*अपना और अपने परिवार का स्वास्थ्य बचाएं*
भारत की राजधानी दिल्ली व उत्तरी भारत की हवा इन दिनों सांस लेने लायक भी नहीं है। दिल्ली की हवा में जहर 1556 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ये मात्रा 35.5 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक हो तो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।
चलो वायु प्रदूषण के इस दानव से छुटकारे के बारे में सोचें। इससे छुटकारा पाया जा सकता है अपने अपने बेडरूम, अपने घर को गाय के गोबर व चिकनी मिट्टी से लीप कर ....
चौंक गए ना???
जी हां, अपने अपने घरों की दीवारों व आंगन (फर्श) को चिकनी मिट्टी व गाय के गोबर से लीप कर तो देखिए आपको स्वयं घर की हवा में अन्तर महशूस होगा। चिकनी मिट्टी का सबको पता है और गाय के गोबर का भी, *इन दोनों के मिश्रण से आदि काल से मानव अपने घरों को लीपता आया है व अपने अपने घरों को वायु प्रदूषण मुक्त रखता आया है* लेकिन आधुनिक विज्ञान व शिक्षा से इसको बड़ी चतुराई से बाहर निकाल फैंका क्योंकि ये दोनों GDP नहीं बढाते।
आओ अब इस विज्ञान को समझते हैं।
*चिकनी मिट्टी व गाय के गोबर के लेप में बहुत ही सुक्ष्म छिद्र होते हैं जोकि घर में घुसने वाले pm 2.5 व pm 10 के जहरीले कणों को अपने अंदर अवशोषित कर लेतें हैं* तथा आयनिक बोंड द्वारा उसे जकड़े रखते हैं। यह प्लास्टर *अपनी सतह की आठ गुणा मोटाई दूर तक हवा में फैले हानिकारक तत्वों को अपने तक आकर्षित करने की क्षमता रखता है अतः यह हमारे घरों भवनों की हवा को प्रदूषित होने ही नहीं देता बल्कि बाहर से आने वाली अशुद्ध हवा को भी लगातार साफ करता रहता है।*
इस लेप की सबसे बड़ी खासियत इसकी हवा की नमी को बरकरार रखने की इसकी विशिष्टता है। हमारी त्वचा व हमारे फेफड़ो को हवा में 50 से 60% तक नमी चाहिए ताकि वो स्वस्थ रह सकें तथा हमें स्वस्थ रख सकें। नमी को बरकरार रखने का यह गुण ना लकड़ी में होता ना ही पत्थर में और सीमेंट में तो बिलकुल भी नहीं। जब नमी कम हो जाती है तो गोबर मिट्टी का यह लेप नमी छोढणे लगता है तथा जब ज्यादा होती है तो यह उसे शोख लेता है।कम या ज्यादा नमी में पनपने वाले रोगाणु इसमें पनप ही नहीं सकते।
रही बात गोबर गाय का ही क्यों??
गाय का गोबर इस में दो काम करता है। पहला गाय के गोबर में किसी भी जीव के गोबर से ज्यादा म्यूकोसा व प्रोटीन की झिल्ली होती है जो कि मिट्टी को लम्बे समय तक बांधकर रखती है तथा पानी की अधिकता के कारण भी यानि बरसात के मौसम में भी उसे उतरने नहीं देती। गाय के गोबर में एक समान रेशे होते हैं जो मिट्टी को मजबूती प्रदान करते हैं।
सिर्फ इतना कर आप दिल्ली या किसी भी जगह के वायु प्रदूषण से बच सकते हैं। स्वयं व अपने परिवार को स्वस्थ रख सकते हैं। कहने का मतलब है कि *यह हमारे पूर्वजों की खोज हमारे लिए एक वरदान है* लेकिन आज की पढाई ने हमें कहीं का नहीं छोढ़ा, आज मिट्टी व गोबर में हाथ देने को ही अस्वच्छता का प्रतीक मान लिया गया है। आप यह लेप स्वयं करें, अगर आप नहीं कर सकते तो हमने आपके लिए गोबर जिप्सम का लेप वैदिक प्लास्टर तैयार किया है जिसमें ये सभी गुण हैं तथा यह सीमेंट प्लास्टर से ज्यादा टिकाऊ व दिखने में सुंदर होता है, प्रदूषण के साथ साथ गर्मी व सर्दी से भी बचाता है। आप हमें सेवा का मौका देंः-
दिल्ली के लिए संपर्क करेंः- श्री सुरेंद्र गोयल 9810990151
हरियाणा के लिए संपर्क करेंः- श्री सुनील आर्य 9467647961
जयपुर व राजस्थान के लिए संपर्क करेंः- श्री मुकेश शर्मा 9782572949
अधिक जानकारी व प्रत्यक्ष रूप से देखने व अनुभव करने के लिए आप वैदिक भवन रोहतक आ सकते हैं।
आपकी सेवा में,
आपका अपणा अणपढ़ जाटः-
डॉ. शिव दर्शन मलिक
Hr. deepak raj mirdha
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वायु प्रदूषण को गौमाता के गोबर व मिट्टी से हराएं
Reviewed by deepakrajsimple
on
November 10, 2017
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