Holi special


               " होली 

असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है दीपावली और


असत्य और अहंकार पर विजय का प्रतीक है " होली"!

धार्मिक रूप से देखें तो दोनों ही पर्वों के माध्यम से प्रभु ने बहुत कुछ संदेश दिया है।

प्रभु को घमंड और घमंड जनित अत्याचार सदैव अप्रिय लगे।

फिर चाहे उनकेे अपने सबसे प्रिय भक्त देवर्षि नारद हों जिन्हें कामदेव पर विजय का घमंड होने पर उनके द्वारा कन्या को रिझाने हेतु अपने स्वाभाविक सूरत पर भरोसा न कर प्रभु का स्वरूप मांगने पर उन्हें सही रूप देकर मोह भंग घमंड समाप्त किया गया।

      " करुणानिधि मन दीख बिचारी

       उर अंकुरेउ गर्भ तरु भारी।

       बेगि सो मैं डारिहउं उखारी,

      पन हमार सेवक हितकारी।।  

इसी प्रकार नागपाश से श्रीराम को मुक्त कराने के पश्चात् गरुण को भी इस बात का अहंकार होने पर कि, यदि भगवान को बंधनमुक्त नहीं कराते तो,उनकी विजय नहीं होती भगवान शिव ने पक्षीराज को पक्षियों के सबसे निचले स्तर का माने जाने वाले काग के पास उपदेश सुनने हेतु भेजते हैं।

विद्वान लंकाधिपति का भी अभिमान प्रभु न केवल स्वयं अपितु अपने सेवक वानरों के द्वारा भी किया गया।

हिरण्यकश्यप को भी अहंकार था वह तो स्वयं को भगवान मानता था उसका घमंड़ भी उसके स्वयं के पुत्र के माध्यम से तथा होलिका के न जलने के घमंड को भी प्रभु धूलधूसरित कर दिया । 

अतः प्रभु द्वारा इस बात का संदेश सदैव दिया गया है कि अहंकार न करते हुए स्वयं को प्रभु के अधीन कर देना चाहिए।

    " अस अभिमान जाइ जनि भोरे,

      मैं सेवक रघुपति पति मोरे।

असत्य पर सत्य की  तथा अन्यान्य और अधर्म पर धर्म की विजय दीपावली तथा होली को बड़े पर्व के रूप में उत्साह पूर्वक दीप जलाकर और अबीर-गुलाल का उपयोग कर सौहार्द्र से मनाया जाना प्रभु के प्रति विश्वास और अनन्य भक्ति का ही प्रतीक है।

होलिका दहन के समय न‌ केवल वातावरण को प्रदूषित करने वाली गंदगी को स्वाहा करें बल्कि दूसरों का बुरा करने अथवा बुराई करने वाले वैचारिक प्रदूषण को भी स्वाहा करें।

   " वैचारिक प्रदूषण की होली दहन कर

स्नेह सौहार्द्र का रंग भर दें____

दिल की दूरियां मिटाकर 

प्रेम औ अनुराग का फाग कर दें !


🙏जय श्रीराम जय श्री राधे कृष्ण 🙏

Holi special Holi special Reviewed by deepakrajsimple on March 07, 2023 Rating: 5

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