आंतरिक गर्मी

पहला प्रयोगः नीम के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस 5 से 20 ग्राम मिश्री मिलाकर सात दिन पीने से गर्मी मिटती है।

दूसरा प्रयोगः आम की अंतरछाल, गूलर की जड़ की छाल और बड़ के अंकुरों का 10 से 40 मि.ली. रस निकालकर उसमें 1 से 2 ग्राम जीरा और 5 से 20 ग्राम मिश्री डालकर पीने से सब प्रकार की गर्मी मिटती है।

तीसरा प्रयोगः सौंफ, जीरा एवं मिश्री रात को भिगोकर सुबह छानकर खाली पेट पीने से शरीर की गर्मी दूर होती है।

चौथा प्रयोगः नींबू के रस में मिश्री डालकर शरबत पीने से भी गर्मी में राहत होती है।

पाँचवाँ प्रयोगः कच्चे आम के छिलके उतारकर उसे पानी में उबाल लें। तत्पश्चात् उसके गूदे को ठंडे पानी में मसल-मसलकर रस बना लें व नमक, जीरा, शक्कर आदि स्वादानुसार मिलाकर पीने से गर्मी में लाभ होता है।

छठा प्रयोगः गन्ने को चूसकर नियमित सेवन करने से पेट की गर्मी व हृदय की जलन दूर होती है।

सातवाँ प्रयोगः गर्मियों में सिरदर्द हो, लू लग जाये, आँखें लाल हो जायें तब अनार का शरबत गुणकारी सिद्ध होता है।

तलुओं की जलन

पहला प्रयोगः तुकमरिया को भीगोकर पैर के तलुओं में बाँधें।

दूसरा प्रयोगः हाथ-पैर के तलुओं में यदि जलन होती हो तो लौकी को कद्दूकस करके उसकी पट्टी बाँधने से अथवा रस चुपड़ने से खूब ठंडक मिलती है।

गोखरू (कदर)- पैर अथवा हाथ में गोखरू होने पर उसे काटकर उसमें नीले थोथे का चूर्ण भर दें अथवा उबलते तेल का पोता रखने से गोखरू हमेशा के लिए मिट जाता है।

मोटापा

पहला प्रयोगः केवल सेवफल का ही आहार में सेवन करने से लाभ होता है।

दूसरा प्रयोगः अरनी के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस दिन में तीन बार पीने से स्थूलता दूर होती है।

तीसरा प्रयोगः चंद्रप्रभावटी की 2-2 गोलियाँ रोज दो बार गोमूत्र के साथ लेने से एवं दूध-भात का भोजन करने से 'डनलप' जैसा शरीर भी घटकर छरहरा हो जायेगा।

चौथा प्रयोगः आरोग्यवर्धिनीवटी की 3-3 गोली दो बार लेने से व 2 से 5 ग्राम त्रिफला का रात में सेवन करने से भी मोटापा कम होता है। इस दौरान केवल मूँग, खाखरे, परमल का ही आहार लें। साथ में हल्का सा व्यायाम व योगासन करना चाहिए।

पाँचवाँ प्रयोगः एक गिलास कुनकुने पानी में आधे नींबू का रस, दस बूँद अदरक का रस एवं दस ग्राम शहद मिलाकर रोज सुबह नियमित रूप से पीने से मोटापे का नियंत्रण करना सहज हो जाता है।

वजन बढ़ाने हेतु

1 से 3 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को दूध के साथ लेने से तथा भोजन से पूर्व तथा बाद में दो-दो चम्मच घी खाने से वजन बढ़ता है।

ऊँचाई बढ़ाने हेतु

1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, 1 से 2 ग्राम काले तिल, 3 से 5 खजूर को 5 से 20 ग्राम गाय के घी में एक महीने तक खाने से लाभ होता है। साथ में पादपश्चिमोत्तानासन, 'पुल्ल-अप्स' करने से एवं हाथ से शरीर झुलाने से ऊँचाई बढ़ती है।

 

वेदना

पहला प्रयोगः हाथ-पैर की पीड़ा में महानारायण तेल की मालिश करने से लाभ होता है।

दूसरा प्रयोगः शरीर की पसलियों, फेफड़ों, हृदय में पीड़ा हो या मार पड़ी हो तो पंचगुण तेल की मालिश करें।


आंतरिक गर्मी आंतरिक गर्मी Reviewed by deepakrajsimple on March 14, 2018 Rating: 5

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