह
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सभी नाविकों को मल्लाह कहा जाता है चाहे वो जिस भी caste के हों / इसके बावजूद मल्लाहों की एक विशेष ट्राइब जो कई कुलों (क्लॅन्स) में बंटे हुये हैं / वो निम्नलिखित हैं :-
१- मल्लाह
२- मुरिया या मुरीयारी
३- पनडुबी
४- बतवा या बातरिया
५- चैनी चैन या चाय
६- सुराया
७- गुरिया
८- तियर
९- कुलवाट
१०- केवट
ये नाविक भी हैं , fisherman (मछली मारने वाले ) भी हैं , और मछली पकडने के लिये जाल की manufacturing भी करते हैं / पहले ये एक दूसरे में शादी करते थे लेकिन अब वो बंद हो चुका है / हिन्दुओं की कई और castes भी मल्लाही का पेशा करते हैं /

नोट : कोई बताए कि ऊपर वर्णित समुदायों मे कौन अगडी थी कौन पिछड़ी थी ? ये किस ग्रंथ मे लिखा है - कि फलाना जात अगड़ी और फलाना जात पिछड़ी ?
और अगर नहीं लिखा तो ये आया कहाँ से ?
अंबेडकर के चेलों से ये प्रश्न है /

कहाँ गए छिप्पी तांती तंत्रा कोताह रंगरेज ?
मर गए , बिला गए या जहन्नुम रशीद हो गए ।
क्यों और कैसे ?
जब इनका व्यवसाय ही उच्छिन्न हो गया तो ये कहाँ से बचते ?
जय हो बाबा के संविधान का ।

Truth of 6 crore denotified caste Indians
https://www.facebook.com/tribhuwan.singh.908/posts/1147444828618916

आज एक high court के एक वकील साहब #राजभर साहब ऑपरेशन के बाद दिखाने आए थे / बातों बातों मे उनसे बात हुयी कि साहब राजभर लोग आज से हजार वर्ष पूर्व #क्षत्रिय हुआ करते थे / उनकी आँखों मे चमक आ गई , बोले - कि डॉ साहब आप तों मेरे मन की बात कर रहे हैं / https://en.wikipedia.org/wiki/Rajbhar
मैंने कहा कि अब आप लोग किस caste मे आते है ? उन्होने कहा कि #विमुक्त_जाति / मैंने पूंछा कि ये किसमे आते हैं ? genral SC ST या OBC मे ?
उन्होने कहा कि साहब किसी मे नहीं / मैंने कहा ऐसे कैसे ?
तों उन्होने बताया कि Denotified Caste /
मैंने थोड़ा इस विषय पर अदध्ययन किया / अंग्रेजों ने जब भारत मे शासन शुरू किया तों पता चला कि उनके लूट के विरोध और भारत के उद्योगों को नष्ट करने के कारण जो लोग बेरोजगार हुये उनमे से कुछ लोग उनका #हिंसक विरोध करते थे / उनको चिन्हित करने के लिए अंग्रेज़ William Sleeman को ज़िम्मेदारी दी , जिसको कालांतर मे कमिश्नर कि पदवी दी गई / उसने सबसे पहले एक खास समुदाय को जो इनका हिंसक विरोध करता था उसको #ठग के नाम से नामांकित किया और 1839 मे इस समुदाय के 3000 लोगों को पकड़ा , जिनमे से 466 को फांसी पर लटका दिया, 1564 को देशनिकाला या कालापानी , और 933 लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी / 1850 तक लगभग सभी ठगों को खत्म कर दिया गया / और इस कार्यप्रणाली से प्रोत्साहित होकर अंग्रेजों ने भारत के अन्य हिंसक विरोध करने वाले समुदायों के लिए एक कानून बनाने की योजना बनाई जिसको 1871मे James Fitzjames Stephen) जिसने एक साल बाद Indian Evidence Act 1872 बनाया था) उसने Criminal Tribe Act का गठन किया / उसकी दलील थी कि - जिस तरह यहाँ बुनकर लोहार आदि पुश्तैनी पेशा है , उसी तरह अपराध करना भी एक पुश्तैनी पेशा है जो कि इनको अपने पूर्वजों से वंशानुगत रूप से प्राप्त होता है / अर्थात इन समुदायों के लोग पैदायशी अपराधी होते है , और इसलिए इनको भी ठगों की तरह खत्म नहीं किया जाए/ https://en.wikipedia.org/wiki/Criminal_Tribes_Act
कालांतर मे इस कानून को पूरे देश मे लागू किया गया , जिसमे चिन्हित लोगों को #बिना किसी अपराध के और सबूत के , तथा बिना किसी कानूनी कार्यवाही के कत्ल किया जाना एक आम बात बन गयी।
इतिहासकर #रांनारायन रावत के अनुसार शुरू मे इसमे सिर्फ जाटों ( ये भी भारत मे शासक / क्षत्रिय रह चुके थे ) को सम्मिलित किया गया परंतु बाद मे इसका विस्तार कर #अधिकतर_शूद्रों जैसे #चमार, सन्यासियों और पहाड़ी लोगों को शामिल कर लिया गया / बाद मे इस कानून के अंतर्गत इन पैदायशी अपराधियों मे Bowreahs, Sonareahs, #Binds, Budducks, #Bedyas, #Domes, Dormas, Bembodyahs, Keechuks, Dasads, Koneriahs, Moosaheers, Rajwars, Gahsees, Banjors, Boayas, Dharees, Sowakhyas को भी शामिल कर एक तरह से इनके सामाजिक वहिष्कार को प्रोत्साहित किया गया / शासन के अपराधी तों थे ही /
नोट : MA Sherring के अनुसार बिन्द और मुशहर नमक के निर्माता थे जिस व्यापार पर अंग्रेजों ने 1780 मे ही एकाधिकार जमा कर उनको बेरोजगार कर दिया था / बेड़िया वस्तुओं के लोकल ट्रांसपोरटेर हुआ करते थे /
कालांतर मे Criminal Tribes Act 1931के तहत सैकड़ों हिंदुओं को इस कानून के घेरे मे लाया गया / अकेले मद्रास मे 237 अपराधी जातियों को शामिल किया गया था /
आजादी के बाद इस कानून को 1949 मे खत्म कर 23 लाख लोगों को गैर अपराधी बनाया गया ( 2,300,000 tribals being decriminalised) / 1952 मे नेहरू सरकार ने इस कानून को बादल कर --The Habitual Offenders Act (HOA) (1952) बनाया / और जो पहले से #अपराधी_समुदाय के एक बदनुमा #दाग लेकर जीने को बाध्य थे, उनको denotified tribes नाम देकर, एक और सामाजिक धब्बा उनकी पीठ पर छाप दिया -- अर्थात #विमुक्त_जाति / इस आजाद भारत मे भी ढेर सारे विमुक्त जाति के लोग PASA ( Prevention of Anti - social Activity Act ) के अंतर्गत चिन्हित होते रहे / इन समुदायों के ज़्यादातर लोगो को BPL की स्थिति मे होने के बावजूद इनको SC , ST या OBC के ग्रुप से अभी भी बाहर रखा गया है /
नेशनल ह्यूमन राइट कमिशन ने और UN ने इस कानून को केएचटीएम करने की शिफारिश की थी , क्योंकि इसमे ज़्यादातर नियम कानून Criminal Tribes Act से ही लिए गए हैं / अभी इस कानून की वैधानिक स्थिति क्या है , ये तों मुझे नहीं पता लेकिन इस #विमुक्त_जाति मे 60 मिलियन यानि 6 करोड़ भारतीय लोग शामिल है /
राजभर भी उनमे से एक हैं /
ये मॉडर्न caste System का एक और पोल खोलता है कि इसका भारत से कोई संबंध नहीं है , ये ईसाई अंग्रेजों का भारत को एक उफार है /
विडम्बना ये है कि Annihilation of Caste की कसमें खाने वाले डॉ अंबेडकर को भी भारत के एक बड़े वर्ग पर ये क्रूर अन्याय दिखाई न दिया ?? क्योंकि वे बौद्ध तों 1956 मे बने थे , और स्वतंत्र भारत मे ब्रिटिश कानून की नकल जवाहर लाल ने 1952 मे करके इन लोगों को #पैदायशी_अपराध से 1952 मे #विमुक्त किया था /
चित्र -1 The Thugs Worshipping Kalee (1850, p. 98)[14]
चित्रा - 2 Guru Multhoo Byragee Jogee, Native of Ajmere, aged 90, in jail (1840) जिनको आजीवन कारावास दिया गया था /

#नोट - आज ये पोस्ट पुनः शेयर कर रहा हूँ क्योंकि महाराष्ट्र के अंकोला के मित्र  राजीव आड़े जी का फोन आया था कि 8 फरवरी को वहाँ #दलित_चिंतक इसाइयत के फैलाव के हेतु #बंजारा विमुक्ति जाति पर एक समहरोह करने जा रहे हैं, जिसमे वो ब्राम्हणवाद जैसा कोई वाद है उसको पददलित करने की शाजिश रचेंगे /

मेरा मन मे एक प्रश्न गूंज रहा था कि Annihilation Of Caste वाले बाबा जी ने संविधान मे SC और ST की व्यवस्था की , लेकिन आजाद भारत मे पैदाइशी अपराधी कानून Criminal Tribes Act के लिए कुछ सोचा था कि नहीं ?
उसका उत्तर एक मित्र की पोस्ट पर मिला Shiv Parab जी की पोस्ट पर / देखें क्या लिखते हैं वो , और डॉ अंबेडकर  एसटी और Criminal Tribes के खिलाफ क्यों थे ? और क्या विचार रखा था उनहों ने - कि ST और Criminal Denotified Tribes of India को स्वतंत्र भारत मे #वोट देने का अधिकार नहीं दिया जा सकता /

" अम्बेडकर ने साइमन कमीशन द्वारा ST को वोट देने के अधिकार का भी विरोध किया था।
साइमन कमीशन की रिपोर्ट का point 20 देखे।

Aborigines = Native Tribes ( ST)

कानून जब बना तो Mr Ambedkar ने संविधान में छुआ छुत को उन्मूलन कानूनी तौर पे तो किया लेकिन criminal caste को denotify नही किया जो की 1952 में हो सका जिसकी अपील यूनाइटेड नेशन ने किया था भारत सरकार से https://en.wikipedia.org/wiki/Denotified_Tribes

जो व्यक्ति खुद को पीड़ित कहता था उसके भी मन में दुसरे के प्रति भेदभाव था।
अम्बेडकर ने साइमन कमीशन द्वारा ST को वोट देने के अधिकार का भी विरोध किया था।
साइमन कमीशन की रिपोर्ट का point 20 देखे।
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" ये विशेषाधिकार बड़े समूह के लिए आप मांग रहे हैं कि छोटे समूह के लिए ?
डॉ अंबेडकर : मैं उसकी मांग depressed  क्लास के लिए मांग रहा हूँ /
20॰ Aborigines (मूलनिवासी ) और criminal क्लास के लिए भी ?
डॉ अंबेडकर : नहीं / मुझे नहीं लगता कि उनको वोट देने का अधिकार देना संभव होगा / "

लो भाई / लो कल लो बात / #क्रॉस_दलित चिंतकों /

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डॉ त्रिभुवन सिंह
deepak raj mirdha
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
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Reviewed by deepakrajsimple on October 21, 2017 Rating: 5

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