तुलसी प्रयोग


*जलशुद्धिः दूषित जल में तुलसी की हरी पत्तियाँ (4 लिटर जल में 50-60 पत्तियाँ) डालने से जल शुद्ध और पवित्र हो जाता है। इसके लिए जल को कपड़े से छानते समय तुलसी की पत्तियाँ कपड़े में रखकर जल छान लेना चाहिए।*
*विशेषः तुलसी की पत्तियों में खाद्य वस्तुओं को विकृत होने से बचाने का अदभुत गुण है।* *सूर्यग्रहण आदि के समय जब खाने का निषेध रहता है तब खाद्य वस्तुओं में तुलसी की पत्तियाँ डालकर यह भाग लिया जाता है कि वस्तुएँ विकृत नहीं हुई हैं।*

*औषधि-प्रयोगः*

त्वचारोगः सफेद दाग या कोढ़ः इसके अनेक रोगियों को श्यामा तुलसी के उपचार से अदभुत लाभ हुआ है। उनके दाग कम हो गये हैं और त्वचा सामान्य हो गयी है।

दाद-खाजः तुलसी की पत्तियों को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद-खाज मिट जाती है।
स्मरणशक्ति, बल और तेजः रोज सुबह खाली पेट पानी के साथ तुलसी की 5-7 पत्तियों के सेवन से स्मरणशक्ति, बल और तेज बढ़ता है।
थकान, मंदाग्निः तुलसी के काढ़े में थोड़ी मिश्री मिलाकर पीने से स्फूर्ति आती है, थकावट दूर होती है और जठराग्नि प्रदीप्त रहती है।

मोटापा, थकानः तुलसी की पत्तियों का दही या छाछ के साथ सेवन करने से वचन कम होता है, शरीर की चरबी घटती है और शरीर सुडौल बनता है। साथ ही थकान मिटती है। दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है और रक्तकणों में वृद्धि होती है।
उलटीः तुलसी और अदरक का रस शहद के साथ लेने से उलटी में लाभ होता है।

पेट दर्दः पेट में दर्द होने पर तुलसी की ताजी पत्तियों का 10 ग्राम रस पियें।
मूर्च्छा, हिचकीः तुलसी के रस में नमक मिलाकर कुछ बूँद नाक में डालने से मूर्च्छा दूर होती है, हिचकियाँ भी शांत होती हैं।

सौन्दर्यः तुलसी की सूखी पत्तियों का चूर्ण पाउडर की तरह चेहरे पर रगड़ने से चेहरे की कांति बढ़ती है और चेहरा सुंदर दिखता है।
मुँहासों के लिए भी तुलसी बहुत उपयोगी है।
ताँबे के बर्तन में नींबू के रस को 24 घंटे तक रख दीजिए। फिर उसमें उतनी ही मात्रा में श्यामा तुलसी का रस तथा काली कलौंजी का रस मिलाइये। इस मिश्रण को धूप में सुखाकर गाढ़ा कीजिये। इस लेप को चेहरे पर लगाइये। धीरे-धीरे चेहरा स्वच्छ, चमकदार, सुंदर, तेजस्वी बनेगा व कांति बढ़ेगी।

मलेरियाः काली मिर्च, तुलसी और गुड़ का काढ़ा बनाकर उसमें नींबू का रस मिलाकर, दिन में 2-2 या 3-3 घंटे के अंतर से गर्म-गर्म पियें, फिर कम्बल ओढ़कर सो जायें।

श्लेष्मक ज्वर(इन्फलुएन्जा)- इसके रोगी को तुलसी का 20 ग्राम रस, अदरक का 10 ग्राम रस तथा शहद मिलाकर दें।

प्रसव-पीड़ाः तुलसी की जड़ें कमर में बाँधने से स्त्रियों को, विशेषतः गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है। प्रसव-वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है।
तुलसी के रस का पान करने से भी प्रसव-वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है।

श्वेत प्रदरः तुलसी की पत्तियों का रस 20 ग्राम, चावल के मॉड के साथ सेवन करने से तथा दूध-भात या घी-भात का पथ्य लेने से श्वेत प्रदर रोग दूर होता है।
              
तुलसी प्रयोग तुलसी प्रयोग Reviewed by deepakrajsimple on March 14, 2018 Rating: 5

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