स्वास्थ्य कथा प्रशिक्षण की प्रस्तुति
भाई राजीव दीक्षित जी के व्याख्यानों पर आधारितनिरोगी रहने के नियम और गंभीर रोगो की घरेलू चिकित्सा !
Table of Content (विषय सूची)
1- स्वस्थ रहने की कुंजी
2- दिनचर्या
3- हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त- वसा
4- देशी गाय घी के दिन रात काम आने वाले उपयोग
5- ब्रेन मलेरिया टाइफाईड चिकुनगुनिया डेंगू स्वाइन फ्ल इन्सेफेलाइटिस माता व अन्य के बुखार
6- चूना जो आप पान में खाते है वो सत्तर बीमारी ठीक कर देते है
7- उच्च/निम्न रक्तचाप
8- मधुमेह (डायबिटीज)
9- पथरी की चिकित्सा
10- गठिया की चिकित्सा
11- गंभीर इमरजेन्सी
12- जलना
13- हड्डी टूटना
14- मोच
15- सामान्य चोट
16- सांप के काटने पर चिकित्सा
17- बिच्छू, मधुमक्खी के काटने पर सुई या काटा लगने की चिकित्सा
18- पागल कुत्ता काटने
19- चोट लगने लेकिन खून ना बहने पर
20- चोट लगने और खून बहने पर इसकी चिकित्सा
21- टिटनेस
22- हार्ट अटेक
23- शरीर पर किसी भी तरह का घाव
24- डायरिया उल्टी या दस्त होने पर
25- घात जाने पर
26- अपेन्डेक्स (Appendix)
27- स्वप्न दोष
28- पीलिया
29- बवासीर फिस्टला या भगन्दूर होने पर
30- गंभीर लकवा होने पर रोगी को शरीर में सुन्नता छुने पर कोई संवेदना नहीं होना
31- नसों में जकड़न
32- मिरगी
33- न्युमोनिया
34- कैंसर
35- स्त्री रोगल्यूकोरिया रक्त प्रदूर मासिक धर्म की अधिकता अनियमितता
36- गर्भावस्था
37- बच्चे का पेट में उल्टा होना
38- प्रसव में समस्या
39- दमा, अस्थमा, ब्रोन्कियल अस्थमा
40- गले में कोई भी इन्फेक्शन, टौंसिल
41- तपेदिक क्षयरोग टीबी (Tubercle Bacillus)
42- हाइपरथाइराडिज्म हाइपोथायरायडिज्म
43- गोमूत्र-घृत-दुग्ध के गुण
44- हृदय ब्लॉक का आयुर्वेदिक इलाज
45- लौकी परीक्षण
स्वस्थ रहने की कुंजी
जीवन शैली व खान – पान में बदलाव से कई रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है घरेलू वस्तुओ के उपयोग से शरीर के उपयोग से शरीर तो स्वस्थ रहेगा ही बीमारी पर होने वाला खर्च भी बचेगा। कृपया इनका अवश्य ध्यान रखें। - फलों का रस, अत्यधिक तेल की चीजें, मट्ठा, खट्टी चीजें रात में नहीं खानी चाहिये। - घी या तेल की चीजें खाने के बाद तुरंत पानी नहीं पीना चाहिये बल्कि एक-डेढ़ घण्टे के बाद पानी पीना चाहिये। - भोजन के तुरंत बाद अधिक तेज चलना या दौड़ना हानिकारक है। इसलिये कुछ देर आराम करके ही जाना चाहिये। - शाम को भोजन के बाद शुद्ध हवा में टहलना चाहिये खाने के तुरंत बाद सो जाने से पेट की गड़बड़ीयाँ हो जाती हैं। - प्रात:काल जल्दी उठना चाहिये और खुली हवा में व्यायाम या शरीर श्रम अवश्य करना चाहिये। - तेज धूप में चलने के बाद, शारीरिक मेहनत करने के बाद या शौच जाने के तुरंत बाद पानी कदापि नहीं पीना चाहिये। - केवल शहद और घी बराबर मात्रा में मिलाकर नहीं खाना चाहिये वह विष हो जाता है। - खाने पीने के विरोधी पदार्थो को एक साथ नहीं लेना चाहिये जैसे दूध और कटहल, दुध और दही, मछली और दूध आदि चीजें एक साथ नहीं लेनी चाहिये। - सिर पर कपड़ा बांधकर या मोजे पहनकर कभी नहीं सोना चाहिये। - बहुत तेज या धीमी रोशनी में पढ़ना, अत्यधिक टी. वी या सिनेमा देखना अधिक गर्म-ठंडी का सेवन करना, अधिक मिर्च मसालों का प्रयोग करना, तेज धूप में चलना इन सबसे बचना चाहिये। यदि तेज धूप में चलना भी हो तो सर और कान पर कपड़ा बांधकर चलना चाहिये। - रोगी को हमेशा गर्म अथवा गुनगुना पानी ही पिलाना चाहिये। और रोगी को ठंडी हवा, परिश्रम, तथा क्रोध से बचाना चाहिये। - आयुर्वेद में लिखा है कि निद्रा से पित्त शांत होता है, मालिश से वायु कम होती है, उल्टी से कफ कम होता है और लंघन करने से बुखार शांत होता है। इसलिये घरेलू चिकित्सा करते समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिये। - आग या किसी गर्म चीज से जल जाने पर जले भाग को ठंडे पानी में डालकर रखना चाहिये। - कान में दर्द होने पर यदि पत्तों का रस कान में डालना हो तो सुर्योदय के पहले या सुर्यास्त के बाद ही डालना चाहिये। - किसी भी रोगी को तेल, घी या अधिक चिकने पदार्थो के सेवन से बचना चाहिये। - अजीर्ण तथा मंदाग्नि दूर करने वाली दवाएँ हमेशा भोजन के बाद ही लेनी चाहिये। - मल रूकने या कब्ज होने की स्थिति में यदि दस्त कराने हों तो प्रात:काल ही कराने चाहिये, रात्रि में नहीं। - यदि घर में किशोरी या युवती को मिर्गी के दौरे पडते हों तो उसे उल्टी, दस्त या लंघन नहीं कराना चाहिये। - यदि किसी दवा को पतले पदार्थ में मिलाना हों तो चाय, कॉफी, या दूध में न मिलाकर छाछ, नारियल पानी या सादे पानी में ही मिलाना चाहिये। - हींग को सदैव देशी घी में भून कर ही उपयोग में लाना चाहिये। लेप में कच्ची हींग लगानी चाहिये।
दिनचर्या
सूम्पर्ण सेहत बिना डाक्टर-एक सपना या हकीकत? आज भारत में लगभग 80% लोग रोगी हैं, पर इन सभी बीमारियों के इलाज के लिए पर्याप्त चिकित्सक नहीं हैं। आज से 3000 वर्ष पूर्व महर्षि बागभट्ट द्वारा रचित अष्टांग हृदयं के अनुसार, बीमार व्यक्ति ही अपना सबसे अच्छा चिकित्सक हो सकता है, बीमारियों से मुक्त रहने के लिए दैनिक आहार विहार द्वारा स्वस्थ रहने के सूत्रों के आधार पर राजीव दीक्षित ने निम्न सूत्र बनाए थे
रात को दाँत साफ करके सोये। सुबह उठ कर गुनगुना पानी बिना कुर्ला किए, बैठ कर, घूंट – घूंट (sip-sip) करके पीये। एक दो गिलास जितना आप सुविधा से पी सकें उतने से शुरुआत करके, धीरे धीरे बढा कर सवा लिटर (1-1/4 Ltr) तक पीना है।
भोजनान्ते विषमबारी अर्थात भोजन के अंत में पानी पीना विष पीने के समान है। इस लिए खाना खाने से आधा घंटा पहले और डेढ घंटा बाद तक पानी नहीं पीना। डेढ घंटे बाद पानी जरूर पीना। पानी के विकल्प में आप सुबह के भोजन के बाद मौसमी फलों का ताजा रस पी सकते हैं (डिब्बे वाला नहीं), दोपहर के भोजन के बाद छाछ और अगर आप हृदय रोगी नहीं हैं तो आप दहीं की लस्सी भी पी सकते हैं। शाम के भोजन के बाद गर्म दूध। यह आवश्यक है कि इन चीजो का क्रम उलट-पुलट मत करें।
पानी जब भी पीये बैठ कर पीये और घूंट – घूंट कर पीये।
फ्रिज (रेफ्रीजिरेटर) का पानी कभी ना पीये। गर्मी के दिनों में मिट्ठी के घडे का पानी पी सकते हैं।
सुबह का भोजन सर्योदय के दो से तीन घंटे के अन्दर खा लेना चाहिए। आप अपने शहर में सर्योदय का समय देख लें और फिर भोजन का समय निश्चित कर लें। सुबह का भोजन पेट भर कर खाएं। अपना मनपसंद खाना सुबह पेट भर कर खाएं।
दोपहर का भोजन सुबह के भोजन से एक तिहाई कम करके खाएं, जैसे सुबह अगर आप तीन रोटी खाते हैं तो दोपहर को दो खाएं। दोपहर का भोजन करने के तुरंत बाद बाई करवट (Left Side) लेट जाएँ, चाहे तो नींद भी ले सकते हैं, मगर कम से कम 20 मिनट अधिक से अधिक 40 मिनट। 40 मिनट से ज्यादा नहीं।
इसके विपरीत शाम को भोजन के तुरंत बाद नहीं सोना। भोजन के बाद कम से कम 500 कदम जरूर सैर करें । संभव हो तो रात का खाना सर्यास्त से पहले खा लें।
भोजन बनाने में फ्रिज, माइक्रोवेव ओवन, प्रैशर कूकर, तथा एल्युमिनियम के बर्तनां का प्रयोग ना करें।
खाने में रिफाइन्ड तेल का इस्तेमाल ना करें। आप जिस क्षेत्र में रहते हैं वहाँ जो तेल के बीज उगाये जाते हैं उसका शुद्ध तेल प्रयोग करें, जैसे यदि आपके क्षेत्र में सरसों ज्यादा होती है तो सरसों का तेल, मुंगफली होती है तो मुंगफली का तेल, नारियल है तो नारियल का तेल। तेल सीधे सीधे घानी से निकला हुआ होना चाहिए।
खाने में हमेशा सेंधा नमक का ही प्रयोग करना चाहिए, ना की आयोडिन युक्त नमक का। चीनी की जगह गुड, शक्कर, देसी खाण्ड या धागे वाली मिस्री का प्रयोग कर सकते है।
कोई भी नशा ना करें, चाय, काफी, मांसाहार, मैदा, बेकरी उत्पादों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
रात को सोने से पहले हल्दी वाला दूध दाँत साफ करने के बाद पिये।
सोने के समय सिर पूर्व दिशा की तरफ तथा संबंध बनाते समय सिर दक्षिण दिशा की तरफ करना चाहिए।
हृदय रोग (Heart Disease), मधुमेह (Diabete), उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure), उच्च रक्त-वसा (High Cholesterol)
इन बीमारियों के रोगियों के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ निम्नलिखित हैं :-
खाने में रिफाइन्ड तेल का इस्तेमाल ना करें। आप जिस क्षेत्र में रहते हैं वहाँ जो तेल के बीज उगाये जाते हैं उसका शुद्ध तेल प्रयोग करें, जैसे यदि आपके क्षेत्र में सरसों ज्यादा होती है तो सरसों का तेल, होती है तो मुंगफली का तेल, नारियल है तो नारियल का तेल। तेल सीधे सीधे घानी से निकला हुआ होना चाहिए।
खाने में हमेशा सेंधा नमक का ही प्रयोग करना चाहिए, ना की आयोडिन युक्त नमक का।
देशी गाय का घी जो दहीं को मथ कर बनाया गया हो, इन बीमारी के रोगियों के लिए अमृत है।
खाने में छिलके वाली दालें, छिलके सहित सब्जियाँ, छिलके वाले चावल, छिलके सहित गेहं का आटा इस्तेमाल करें।
क्षारीय (एल्कलाइन) वस्तुओं जैसे आंवला, अलोवेरा, गाजर, मली, चोलाई, सरसों आदि का प्रयोग इन रोगों में अत्यंत लाभदायक है।
इन सभी जानकारियों के इलावा दिनचर्या का पालन भी आवश्यक है।
देशी गाय के घी के दिन रात काम आने वाले उपयोग
मासिक स्राव में किसी भी तरह की गडबडी में 250 ग्राम गर्म पानी में (घी पिघला होतो 3 चम्मच जमा हुआ हो तो 1 चम्मच) डालकर पीने से लाभ होगा। यह पानी मासिक स्राव वाले दिनों के दौरान ही पीना है
गाय का नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है, ये दुनिया की सारी दवाइयों से तेज असर दीखता है।
गाय का नाक में डालने से कान का पर्दा बिना आपरेशन के ठीक हो जाता है।
नाक में घी डालने से नाक की खुस्की दूर होती है और दिमाग तरो ताजा हो जाता है ताजा हो जाता है।
गाय का घी नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
गर्भवती माँ को गौ माँ का घी अवश्य खाना चाहिए इससे गर्भ में पल रहा शिशु बलवान, पुष्ट और बुद्धिमान होता है।
दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ढीक होता है।
जिस व्यक्ति को बहुत हार्ट ब्लाकेज की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मना किया गया हो, तो गाय का घी खाएं, हार्ट ब्लाकेज दूर होता है।
देशी घी के प्रयोग से नाक से पानी बहना, नाक की हड्डी बढना तथा खर्राटे बूंद हो जाते हैं।
सर्दी जुकाम होने पर गाय का घी थोडा गर्म कर 2-2 बूँद दोनों नाक में डाल कर सोयं।
अच्छी नींद के लिए, माइग्रेन और खर्राटे से निजात पाने के लिए भी उपरोक्त विधि अपनाएँ।
ब्रेन मलेरिया, टाइफाईड, चिकुनगुनिया, डेंगू, स्वाइन फ्ल, इन्सेफेलाइटिस, माता व अन्य के बुखार
मित्रो बहुत सारे बुखार तेजी से भारत देश में फैल रहे है ।। करोडो की संख्या में लोग इससे प्रभावित हो रहे है। और लाखों लोग मर रहे है। हमेशा की तरह सरकार के हाथपर हाथ रखे तमशा देख रही है। श्री राजीव दीक्षित जी ने गाँव-गाँव घम-घम कर आयुर्वेदिक दवा से लाखो लोगो को बचाया है।। और ये दवा बनानी कितनी आसान है।
20 पत्ते तुलसी, नीम की गिलोई का सत् 5gm, सोंठ (सुखी अदूरक) 10gm, 10 छोटी पीपर के टुकडे, सब आपके घर में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। सब एक जगह पर कटने के बाद एक गिलास पानी में उबालकर काढा बनाना है ठन्डा होने के बाद दिन में सुबह, दोपहर और श्याम तीन बार पीना चाहिए।
नीम गिलोई - इसका जस डंगू रोग में श्वेत रक्त कणिकाये, प्लेट-लेट्स कम होने पर तुरंत बढ़ाने में बहुत ज्यादा काम आता है।
एक और अच्छी दवा है, एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हारसिंगार कहते है, संस्कृत में पर पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है, उस पेड़ पर छोटे छोटे सफेद फूल आते है, और फुल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुश्ब बहुत आती है, रात को फूल nखिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है । इस पेड़ के पांच पत्ते तोड के पत्थर में पिस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पियो तो बीस बीस साल पुराना गठिया का दर्द इससे ठीक हो जाता है । और यही पत्ते को पिस के गरम पानी में डाल के पियो तो बुखार ठीक कर देता है और जो बुखार किसी दवा से ठीक नही होता वो इससे ठीक होता है जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डंगू फीवर, Encephalitis, ब्रेन मलेरिया, ये सभी ठीक होते है ।
इनके प्रयोग से आप रोगी की जान बचा सकते हैं। मात्र इसकी 3 खुराक से राजीव भाई ने लाखों लोगो को बुखार से मरने से बचाया था। अपना अनमोल जीवन और पैसा बचाइए ।
चूना जो आप पान में खाते है वो सत्तर बीमारी ठीक कर देते है
जैसे किसी को पीलिया हो जाये माने जोंडिस उसकी सबसे अच्छी दवा है चूना या गेहूँ के दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी पीलिया ठीक कर देता है । और यही चूना नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है - अगर किसी के शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल देड साल में भरपूर शुक्राणु बन्ने लगेंगे या और जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उनकी बहुत अच्छी दवा है चूना । बिद्याथ्र्ाीयों के लिए चूना बहुत अच्छी है जो लम्बाई बढाती है - गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिलाकर खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिलाकर खाओ, दाल नही है तो पानी में मिलाकर पियो - इससे लम्बाई बढने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छा होता है । जिन बच्चो की बुद्धि कम काम करती है मतिमंद बच्चे उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना, जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चूना खिलाने से अच्छे हो जायंगे । बहिनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अच्छी दवा है चूना । और हमारे घर में जो माताएं है जिनकी उम्र पचास वर्ष हो गयी और उनका मासिक धर्म बंध हुआ उनकी सबसे अच्छी दवा है चूनाय गेहूँ के दाने के बराबर चूना हरदिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना । जब कोई माँ गर्भावस्था में है तो चूना रोज खाना चाहिए किउंकि गर्भवती माँ को सबसे जादा काल्सियम की जरुरत होती है और चूना कैल्सियम का सब्से बड़ा भंडार है । गर्भवती माँ को चूना खिलाना चाहिए अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फाईदे होंगे - पहला फाईदा होगा के माँ को बच्चे के जन्म के समय कोई तकलीफ नही होगी और नोर्मल डेलीभरी होगा, दूसरा बच्छा जो पैदा होगा वो बहुत हस्ट-पुष्ट और तंदरुस्त होगा, तीसरा फायदा वो बच्छा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया, और चौथा सबसे बड़ा लाभ है वो बच्छा बहुत होसियार होता है बहुत Intelligent और Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा होता है । चूना घुटने का दर्द ठीक करता है, कमर का दर्द ठीक करता है, कंधे का दर्द ठीक करता है, एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis वो चुने से ठीक होता है । कई बार हमारे रीड़ की हड्डी में जो मनके होते है उसमे दुरी बड़ जाती है ळंच आ जाता है - ये चूना ही ठीक करता है रीड़ की हड्डी की सब बीमारिया चुने से ठीक होता है। अगर आपकी हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे जादा चुने में है। चूना खाइए सुबह को खाली पेट । अगर मुह में ठंडा गरम पानी लगता है तो चूना खाओ बिलकुल ठीक हो जाता है, मुह में अगर छाले हो गए है तो चुने का पानी पियो तुरन्त ठीक हो जाता है । शारीर में जब खून कम हो जाये तो चूना जरुर लेना चाहिए, अनीमिया है खून की कमी है उसकी सबसे अच्छी दवा है ये चूना, चूना पीते रहो गन्ने के रस में, या संतरे के रस में नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में - अनार के रस में चूना पिए खून बहुत बढता है, बहुत जल्दी खून बनता है - एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चूना सुबह खाली पेट । भारत के जो लोग चुने से पान खाते है, बहुत होसियार लोग है पर तम्बाकू नही खाना, तम्बाकू जहर है और चूना अमृत है, तो चूना खाइए तम्बाकू मत खाइए और पान खाइए चुने का उसमे कत्था मत लगाइए, कत्था केन्सर करता है, पान में सुपारी मत डालिए सोंट डालिए उसमे, इलाइची डालिए, लोंग डालिए. केशर डालिए ये सब डालिए पान में चूना लगाके पर तम्बाकू नही, सुपारी नही और कत्था नही । अगर आपके घुटने में घिसाव आ गया और डॉक्टर कहे के घुटना बदल दो तो भी जरुरत नही चूना खाते रहिये और हारसिंगार के पत्ते का काड़ा खाइए घुटने बहुत अच्छे काम करेंगे । राजीव भाई कहते है चूना खाइए पर चूना लगाइए मत किसको भी. ये चूना लगाने के लिए नही है खाने के लिए है आजकल हमारे देश में चूना लगाने वाले बहुत है पर ये भगवान ने खाने के लिए दिया है ।
उच्च/निम्न रक्तचाप
उच्च रक्तचाप की बीमारी के लिए दवा :
उच्च रक्तचाप की बीमारी ठीक करने के लिए घर में उपलब्ध कुछ आयुर्वेदिक दबाईया है जो आप ले सकते है । जैसे एक बहुत अच्छी दवा आप के घर में है दालचीनी जो मसाले के रूप में उपयोग होता है वो आप पत्थर में पिसकर पावडर बनाकर आधा चम्मच रोज सुबह खाली पेट गरम पानी के साथ खाइए या अगर थोडा खर्च कर सकते है तो दालचीनी को शहद के साथ लीजिये (आधा चम्मच शहद आधा चम्मच दालचीनी) गरम पानी के साथ, ये हाई रक्तचाप के लिए बहुत अच्छी दवा है । और एक अच्छी दवा है जो आप ले सकते है पर दोनों में से कोई एक । दूसरी दवा है मेथी दाना, मेथी दाना आधा चम्मच लीजिये एक ग्लास गरम पानी में और रात को भिगो दीजिये, रात भर पड़ा रहने दीजिये पानी में और सुबह उठ कर पानी को पी लीजिये और मेथी दाने को चबा कर खा लीजिये । ये बहुत जल्दी आपकी हाई रक्तचाप कम कर देगा, देड से दो महीने में एकदम स्वाभाविक कर देगा ।
और एक तीसरी दवा है उच्च रक्तचाप के लिए वो है अर्जुन की छाल । अर्जुन एक वृक्ष होती है उसकी छाल को धुप में सुखा कर पत्थर में पिस के इसका पावडर बना लीजिये । आधा चम्मच पावडर, आधा ग्लास गरम पानी में मिलाकर उबाल ले, और खूब उबालने के बाद इसको चाय की तरह पी ले। ये उच्च रक्तचाप को ठीक करेगा, कोलेस्ट्रोल को ठीक करेगा, ट्राईग्लिसाराईड को ठीक करेगा, मोटापा कम करता है, हार्ट में आर्टरीज में अगर कोई ब्लोकेज है तो वो ब्लोकेज को भी निकाल देता है ये अर्जुन की छाल । डाक्टर अक्सर ये कहते है ना की दिल कमजोर है आपकाय अगर दिल कमजोर है तो आप जरुर अर्जुन की छाल लीजिये हर दिन, दिल बहुत मजबत हो जायेगा आपका ESR ठीक होगा, Ejection Fraction भी ठीक हो जायेगा बहुत अच्छी दवा है ये अर्जुन की छाल ।
और एक अच्छी दवा है हमारे घर में वो है लौकी का रस। एक कप लौकी का रस रोज पीना सबेरे खाली पेट नास्ता करने से एक घंटे पहले या और इस लौकी की रस में पांच धनिया पत्ता, पांच पुदीना पत्ता, पांच तुलसी पत्ता मिलाकर, तीन चार काली मिर्च पिस के ये सब डाल के पीना .. ये बहुत अच्छा आपके रक्तचाप ठीक करेगा और ये º्रदय को भी बहुत व्यवस्थित कर देता है, कोलेस्ट्रोल को ठीक रखेगा, डायबिटीज में भी काम आता है।
और एक मुफ्त की दवा है, बेल पत्र की पत्ते - ये उच्च रक्तचाप में बहुत काम आते है । पांच बेल पत्र ले कर पत्थर में पिस कर उसकी चटनी बनाइये अब इस चटनी को एक ग्लास पानी में डाल कर खूब गरम कर लीजिये, इतना गरम करिए के पानी आधा हो जाये, फिर उसको ठंडा करके पी लीजिये। ये सबसे जल्दी उच्च रक्तचाप को ठीक करता है और ये बेलपत्र आपके सुगर को भी सामान्य कर देगा । जिनको उच्च रक्तचाप और सुगर दोनों है उनके लिए बेल पत्र सबसे अच्छी दवा है।
और एक मुफ्त की दवा है हाई रक्तचाप के लिए - देशी गाय की मूत्र पीये आधा कप रोज सुबह खाली पेट ये बहुत जल्दी हाई रक्तचाप को ठीक कर देता है । और ये गोमूत्र बहुत अद्भत है, ये हाई रक्तचाप को भी ठीक करता है और निम्न रक्तचाप को भी ठीक कर देता है दोनां में काम आता है और यही गोमूत्र डायबिटीज को भी ठीक कर देता है, Arthritis, Gout (गठिया) दोनां ठीक होते है । अगर आप गोमूत्र लगातार पी रहे है तो दमा भी ठीक होता है अस्थमा भी ठीक होता है, Tuberculosis भी ठीक हो जाती है । इसमें दो सावधानिया ध्यान रखने की है के गाय सुद्ध रूप से देशी हो और वो गर्भावस्था में ना हो ।
निम्न रक्तचाप की बीमारी के लिए दवा :- निम्न रक्तचाप की बीमारी के लिए सबसे अच्छी दवा है गुड। ये गुड पानी में मिलाकर, नमक डालकर, नीबू का रस मिलाकर पिलो । एक ग्लास पानी में 25 ग्राम गुड, थोडा नमक नीबू का रस मिलाकर दिन में दो तीन बार पिने से लो रक्तचाप सबसे जल्दी ठीक होगा । और एक अच्छी दवा है ..अगर आपके पास थोड़े पैसे है तो रोज अनार का रस पियो नमक डालकर इससे बहुत जल्दी लो रक्तचाप ठीक हो जाती है, गन्ने का रस पीये नमक डालकर ये भी लो रक्तचाप ठीक कर देता है, संतरे का रस नमक डाल के पियो ये भी लो रक्तचाप ठीक कर देता है, अनन्नास का रस पीये नमक डाल कर ये भी लो रक्तचाप ठीक कर देता है । निम्न रक्तचाप के लिए और एक बढिया दवा है मिस्री और मख्खन मिलाकरे खाओ - ये निम्न रक्तचाप की सबसे अच्छी दवा है । निम्न रक्तचाप के लिए और एक बढिया दवा है दूध में घी मिलाकर पियो, एक ग्लास देशी गाय का दूध और एक चम्मच देशी गाय की घी मिलाकर रात को पीने से निम्न रक्तचाप बहुत अच्छे से ठीक होगा । और एक अच्छी दवा है निम्न रक्तचाप की और सबसे सस्ता भी वो है नमक का पानी पियो दिन में दो तीन बार, जो गरीब लोग है ये उनके लिए सबसे अच्छा है ।
मधुमेह (डायबिटीज)
आजकल मधुमेह की बीमारी आम बीमारी है। डायबिटीज भारत में 5 करोड 70 लाख कों है और 3 करोड लोगों को हो जाएगी अगले कुछ सालों में सरकार ये कह रही है । हर दो मिनट में एक मौत हो रही है डायबिटीज से और कम्प्लकेशन तो बहुत हो रहे है... किसी की किडनी खराब हो रही है, किसी का लीवर खराब हो रहा है किसी को ब्रेन हेमरेज हो रहा है, किसी को पैरालिसिस हो रहा है, किसी को ब्रेन स्ट्रोक आ रहा है, किसी को कार्डियक अरेस्ट हो रहा है, किसी को हार्ट अटैक आ रहा है कम्प्लकेशन बहुत है खतरनाक है । मधुमेह या चीनी की बीमारी एक खतरनाक रोग है। रक्त ग्लूकोज स्तर बढा़ हूँआ मिलताहै, इन मरीजों में रक्त कोलेस्ट्रॉल, वसा के अवयव के बढने के कारण ये रोग होता है। इनमरीजों में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है। भोजन पेट में जाकर एक प्रकार के ईधन में बदलता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं। यह एक प्रकार की शर्करा होती है। ग्लूकोज रक्त धारा में मिलता है और शरीर की लाखों कोशिकाओं में पहुंचता है। अग्नाशय ग्लूकोज उत्पन्न करता है इनसुलिन भी रक्तधारा में मिलता है और कोशिकाओं तक जाता है।
मधुमेह बीमारी का असली कारण जब तक आप लोग नही समझेगे आपकी मधुमेह कभी भी ठीक नही हो सकती है जब आपके रक्त में वसा (कोलेस्ट्रोल) की मात्रा बढ जाती है तब रक्त में मोजूद कोलेस्ट्रोल कोशिकाओ के चारों वो चिपक जाता है और खून में मोजूद इन्सुलिन कोशिकाओं तक नही पहुँच पाता है (इंसुलिन की मात्रा तो पर्याप्त होती है किन्तु इससे रिसेप्टरों को खोला नहीं जा सकता है, अर्थात पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती है) वो इन्सुलिन शरीर के किसी भी काम में नही आता है जिस कारण से शरीर में हमेशा शुगर का स्तर हमेशा ही बढा हुआ होता है जबकि जब हम बाहर से इन्सुलिन लेते है तब वो इन्सुलिन नया-नया होता है तो वह कोशिकाओं के अन्दर पहुँच जाता है अब आप समझ गये होगे कि मधुमेह का रिश्ता कोलेस्ट्रोल से है न कि शुगर से.
जब सम्भोग के समय पति पत्नी आपस में नही बना कर रख नही पाते है या सम्भोग के समय बहुत तकलीफ होती है समझ जाइये मधुमेह हो चूका है या होने वाला है क्योकि जिस आदमी को मधुमेह होने वाला हो उसे सम्भोग के समय बहुत तकलीफ होती है क्योकि मधुमेह से पहले जो बिमारी आती वो है सेक्स में प्रोब्लम होना, मधुमेह रोग में शुरू में तो भूख बहुत लगती है। लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है। शरीर सुखने लगता है, कब्ज की शिकायत रहने लगती है। अधिक पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रोगी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्म/घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता। तो ऐसी स्थिति में हम क्या करें? राजीव भाई की एक छोटी सी सलाह है कि आप इन्सुलिन पर ज्यादा निर्भर ना करे क्योंकि यह इन्सुलिन डायबिटीज से भी ज्यादा खतरनाक है, साइड इफेक्ट्स बहुत है इसके । इस बीमारी के घरेलू उपचार निम्न लिखित हैं।
आयुर्वेद की एक दवा है जो आप घर में भी बना सकते है – - 100 ग्राम मेथी का दाना - 100 ग्राम करेले के बीज - 150 ग्राम जामुन के बीज - 250 ग्राम बेल के पत्ते (जो शिव जी को चढाते है )
इन सबको धुप में सुखाकर पत्थर में पिसकर पाउडर बना कर आपस में मिला ले यही औषधि है ।
औषधि लेने की पद्धति : सुबह नास्ता करने से एक घंटे पहले एक चम्मच गरम पानी के साथ ले, फिर शाम को खाना खाने से एक घंटे पहले ले। तो सुबह शाम एक एक चम्मच पाउडर खाना खाने से पहले गरम पानी के साथ आपको लेना है । देड दो महीने अगर आप ये दवा ले लिया । ये औषधि बनाने में 20 से 25 रूपया खर्च आएगा और ये औषधि तीन महिने तक चलेगी और उतने दिनां में आपकी सुगर ठीक हो जाएगी । सावधानी - सुगर के रोगी ऐसी चीजे ज्यादा खाए जिसमे फाइबर हो रेशे ज्यादा हो, High Fiber Low Fat Diet घी तेल वाली डायेट कम हो और फाइबर वाली ज्यादा हो रेशेदार चीजे ज्यादा खाए। सब्जिया में बहुत रेशे है वो खाए, डाल जो छिलके वाली हो वो खाए, मोटा अनाज ज्यादा खाए, फल ऐसी खाए जिनमे रेशा बहुत है । - चीनी कभी ना खाए, डायबिटीज की बीमारी को ठीक होने में चीनी सबसे बडी रुकावट है। लेकिन आप गुड खा सकते है । - दूध और दूध से बनी कोई भी चीज नही खाना । - प्रेशर कुकर और अलुमिनम के बर्तन में ना ना बनाए । - रात का खाना सर्यास्त के पूर्व करना होगा । जो डायबिटीज आनुवंशिक होतें है वो कभी पूरी ठीक नही होता सिर्फ कण्ट्रोल होता है उनको ये दवा पूरी जिन्दगी खानी पडेगी, पर जिनको आनुवंशिक नही है उनका पूरा ठीक होता है ।
पथरी की चिकित्सा
गुर्दे की पथरी चाहे जितनी बडी हो गयी हो आपरेशन कराने से बचना चाहिये और पथरी का इलाज होम्योपैथिक अथवा आयुर्वेदिक तरीके से कराना चाहिये आयुर्वेदिक ईलाज :- पाषाणभेद नाम का एक पौधा होता है। उसे पत्थरचटा भी कुछ लोग बोलते हैं। उसके 2 पत्तों को पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें। अब इस काढ़ां को एक 3 बार (सुबह, दोपहर, और रात) लेना है। 3 बार अधिक से अधिक और कम से कम 2 बार। मात्र 7 से 15 दिन में पूरी पथरी खत्म और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती है। होम्योपैथी ईलाज: - होम्योपैथी में एक दवा है और वो आपको किसी भी होम्योपैथी की दुकान पर मिल जायेगी। उसका नाम है BERBERIS VULGARIS ये दवा के आगे लिखना है MOTHER TINCHER, ये उसकी पोटेंसी (ताकत) है। वो दुकान वाला समझ जायेगा। यह दवा होम्योपैथी की दुकान से ले आइये। (ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पत्थरचटा नाम के पौधे से बनी है बस फर्क इतना है ये पत्थरचटा पौधे का Botanical name BERBERIS VULGARIS ही है।) अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/4) कप गनगुने पानी में मिलाकर दिन में चार बार (सुबह, दोपहर, शाम और रात) लेना है। चार बार अधिक से अधिक और कम से कम तीन बार। इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी-कभी दो महीने भी लग जाते हैं। इससे जितने भी Stone है, कहीं भी हो पित्ताश्य (Gall Bladder) में हो या फिर किडनी में हो, या युनिद्रा के आसपास हो, या फिर मूत्रपिंड में हो। वो सभी पथरी को तोड़कर पिघलाकर ये निकाल देता है। 99% केस में डेढ़ से दो महीने में ही सब टूट कर निकाल देता है कभी-कभी हो सकता है तीन महीने में लेना पड़े। आप तीन महीने बाद सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह गया है। अगर रह गया है तो थोड़े दिन और ले लीजिए। इस दवा का कोई साईड इफेक्ट नहीं है। ये तो हुआ जब पथरी टूट के निकल गया अब दोबारा भविष्य में यह ना बने उसके लिए क्या? क्योंकि जिन लोगों को पथरी होती है निकलने के बाद भी बार-बार हो जाती है। पथरी टूट के निकल जाये और दुबारा कभी ना हो इसके लिए होम्योपैथी में एक दवा है CHINA 1000 इस दवा को एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम दो-दो बूंद सीधे जीभ पर डाल दें भविष्य में कभी पथरी नहीं बनेगी। मगर यह दवा तब काम करेगी जब पथरी ना हो।
गठिया की चिकित्सा
दोनां तरह के गठिया (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) में आप एक दवा का प्रयोग करें जिसका नाम है चुना, वह चुना जो आप पान में खाते हो। गेहूँँ के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही में मिलाकर खाना चाहिए, नहीं तो दाल में मिलाकर, नहीं तो पानी में मिलाकर पीना लगातार तीन महीने तक, तो गठिया ठीक हो जाती है। ध्यान रहे पानी पीने के समय हमेशा बैठ के घँूट-घँूट कर के पीना चाहिए नहीं तो बीमारी ठीक नहीं होगी। अगर आपके हाथ या पैर की हड्डी में कट-कट की आवाज आती हो तो वो भी चने से ठीक हो जायेगा। दोनां तरह के गठिया के लिए और एक अच्छी दवा है वो है छोटा मेथी दाना। एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक कांच के गिलास में गर्म पानी लेकर उसमं डालना, फिर उसको रात भर भिगोकर रखना। सवेरे उठ कर पानी घुट घुट करके पीना और मेथी का दाना चबाकर-चबाकर खाना। तीन महीने तक लेने से गठिया ठीक हो जाता है। ध्यान रहे पानी पीने के समय हमेशा बैठ कर पीना चाहिए नहीं तो बीमारी ठीक नहीं होगी। जोड़ों का दर्द यदि बहुत पुराना हो भूले 20 साल या 30 साल पुराना हो या जब डाक्टर कहे कि घुटने बदलने पड़ेगें उस समय चुना काम नहीं करेगा। उसको चने की जगह हारश्रृंगार के पत्तों का काढ़ा देना पड़ेगा । हारश्रृंगार को पारीजात भी कहते हैं। इसमें सफेद रंग के छोटे फूल होते हैं जिनकी नारंगी रंग की डंडी होती है। इसके फूलों में बहुत तेज खुशबु होती है। इस पेड़ के 7-8 पत्तों को बारीक पीस कर चटनी जैसा बनाकर एक गिलास पानी में उबालें, आधा गिलास रह जाने पर सुबह खाली पेट पी लें। तीन महीने में यह समस्या बिल्कुल ठीक हो जायेगी । किसी भी तरह का बुखार होने की स्थिति में भी यह काढ़ा काम करता है। उस स्थिति में 7-8 दिन ही देना है। ये औषधि बहुत खास (Exclusive) है और बहुत Strong औषधि है । इसलिए अकेली ही देना चाहिये, इसके साथ कोई भी दूसरी दवा ना दे नहीं तो तकलीफ होगी। ध्यान रहे पानी पीने के समय हमेशा बैठ के घूंट घूंट कर पीना चाहिये नहीं तो ठीक नहीं होंगे।
गंभीर इमरजेन्सी
आमजन के मस्तिष्क मं यह बात बहुत गहराई तक बैठी हुई है कि गंभीर इमरजेन्सी से आयुर्वेद और होम्योपैथिक दवा का कोई नाता नहीं है क्योंकि गंभीर इमरजेन्सी मं यह नाकाम है लेकिन यह तथ्य पूर्णत: गलत है. कुछ विशिष्ट आयुर्वेद और होम्योपैथिक दवाए गंभीर इमरजेन्सी को फौरन नियंत्रित करने मं सक्षम हैं. यहाँ हम ऐसे ही कुछ गंभीर इमरजेन्सी और उनकी दवाओं का विवरण दिया है :-
जलना
आग या किसी गरम चीज से अचानक से जल जाने से शरीर में फफोले पड़ जाते हैं। घी, तेल, दूध, चाय, भाप, गरम तवे से जलने से भी फफोले पड़ जाते हैं। काफी तेज जलन होती है। कभी-कभी फफोलों में मवाद भी आ जाता है। इसके घरेलू उपाय निम्न लिखित हैं। - यदि किसी व्यक्ति की त्वचा जल गई है तो उसके जले हुए भाग को तुरंत पानी के अन्दर करके काफी देर तक हिलाते रहना चाहिए। जब जलन शांत हो जाए । - आलू पीसकर लगाना चाहिए। इससे रोगी की जलन बहुत जल्दी ठीक हो जाती है । शरीर पर किसी भी तरह का घाव होने पर या चोट लग जाने पर पहले गोमूत्र या गर्म पानी से धोना है। उसके गेंदे के फूल की पंखुड़ियां, हल्दी और गोमूत्र की चटनी बनाकर लगानी है इसके बाद CALENDULA OFFICINALIS (MOTHER TINCHER) लगा कर गेंदे के फूल (पंखुड़ियां) चटनी करके लगाना है। उस जख्म भी जल्दी भरने के लिए शरीर पर किसी भी तरह का घाव, बहुत गंभीर चोट वाला पूरा आर्टिकल पढे।
हड्डी टूटना
हड्डी टूटना एक आम इमजेर्ंसी है जो प्राय: वृद्ध लोगो में, बच्चों मैं अथवा दुर्घटना आदि के कारण हो सकती है. हड्डी टूटने पर होम्योपथी दवा अर्निका 1M देना है, जो दर्द को दूर करता हैं । अर्निका 200 की 2-2 बूंद हर आधा घंटे में तीन बार देना है। अगर हड्डी टूट गई है तो टूटी हड्डी को पुन: जोड़ने के लिए अगले दिन एक दाना गेहूँ के बराबर चुना दहीं में मिलाकर दिन में एक बार 15 से 20 दिन तक देना है
मोच
सामान्य कार्य के दौरान,भारी वजन उठाने से, गलत तरीके से कसरत करने से आदि अनेक कारन हैं जो मोच के लिए उत्तरदयी हो सकते हैं.प्राय: मोच शरीर के लचीले भागों जैसे कलाई, कमर, पैर, आदि को प्रभावित करती है। मोच के लिए होम्योपैथिक दवा हैं जो ना केवल मोच के दर्द को दूर कर देती हैं बल्कि सुजन को भी दूर करती हैं। हड्डी टूटने पर उसे पुन: जोड़ने के लिए अगले दिन से एक दाना गेहूँ के बराबर चुना दहीं में मिलाकर दिन में एक बार 15 से 20 दिन तक देना है। शरीर के किसी भी भाग में बिना रक्त निकले चोट लगने या मुड़ जाने पर या मार लगने, गिरने पर अर्निका 200 की 2-2 बूंद हर आधा घंटे में तीन बार देना है।
सामान्य चोट
बच्चो को खेलते वक्त चोट लगना, और काम करते समय मामूली चोट या कट लगना अथवा वाहन से मामूली दुर्घटना होना । ये सभी सामान्य चोट के अर्न्तगत आते है ऐसे समय में कुछ उपयोगी होम्योपैथिक दवाए न केवल कटे हुए घाव भरने, रक्तस्त्राव रोकने में उपयोगी है बल्कि ये दर्द को भी कम कर देती है शरीर के किसी भी भाग में बिना रक्त निकले चोट लगने या मुड़ जाने पर या मार लगने, गिरने पर अर्निका 200 की 2-2 बूंद हर आधा घंटे में तीन बार देना है। शरीर पर चोट लगने से खून बहने पर होम्योपैथी की दवा हाईपेरिकम 200 2-2 बूंद हर आधे घण्टे से तीन बार, अगर चोट ज्यादा है और खून बह रहा है तो हाईपेरिकम 1M 1-1 बूंद हर आधे घण्टे में तीन बार देना है।
सांप के काटने पर चिकित्सा
सांप काटने पर नाजा-30 हर दस मिनट में 2-2 बूंद तीन बार देना है। अगर ठीक हो रहा है, तो इसी को चाल रखना है। अगर समय ज्यादा हो गया या फर्क नहीं है तो नाजा-200 2-2 बूंद हर दस मिनट में तीन बार देना है। ठीक होने पर कोई भी दवा नहीं देना है। अगर नाजा-200 से भी ठीक नहीं है तो नाजा 1M की 2 को बूंद आधा कप पानी में डालकर एक चम्मच हर आधे घण्टे में तीन बार पिलाना है। अगर इससे भी ठीक ना हो तो नाजा 10M की आधा कप पानी मं एक बूंद डाल कर एक चम्मच एक ही बार पिलाना है। जब कन्ट्रोल में आए तो गर्म पानी या मंगदाल का उबाला हुआ पानी देना है। खाना अगर देना है तो थोड़ी मूंगदाल की खिचड़ी दे सकते हैं।
बिच्छू, मधुमक्खी के काटने पर, सुई या काटा लगने की चिकित्सा
बिच्छू के काटने पर बहुत दर्द होता है जिसको बिच्छू काटता है उसके सिवा और कोई जान नहीं सकता कितना भयंकर कष्ट होता है। तो बिच्छू काटने पर एक दवा है और उसका नाम है Silicea 200 इसका लिक्विड 5 मि.ली. घर में रखें। बिच्छू काटने पर इस दवा को जीभ पर एक बूंद 10-10 मिनट के अंतर पर तीन बार देना है। बिच्छू जब काटता है तो उसका जो डंक है उसको अन्दर छोड़ देता है वो ही दर्द करता है। इस डंक को बाहर निकालना आसान काम नहीं है। डाक्टर के पास जायेंगे वो काट कर चीरा लगायेगा फिर खींच के निकालेगा। खून भी बहेगा और तकलीफ भी होगी। ये दवाई इतनी बेहतरीन है कि आप इसके तीन डोज देंगे 10-10 मिनट पर एक-एक बूंद और आप देखेंगे कि वो डंक अपने आप निकल कर बाहर आ जायेगा। सिर्फ तीन डोज में आधे घण्टे में आप रोगी को ठीक कर सकते हैं। बहुत जबरदस्त दवाई है ये Silicea 200 यह दवाई और भी बहुत काम आती है। अगर आप सिलाई मशीन में काम करती हैं तो कभी-कभी सई चुभ जाती है और अन्दर टूट जाती है। उस समय भी आप ये दवाई ले लीजिये। ये सूई को भी बाहर निकाल देगी। आप इस दवाई को और भी कई परिस्थितियां में ले सकते हैं जैसे कांटा लग गया हो, कांच घुस गया हो, ततैया ने काट लिया हो, मधुमक्खी ने काट लिया हो ये सब जो काटने वाले अन्दर जो छोड़ देते हैं उन सब के लिए आप इसको ले सकते हैं। बूंदक की गोली लगने पर गोली को बाहर निकालने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। बहुत तेज दर्द निवारक है और जो कुछ अन्दर छुटा हुआ है उसको बाहर निकालने की दवाई है। बहुत सस्ती दवाई है। 5 मि.ली. सिर्फ 10 रूपये की आती है। इससे कम से कम 50 से 100 लोगों का भला हो सकता है।
पागल कुत्ता काटने
अगर घरेलु कुत्ता काटे तो कोई दिक्कत नही है पर पागल कुत्ता कटे तो समस्या है। सड़क वाला कुत्ता काटले तो आप जानते है नही उसको इंजेक्शन दिए हुए है या नही, उसने काट लिया तो आप डाक्टर के पास जायेंगे फिर वो 14 इंजेक्शन लगाएगा वो भी पेट में लगाता है, उससे बहुत दर्द होता है और खर्च भी हो जाता है कम से कम 50000 तक कई बार, गरीब आदमी के पास वो भी नही है। कुत्ता कभी भी काटे, पागल से पागल कुत्ता काटे, घबराइए मत, चिंता मत करिए बिलकुल ठीक होगा वो आदमी बस उसको एक दवा दे दीजिये। दवा का नाम है Hydrophobinum 200 और इसको 10-10 मिनट पर जीभ में तीन ड्रोप डालना है। कितना भी पागल कुत्ता काटे आप ये दवा दे दीजिये और भूल जाइये के कोई इंजेक्शन देना है। इस दवा को सूरज की धुप और रेफ्रीजिरेटर से बचाना है। रेबिस सिर्फ पागल कुत्ता काटने से ही होता है पर साधारण कुत्ता काटने से रेबिस नही होता। आवारा कुत्तों अगर काट दिया है तो राजीव भाई के अनुसार आप अपना मन का बहम दूर करने के लिए ये दवा दे सकते है लेकिन उससे कुछ नही होता वो हमारा मन का बहम है जिससे हम परेसान रहते है, और कुछ डर डाक्टरों ने बिठा रखा है के इंजेक्शन तो लेना ही पड़ेगा। अपने शरीर में थोड़े बहुत Resistance सबके पास है अगर कुत्ते के काटने से उनके लार-ग्रंथी के कुछ वायरस चले भी गये है तो उनको खतम करने के लिए हमारे रक्त में काफी कुछ है और वो खतम कर ही लेता है। लेकिन क्योंकि मन में भय बिठा दिया है शंका हो जाती है हमको confirm नही होता जब तक20000-50000 खर्च नही कर लेते ये उस समय लिए राजीव भाई ने ये दवा लेने की बात कही है। और इसका एक एक ड्रोप 10-10 मिनट में जीभ पर तीन बार डाल के छोड़ दीजिये । 30 मिनट में ये दवा सब काम कर देगा। कई बार कुत्ता घर के बच्चो से साथ खेल रहा होता है और गलती से उसका कोई दाँत लग गया तो आप उस जखम में थोडा हल्दी लगा दीजिये पर साबुन से उस जखम को बिलकुल मत धोये नही तो वो पक जायेगा हल्दी Antibiotic, Antipyretic, Antititetanatic, Antiinflammatory है।
चोट लगने लेकिन खून ना बहने पर
शरीर के किसी भी भाग में बिना रक्त निकले चोट लगने या मुड़ जाने पर या मार लगने, गिरने पर अर्निका 200 की 2-2 बूंद हर आधा घंटे में तीन बार देना है। अगर सूजन है या मार ज्यादा लगी है और अगर बेहोशी है तो अर्निका 1M एक बूंद हर एक घण्टे के अंतर में तीन बार देना है। उससे भी ज्यादा गंभीर स्थिति होने पर अर्निका 10M एक बूंद एक ही बार देनी है। हड्डी टूटने पर होम्योपथी दवा अर्निका 1M देना है, जो दर्द को दूर करता हैं। अर्निका 200 की 2-2 बूंद हर आधा घंटे में तीन बार देना है। हड्डी टूटने पर उसे पुन: जोड़ने के लिए अगले दिन से एक दाना गेहूँँ के बराबर चुना दहीं में मिलाकर दिन में एक बार 15 से 20 दिन तक देना है। नोट: - पथरी के मरीज को चुना नहीं लेना है।
चोट लगने और खून बहने पर इसकी चिकित्सा
शरीर पर चोट लगने से खून बहने पर होम्योपैथी की दवा हाईपेरिकम 200 2-2 बूंद हर आधे घण्टे से तीन बार, अगर चोट ज्यादा है और खून बह रहा है तो हाईपेरिकम 1M 1-1 बूंद हर आधे घण्टे में तीन बार देना है। अगर सिर पर बहुत चोट हो और सिर से बहुत खून बह रहा हो तो हाईपेरिकम 10M, 50M, 1CM ताकत की दवाई देना होगा। ये दवाई नया खून भी बनाती है लेकिन वही खून चोट दोरान निकल गया है रक्त दान खून वाला नही ।
टिटनेस
लोहे की जंग लगी वस्तु से चोट लगाने पर या वाहन से दुर्घटना होने पर टिटनेस का खतरा पैदा हो जाता है जो जानलेवा भी साबित हो सकता है. होम्योपैथी मैं टिटनेस के लिए दोनां विकल्प मौजूद हैं - 1) चोट लगने पर फौरन ली जाने वाली दवाई ताकि भविष्य मं टिटनेस की सम्भावना न रहे 2) टिटनेस हो जाने पर उसे आगे बढ़ने से रोकने तथा उसके उपचार हेतु ली जाने वाली दवाई जैसे - Hypericum शरीर पर चोट लगने से खून बहने पर होम्योपैथी की दवा हाईपेरिकम200 2-2 बूंद हर आधे घण्टे से तीन बार, अगर चोट ज्यादा है और खून बह रहा है तो हाईपेरिकम 1M 1-1 बूंद हर आधे घण्टे में तीन बार देना है। अगर सिर पर बहुत चोट हो और सिर से बहुत खून बह रहा हो तो हाईपेरिकम 10M, 50M, 1CM ताकत की दवाई देना होगा। शरीर पर किसी भी तरह का घाव, बहुत गंभीर चोट कुछ चोट लग जाती है, और कुछ छोटे बहुत गंभीर हो जाती है। जैसे कोई डाईबेटिक पेशेंट है चोट लग गयी तो उसका सारा दुनिया जहां एक ही जगह है, क्योंकि जल्दी ठीक ही नही होता है। और उसके लिए कितना भी चेष्टा करे करे डाक्टर हर बार उसको सफलता नही मिलता है। और अंत में वो चोट धीरे धीरे गैंग्रीन (अंग का सड जाना) में कन्वर्ट हो जाती है। और फिर काटना पडता है, उतने हिस्से को शारीर से निकालना पडता है। ऐसी परिस्तिथि में एक औषधि है जो गैंग्रीन को भी ठीक करती है और ओस्टोमएलइटिस (अस्थिमज्जा का प्रदाह) को भी ठीक करती है। गैंग्रीन माने अंग का सड जाना, जहाँ पर नए कोशिका विकसित नही होते। ना तो मांस में और ना ही हड्डी में और सब पुराने कोशिका मरते चले जाते हैं। इसी का एक छोटा भाई है ओस्टोमएलइटिसइस में भी कोशिका कभी पुनर्जीवित नही होते, जिस हिस्से में होता है उहाँ बहुत बडा घाव हो जाता है और वो ऐसा सडता है के डाक्टर कहता है की इसको काट के ही निकलना है और कोई दूसरा उपाय नही है।। ऐसे परिस्तिथि में जहां शारीर का कोई अंग काटना पड जाता हो या पडने की संभावना हो, घाव बहुत हो गया हो उसके लिए आप एक औषधि अपने घर में तैयार कर सकते है। औषधि है देशी गाय का मूत्र (सती के आट परत कपडो में चन कर), हल्दी और गेंदे का फुल। गेंदे के फुल की पिला या नारंगी पंखरियाँ निकलना है, फिर उसमे हल्दी डालकर गाय मूत्र डालकर उसकी चटनी बनानी है। अब चोट कितना बडा है उसकी साइज के हिसाब से गेंदे के फुल की संख्या तय होगी, माने चोट छोटे एरिया में है तो एक फुल, बडे है तो दो, तीन, चार अंदाज से लेना है। इसकी चटनी बनाकर इस चटनी को लगाना है जहाँ पर भी बाहर से खुली हुई चोट है जिससे खून निकल रहा है और ठीक नही हो रहा। कितनी भी दवा खा रहे है पर ठीक नही हो रहा, ठीक ना होने का एक कारण तो है डायबिटीज दूसरा कोई जिनगत कारण भी हो सकते है। इसको दिन में कम से कम दो बार लगाना है जैसे सुबह लगाकर उसके ऊपर रुई पट्टी बांध दीजिये ताकि उसका असर बाँडी पर रहे और शाम को जब दुबारा लगायेंगे तो पहले वाला धोना पडेगा टी इसको गोमूत्र से ही धोना है डेटोल जैसो का प्रयोग मत करिए, गाय के मूत्र को डेटोल की तरह प्रयोग करे। धोने के बाद फिर से चटनी लगा दे। फिर अगले दिन सुबह कर दीजिये। यह इतना प्रभावशाली है के आप सोच नही सकते, चमत्कार जैसा लगेगा। इस औषधि को हमेशा ताजा बनाकर लगाना है। किसी का भी जखम किसी भी औषधि से ठीक नही होरहा है तो ये लगाइए। जो सोराइसिस गिला है जिसमे खून भी निकलता है, पस भी निकलता है उसको यह औषधि पर्णरूप से ठीक कर देता है। अकसर यह एक्सीडेंट के केस में खूब प्रयोग होता है क्योंकि ये लगाते ही खून बंद हो जाता है। आपरेशन का कोई भी घाव के लिए भी यह सबसे अच्छा औषधि है। गीला एक्जीमा में यह औषधि बहुत काम करता है, जले हुए जखम में भी काम करता है।
हार्ट अटेक
हार्ट अटेक जैसी गंभीर इमर्जंसी में होम्योपैथिक दवा ACONITE -200 की 2-2 बूंद हर आधा घंटे में तीन बार देना है। अगर आपने इतना भी कर दिया तो रोगी की जान बच जायेगी आगे रोगी को कही भी हॉस्पिटल में ले जाने की कोई जरुरत नही पडेगी । कभी कभी तो ऐसी भी हालत होती है कि रोगी हॉस्पिटल पहुँचने से पहले रास्ते में ही दम तोड देता है क्योंकि हार्ट अटेक के रोगी को फौरन देखभाल तथा उपचार की जरूरत होती है । ये दवा केवल आदमी की जान बचाने के लिये काम आती है अगर आपको आगे हार्ट के ब्लॉकेज को दूर करना है तो आगे आप हदय ब्लॉकेज आर्टिकल पर जाकर पूरा इलाज को पढ सकते है ये दवाई केवल जान बचाने के लिए है क्योंकि इमरजेन्सी मं हदय ब्लॉकेज जब तक दूर होगा जब तक अगर बीच में कभी हदय अटैक आता है तो जान बचाने के लिये काम आती है। गारंटी से ठीक हो जायेगा ये दवा ACONITE -200 खरीद कर अपने घर में रख ले !
शरीर पर किसी भी तरह का घाव
शरीर पर किसी भी तरह का घाव होने पर या चोट लग जाने पर पहले गोमूत्र या गर्म पानी से धोना है। उसके गेंदे के फूल की पंखुड़ियां, हल्दी और गोमूत्र की चटनी बनाकर लगानी है बाद CALENDULA OFFICINALIS (MOTHER TINCHER) लगा कर गेंदे के फूल (पंखुड़ियां) चटनी करके लगाना है।
डायरिया, उल्टी या दस्त होने पर
Nux Vomica 200 2-2 बूंद दिन में तीन बार सुबह, दोपहर व शाम को दो तीन दिन चाल रखना है। हर्निया के लिए Nux Vomica 1M 1-1 बूंद दिन में तीन बार प्रत्येक एक-एक घण्टे से फिर वापिस 15 दिन या फिर 15 दिन बाद तीन महीने तक।
घात जाने पर
Nux Vomica 1M सुबह खाली पेट प्रत्येक 1-1 घण्टे में तीन बार देना है।
अपेन्डेक्स (Appendix)
Nux Vomica 200 रात के भोजन के एक घण्टे बाद 2 बूंद फिर तीन दिन बाद 2 बूंदे (दस बार तक ले सकते हैं) OR - Nux Vomica 30 - रोज रात को एक बूंद - Sulphar 200 - हफ्ते में एक दिन सुबह-दोपहर-शाम एक-एक बूंद दिन में तीन बार नोट: - अस्थमा के मरीज को कभी भी सल्फर नहीं देना।
स्वप्न दोष
Nux Vomica 200 रात को सोते समय 2 बूंद हर तीन दिन बाद फिर से ले सकते हैं। रोज नहीं।
पीलिया
हेपेटाईटस A, B, C, D, E के ईलाज - गेहूँँ के दाने के बराबर चुना गन्ने के रस के साथ पान में लगाकर दिन में एक बार 10 से 12 दिन तक लेना है। - पीलिया होने पर Nux Vomica - 30 2-2 बूंद दिन में तीन बार 10 से 12 दिन तक लेना है। - BERBERIS VULGARIS Mother Tincher की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/4) कप गुणगुने पानी में मिलाकर दिन में चार बार (सुबह, दोपहर, शाम और रात) को लेना है।
बवासीर, फिस्टला या भगन्दूर होने पर
- एक केले को बीच से चीरा लगाकर चुना बराबर कपर बीच में रख दें फिर इसे खाए इससे बवासीर एकदम ठीक हो जाती है साथ में देशी गाय का मूत्र भी पीयें। - अगर रोग बढ गया है तो आपको साथ में ये होम्योपैथिक दवा भी खाना होगा - Nux Vomica 30 - रोज रात को एक बूंद - Sulphar 200 - हफ्ते में एक दिन सुबह-दोपहर-शाम एक-एक बूंद दिन में तीन बार नोट :- अस्थमा के मरीज को कभी भी सल्फर नहीं देना।
गंभीर लकवा होने पर, रोगी को शरीर में सुन्नता, छुने पर कोई संवेदना नहीं होना, नसों में जकड़न
नसों में जकड़न और पक्षाघात या Paralysis में एक दवा का नाम है Rhustox - 30 जिस दिन पक्षाघात आता है रोगी को 15-15 मिनट पर तीन बार दो-दो बूंद मुंह में दे और इसी Rhustox - 30 को लगातार करते हुए रोज सुबह, दोपहर, शाम दें साथ में एक और दवा है Causticum - 1M जिस दिन Rhustox - 30 दिया दसरे दिन Causticum - 1M की दो-दो बूंद तीन बार दें और Causticum - 1M को Rhustox - 30 के आधे घंटे बाद देना है। ये Rhustox- 30 रोज की दवाई है। पर Causticum - 1M हफ्ते में एक दिन दो-दो बूंद तीन बार (सुबह, दोपहर, शाम) देनी चाहिए। ऐसे करके पक्षाघात के रोगी को दवा देंगे तो कोई एक महीने में ठीक हो जायेगा कोई 15-20 दिन में ठीक हो जायेगा किसी को 45 दिन लगेगें और ज्यादातर दो महीने से ज्यादा नहीं लगेंगे ठीक होने में। अगर किसी को Paralysis आने के 15 दिन या एक महीने बाद से दवा दिया जाये तो वो रोगी तीन महीने में ठीक हो जाते हैं, तीन महीने से ज्यादा समय नहीं लगता।
मिरगी
मिर्गी होने का सबसे प्रमुख कारण बुखार होने के समय दी जाने वाली दवाइयाँ के साइडइफेक्ट के कारण आदमी को इस प्रकार की बिमारियों में होती है अत्यधिक शराब पीना, अधिक शारीरिक श्रम, सिर में चोट लगने से भी यह बीमारी हो सकती है। इस रोग में अचानक से दौरा पडता है और रोगी गिर पडता है। हाथ और गर्दन अकड जाती है, पलकें एक जगह रूक जाती हैं, रोगी हाथ पैर पटकता है, जीभ अकड़ जाने से बोली नहीं निकलती, मुह से पीला झाग निकलता है। दात किटकिटाना और शरीर में कपंकपी होना सामान्य रूप से देखा जाता है। चारों तरफ या तो काला अंधेरा दिखाई देता है या सब चीजें सफेद दिखाई देती हैं। इस तरह के दौरे 10-15 मिनट से लेकर 1-2 घण्टे तक के भी हो सकते हैं। पुन: रोगी को जब होश आता है तब थका हुआ होता हैै और सो जाता है। इसके घरेलू उपचार निम्न लिखित हैं। - एक दवा का नाम है Rhustox - 30 इस Rhustox - 30 को लगातार करते हुए रोज सुबह, दोपहर, शाम दें साथ में एक और दवा है Causticum - 1M जिस दिन Rhustox - 30 दिया दसरे दिन Causticum - 1M की दो-दो बूंद तीन बार दें और Causticum - 1M को Rhustox - 30 के आधे घंटे बाद देना है। ये Rhustox - 30 रोज की दवाई है। पर Causticum – 1M हफ्ते में एक दिन दो-दो बूंद तीन बार (सुबह, दोपहर, शाम) देनी चाहिए। - एक दाना गेहूँँ के बराबर चुना दहीं में मिलाकर दिन में एक बार 15 से 20 दिन तक देना है। Calcarea Phos 3X की 4 चार चार गोलियों को दिन में 3 बार रोगी को दे साथ में मिल सके तो नाक में सोते समय देशी गाय का घी भी जरुर डाले
न्युमोनिया
जब फेफड़ों में लगातार दर्द रहने लगे तो न्युमोनिया कहलाता है। यह मुख्य: रूप से ठंड लग जाने के कारण तथा फेफड़ों में सूजन आ जाने से हो जाता है। सर्दी, गर्मी में परिवर्तन एकाएक पसीना आना, जीवाणुओं द्वारा संक्रमण आदि के कारण हो जाता है। इस बीमारी में फेफड़ों में कफ बढ़ जाता है। छाती में तेज दर्द रहता है। रोगी को बेहोशी आने लगती है। श्वास लेने में कष्ट होता है और खॉसी की भी शिकायत रहती है। न्युमोनिया में होम्योपैथिक दवा ACONITE -200 की 2 बूंद कप पानी में डालकर एक चम्मच में दिन तीन बार पिलाना है। केवल 1 ही दिन देना है
कैंसर
कैंसर बहुत तेजी से बड़ रहा है इस देश में। हर साल बीस लाख लोग कैंसर से मर रहे हैं और हर साल नए केस आ रहे हैं और सभी डॉक्टर हाथ-पैर डाल चुके हैं। राजीव भाई की एक छोटी सी विनती है याद रखना कि..........'कैंसर के मरीज को कैंसर से मृत्यु नहीं होती है बल्कि जो ईलाज कैंसर के लिए दिया जाता है उससे मृत्यु होती है।'' मतलब कैंसर से ज्यादा खतरनाक कैंसर का ईलाज है। ईलाज कैसा है आप सभी जानते हैं.............. कैिम्योथैरेपी दे दिया, रेडियोथैरेपी दे दिया, कोबाल्ट-थैरेपी दे दिया। इसमें क्या होता है कि शरीर की जो प्रतिरक्षक शक्ति है वो बिल्कुल खत्म हो जाती है। जब कैिम्योथैरेपी दी जाती है ये बोल कर कि हम कैंसर के सेल को मारना चाहते हैं तो अच्छे सेल भी उसी के साथ मर जाते हैं। राजीव भाई के पास कोई भी रोगी जो कैिम्योथैरेपी लेने के बाद वे उनको बचा नही पाए। लेकिन इसका उल्टा भी रिकार्ड है......राजीव भाई के पास बिना कैिम्योथैरेपी लिए हुए कोई भी रोगी आया दूसरी या तीसरी स्टेज तक वो एक भी नही मर पाया। मतलब क्या है ईलाज लेने के बाद जो खर्च आपने कर दिया वो तो मर ही गया और रोगी भी आपके हाथ से गया। डॉक्टर आपको भूल भूलया में रखता है अभी 6 महीने में ठीक हो जायेगा 8 महीने में ठीक हो जायेगा लेकिन अंत में वो जाता ही है। आपके घर परिवार में अगर किसी को कैंसर हो जाये तो ज्यादा खर्चा मत करिए क्योंकि जो खर्च आप करेंगे उससे मरीज का तो भूला नहीं होगा बल्कि उसको इतना कष्ट होता है कि आप कल्पना नहीं कर सकते। उसको जो इंजैक्शन दिए जाते हैं जो गोली खिलाई जाती है उसको जो कैिम्योथैरेपी दी जाती है उससे सारे बाल उड़ जाते हैं, भौंहों के बाल उड़ जाते हैं, चेहरा इतना डरावना लगता है कि पहचान में नहीं आता ये अपना ही आदमी है। इतना कष्ट क्यों दे रहे हो उसको ? सिर्फ इसलिए कि आपको एक अंहकार है कि आपके पास बहुत पैसा है तो ईलाज करा के ही मानंगा। आप अपनी आस पड़ोस की बाते ज्यादा मत सुनिए क्योंकि आजकल हमारे रिश्तेदार बहुत भावनात्मक शोषण करते हैं। घर में किसी को गंभीर बीमारी हो गयी तो जो रिश्तेदार है वो पहले आ के कहते हैं अरे आल इंडिया नहीं ले जा रहे हो ? पी.जी.आई. नहीं ले जा रहे हो ? टाटा इंस्टीटियट मुंबई नहीं ले जा रहे हो ? आप कहोगे नहीं ले जा रहा हँ ....... अरे तुम बड़े कंजूस आदमी हो बाप के लिए इतना भी नहीं कर सकते माँ के लिए इतना नहीं कर सकते। ये बहुत खतरनाक लोग होते हैं। हो सकता है कई बार वो मासमियत के साथ कहते हो, उनका मकसद खराब नहीं होता हो लेकिन उनको जानकारी कुछ भी नहीं है, बिना जानकारी के वो सलाह पर सलाह देते जाते हैं और कई बार अच्छा खासा पढ़ा लिखा आदमी फंसता है उसी में......रोगी को भी गंवाता है पैसा भी जाता है। कैंसर के लिए क्या करे ? हमारे घर में कैंसर के लिए एक बहुत अच्छी दवा है.....अब डॉक्टरों ने मान लिया है पहले तो वे मानते भी नहीं थे उसका नाम है ''हल्दी''। हल्दी कैंसर ठीक करने की ताकत रखती है। हल्दी में एक कैमिकल है उसका नाम है कर्कुमिन और ये ही कैंसर सेलों को मार सकता है बाकि कोई कैमिकल बना नहीं दुनिया में और ये भी आदमी ने नहीं भगवान ने बनाया है। हल्दी जैसा ही कर्कुमिन और एक चीस में है वो है देशी गाय के मूत्र में। गोमूत्र माने देशी गाय के शरीर से निकला हुआ सीधा साधा मूत्र जिसे सती के आठ परत की कपड़ों से छान कर लिया गया हो। तो देशी गाय का मूत्र अगर आपको मिल जाये और हल्दी आपके पास हो तो आप कैंसर का ईलाज आसानी से कर पायेंगे। अब देशी गाय का मूत्र आधा कप और आधा चम्मच हल्दी तथा आधा चम्मच पुनर्नवा चर्ण (पाउडर) तीनों को मिला के गरम करना जिससे उबाल आ जाये फिर उसको ठंडा कर लेना। कमरे के तापमान में आने के बाद रोगी को चाय की तरह पिलाना है.....चुस्कियां ले ले कर सिप कर करके पियें, इससे अच्छा नतीजा आयेंगा। इस दवा में सिर्फ देशी गाय का मूत्र ही काम में आता है जर्सी का मूत्र कुछ काम नहीं आता। और दो देशी गाय काले रंग का हो उसका मूत्र सबसे अच्छा परिणाम देता है इन सब में। इस दवा को (देशी गाय की मूत्र, हल्दी, पुनर्नवा) सही अनुपात में मिला के उबाल के ठंडा करके कांच के पात्र में स्टोर करके रखिए पर बोतल को कभी फ्रिज मं मत रखिये। ये दवा कैंसर के सेकंड स्टेज में और कभी-कभी थर्ड स्टेज में भी बहुत अच्छे परिणाम देती है। जब स्टेज थर्ड क्रास करके चौथी स्टेज में पहुंच जाये तब परिणाम में सफलता की प्रतिशतता थोड़ी कम हो जाती है और अगर आपने किसी रोगी को कैिम्योथैरेपी दे दिया तो फिर इसका कोई असर नहीं आता। कितना भी पिला दो कोई परिणाम नहीं आता। आप अगर किसी रोगी को ये दवा दे रहे है तो उसे पछ लीजिये जान लीजिये कहीं कैिम्योथैरेपी शुरू तो नहीं हो गयी ? अगर शुरू हो गयी है तो आप उसमें हाथ मत डालिए, जैसा डॉक्टर करता है करने दीजिये, आप भगवान से प्रार्थना कीजिये उसके लिए....इतना ही करें। और अगर कैिम्योथैरेपी शुरू नहीं हुई है और उसने कोई ऐलोपैथी ईलाज शुरू नहीं किया तो आप देखेंगे इसके चमत्कारिक परिणाम आते है। ये सारी दवाई काम करती है शरीर की प्रतिकारक शक्ति पर। हमारी जो जीवनी शक्ति है (Vitality) उसका सुधार करती है। हल्दी को छोड़कर गोमूत्र और पुनर्नवा शरीर की जीवनी शक्ति को और ताकतवर बनाती है और जीवनी शक्ति के ताकतवर होने के बाद कैंसर के सेलों को खत्म करती है। ये तो बात हुई कैंसर की चिकित्सा की, पर जिंदगी में कैंसर आए ही ना ये और भी अच्छा है। तो जिंदगी में आपको कभी कैंसर ना हो उसके लिए एक बात याद रखिए आप खाना बनाने में जो तेल इस्तेमाल करते हैं वो रिफाईड तेल या डालडा ना हो। ये देख लीजिए दूसरा जो भी खाना खा रहे हैं उसमें रेशेदार भोजन का हिस्सा ज्यादा हो जैसे छिलके वाली दालें, छिलके वाली सब्जियां, चावल भी छिलके वाला, अनाज भी छिलके वाला तो आप निश्चिन्त रहं आपको कभी कैंसर नहीं होगा। और कैंसर के सबसे बड़े कारणों में से दो तीन कारण है रसायनिक खाद और कीटनाशक का प्रयोग। कैंसर के बारे में सारी दुनिया एक ही बात कहती हैं चाहे वो डॉक्टर हो विशेषज्ञ हो या वैज्ञानिक हो कि इससे बचाव ही इसका उपाय है। महिलायों में आजकल बहुत कैंसर हो रहे है गर्भाशय के, स्तन के और ये काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले गांठ (ट्यूमर) होती है फिर वो कैंसर में बदल जाता है। माताओं और बहनों को क्या करना है कि जिदंगी में कभी (ट्यूमर) ही ना आए। आप के लिए सबसे अच्छा बचाव का काम है जैसे ही आपके शरीर के किसी भी हिस्से में किसी रसौली या गांठ (Unwanted Groth) का पता चलें तो सावधान हो जाईये। हालांकि सभी गांठ या रसौली कैंसर नहीं होती है। 2 या 3 प्रतिशत ही कैंसर में बदलती हैं। लेकिन आप के पास इस रसौली या गांठ को ठीक करने की दुनिया की सबसे अच्छी दवा है ''चुना''। चुना वही जो पान में खाया जाता है। पान वाले की दुकान से चुना ले लाईये यह चुना एक गेहँ के दाने के बराबर रोज खाईये, दही में मिला कर, लस्सी में मिला कर, छाछ या मट्ठा में मिला कर, दाल में मिलाकर, सब्जी में मिलाकर खा लीजिए। अधिक से अधिक तीन महीने तक। ध्यान रहे पथरी के रोगी चुना नहीं खा सकते।
स्त्री रोग(ल्यूकोरिया, रक्त प्रदूर, मासिक धर्म की अधिकता, अनियमितता)
अशोक 4-5 पतें लीजिये, उसे सुबह उसको आंच पर बर्तन में तब तक उबालें जब तक कि वो आधा ना बचे और फिर ठंडा करके पी लीजिये और पतों को चबाकर खा लीजिये (इसे छन्ना नही है) ऐसा लगातार एक महीने तक करना है अगर एक महीने में पूरा ठीक ना या लाभ कम हो तो फिर से एक महीने और दवा लेना पडेगा मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव, अनियमित मासिक धर्म, ल्यूकोरिया, बदबूदार मासिक धर्म, बवासीर, रजोनिवृति के समय में ये काढा पी सकते हो, शरीर में कहीं दर्द हो तो, मासिक धर्म के दौरान होने वाली किसी भी समस्या के लिए ये राम बाण और अचूक औषधि है मासिक स्राव में किसी भी अगर बहुत तकलीफ हो रही हो तो(ये कमर दर्द, स्तनों में दर्द, पेट दर्द और चक्कर आना (जो की मासिक धर्म के समय पर होती है) होने वाली किसी भी समस्या के लिए ये राम बाण और अचूक औषधि है) 250 ग्राम गर्म पानी में (घी पिघला होतो 3 चम्मच जमा हुआ हो तो 1 चम्मच) डालकर पीने से लाभ होगा। यह पानी मासिक स्राव वाले दिनों के दौरान ही पीना है पूरा रोग ठीक हो जायेगा ।
गर्भावस्था
जब कोई माँ गर्भावस्था में है तो चुना रोज खाना चाहिए क्योकि गर्भवती माँ को सबसे ज्यादा काल्सियम की जरुरत होती है और चुना कैल्सियम का सबसे बड़ा भंडार है । गर्भवती माँ को चुना खिलाना चाहिए अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चुना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाकर रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फाईदे होंगे - पहला फाईदा होगा के माँ को बच्चे के जनम के समय कोई तकलीफ नही होगी और नोर्मल डेलीभरी होगा, दूसरा बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हस्त-पुष्ट और तंदरुस्त होगा, तीसरा फायदा वो बच्चा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चुना खाया, और चौथा सबसे बड़ा लाभ है वो बच्चा बहुत होसियार होता है बहुत Intelligent और ठतपससपंदज होता है उसका IQ बहुत अच्छा होता है ।
बच्चे का पेट में उल्टा होना
यह एक बहुत ही गंभीर स्थिती है जिससे अधिकांश महिलाएं प्रसव के दौरान गुजरती हैं. अपने विकास काल के दौरान कभी-कभी शिशु गर्भाशय में आडा या उल्टा हो जाता है. यह स्थिति माता और शिशु दोनां के ही जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है। होम्योपैथी मैं दवा हैं जो इस प्रकार के आपात अवस्था में देने पर फौरन गर्भ में शिशु की स्थिति को भी पुन: सही कर देती हैं जिसका नाम है Pulsatila 200
प्रसव में समस्या
प्रसव में देरी होने पर या गर्भ में पल रहे है बच्चे का आडा या उल्टा होने की सबसे अच्छी दवाई है जब डॉक्टर कितना भी चिल्लाये अॉपेशन करवाओ तब आप अपने मरीज को घर ले आओ या ऐसे किसी डॉक्टर के पास मरीज को लेकर ही मत जाइए. गाय के गोबर और गोमूत्र एक ऐसी विशिष्ट दवा हैं जो इस प्रकार के आपात अवस्था मे देने पर फौरन अपना प्रभाव उत्पन्न करती हैं चाहे डॉक्टर कितना ही चिल्लाये आप किसी देशी बछडी का गोमूत्र और गोबर लेकर आपस में मिलाइये और उसका रस निकल कर माँ को चार चार घंटे के अंतर में 3 बार पिला दीजिये पेट के आदत उल्टा बच्चा भी सीधा हो जाता है और बिना किसी दर्द बच्चा बाहर आ जाता है लेकिन ये दवा 9 महीना पूरा होने के बाद होने वाले प्रसव में ही काम आती है उससे पहले ये अगर बच्चा 7-8 महीने में होता है तो ये दवा इतना काम नही आती है ये रुकी हुई प्रसव पीडा को पुन: प्रारंभ करती हैं, शिशु जन्म को सरल बनती हैं तथा गर्भ में शिशु की स्थिति को भी पुन: सही कर देती है।
दमा, अस्थमा, ब्रोन्कियल अस्थमा
छाती की कुछ बिमारिया जैसे दमा, अस्थमा, ब्रोन्कियल अस्थमा, टीबी, इनकी सबसे अच्छा दवा है :- - गाय मूत्र :- आधा कप देशी गाय का गोमूत्र सुबह पीने से दमा अस्थमा, ब्रोन्कियल अस्थमा सब ठीक होता है। और गोमूत्र पीने से टीबी भी ठीक हो जाता है, लगातार पांच छह महीने पीना पड़ता है। ऐसा करने से गौमूत्र 1 में दमा, अस्थमा ठीक है - दमा अस्थमा :- दमा अस्थमा की और एक अच्छी दवा है दालचीनी, इसका पाउडर रोज सुबह आधे चम्मच खाली पेट गुड या शहद मिलाकर गरम पानी के साथ लेने से दमा अस्थमा ठीक कर देती है। ऐसा करने से गौमूत्र 3 में दमा, अस्थमा ठीक है
गले में कोई भी इन्फेक्शन, टौंसिल
गले में कितनी भी खराब से खराब बीमारी हो, कोई भी इन्फेक्शन हो, इसकी सबसे अच्छी दवा है हल्दी । जैसे गले में दर्द है, खरास है, गले में खासी है, गले में कफ जमा है, गले में टौंसिल हो गया, ये सब बिमारिओं में आधा चम्मच कच्ची हल्दी का रस लेना और मुह खोल कर गले में डाल देना, और फिर थोड़ी देर चुप होकर बैठ जाना तो ये हल्दी गले में नीचे उतर जाएगी लार के साथ, और एक खुराक में ही सब बीमारी ठीक होगी दुबारा डालने की जरुरत नही । ये छोटे बच्चों को तो जरुर करना य बच्चां के टोन्सिल जब बहुत तकलीफ देते है ना तो हम अॉपरेशन करवाकर उनको कटवाते है वो करने की जरुरत नही है हल्दी से सब ठीक होता है ।
तपेदिक, क्षयरोग, टीबी (Tubercle Bacillus)
- टीबी के लिए डोट्स का जो इलाज है, गोमूत्र के साथ उसका असर 20-40 गुणा तक बढ जाता है । - आधा कप देशी गाय का गोमूत्र सुबह पीने टीबी ठीक हो जाता है, लगातार पांच छह महीने पीना पड़ता है ।
हाइपरथाइराडिज्म, हाइपोथायरायडिज्म
हाइपरथाइराडिज्म, हाइपोथायरायडिज्म दोनों प्रकार के थाइरोइड का उपचार धनिया से पूरी तरह से इलाज किया जा सकता! थाइरोइड के लिए धनिया चटनी बनाकर दिन में 2 बार इस्तेमाल करें और जिन लोगो का थाइरोइड के कारण वजन या मोटापा बहुत बडा हुआ है उन लोगो को मोटापा भी इसी से कम होगा। थाइरोइड के सभी मरीजो के लिए आयोडीन युक्त नमक जहर के सामान होता है थाइरोइड के सभी मरीजो को सबसे पहले आयोडीन नमक छोडकर उसकी जगह पर सेंधा या काला नमक का ही प्रयोग करना चाहिए क्योकि भारत में आज जितने भी लोगों को है उनका प्रमुख कारण आयोडीन युक्त नमक, भारत में आज आयोडीन की कमी किसी को भी नही है लेकिन सरकार जबरदस्ती ये नमक भारत के सभी लोगों को खिला रही है खाने में हमेशा सेंधा नमक का ही प्रयोग करना चाहिए, ना की आयोडिन युक्त नमक का। चीनी की जगह गुड, शक्कर, देसी खाण्ड या धागे वाली मिस्री का प्रयोग कर सकते है।
गोमूत्र-घृत-दुग्ध के गुण
गोमूत्र माने देशी गाय (जर्सी नही) के शरीर से निकला हुआ सीधा साधा मूत्र जिसे सती के आठ परत की कपड़ों से छान कर लिया गया हो। - गोमूत्र वात और कफ को अकेला ही नियंत्रित कर लेता है। पित्त के रोगों के लिए इसमें कुछ औषधियाँ मिलायी जाती हैं। - आधा कप देशी गाय का गोमूत्र सुबह पीने से दमा अस्थमा, ब्रोन्कियल अस्थमा सब ठीक होता है। और गोमूत्र पीने से टीबी भी ठीक हो जाता है, लगातार पांच छह महीने पीना पड़ता है। - गोमूत्र में पानी के अलावा कैल्शियम, सल्फर, आयरन जैसे 18 सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं। - त्वचा का कैसा भी रोग हो, वो शरीर में सल्फर की कमी से होता हए। Soarises, Egzima, घुटने दुखना, खाँसी, जुकाम, टीबी के रोग आदि सब गोमूत्र के सेवन से ठीक हो जाते हैं क्योंकि यह सल्फर का भंडार है। - टीबी के लिए डोट्स का जो इलाज है, गोमूत्र के साथ उसका असर 20-40 गुणा तक बढ जाता है। - शरीर में एक रसायन होता है जिसे Curcumin कहते हैं। इसकी कमी से कैंसर रोग होता है। जब इसकी कमी होती है तो शरीर के सेल बेकाबू हो जाते हैं और टî ूमर का रूप ले लेते हैं। गोमूत्र और हल्दी में यह रसायन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। - आँख के रोग कफ से होते हैं। आँखों के कई गंभीर रोग हैं जैसे ग्लूकोमा, Retinal Detachment (जिसका कोई इलाज नहीं है एलोपैथी में), मोतियािबूंद आदि सब आँखों के रोग गोमूत्र से ठीक हो जाते हैं। ठीक होने का मतलब कंट्रोल नहीं, जड से ठीक हो जाते हैं! आपको करना बस इतना है कि ताजे गोमूत्र को कपडे से छानकर आँखों में डालना है। - बाल झडते हों तो ताम्बे के बर्तन में गाय के दूध से बने दही को 5-6 दिन के लिए रख दें। जब इसका रंग बदल जाए तो इसे सिर पर लगा कर घ घंटे तक रखें। ऐसा सप्ताह में 4 बार कर सकते हैं। कई लोगों को तो एक ही बार से लाभ हो जाता है! - गाय के मूत्र में पानी मिलाकर बाल धोने से गजब की कंडीशनिंग होती है। - छोटे बच्चों को बहुत जल्दी सर्दी जुकाम हो जाता है। घ चम्मच गो मूत्र पिला दीजिए सारी बलगम साफ हो जाएगी। - किडनी तथा मूत्र से सम्बंधित कोई समस्या हो जैसे पेशाब रुक कर आना, लाल आना आदि तो आधा कप (50 मिली) गोमूत्र सुबह-सुबह खाली पेट पी लें। इसको दो बार पीएं यानी पहले आधा पीएं फिर कुछ मिनट बाद बाकी पी लें। कुछ ही दिनों में लाभ का अनुभव होगा। - बहुत कब्ज हो तो कुछ दिन तक आधा कप गोमूत्र पीने से कब्ज खत्म हो जाती है। - गोमूत्र की मालिश से त्वचा पर सफेद धब्बे और डार्क सर्कल कुछ ही दिनों में खत्म हो जाते हैं। गोमूत्र को सुबह खाली पेट पीना सर्वोत्तम होता है। जो लोग बहुत बीमार हैं, उन्हें 100 मिली से अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। यह जमं बनच का आधे से अधिक भाग होता है। इसे कुछ मिनट का अंतराल देकर दो किश्तों में पीना चाहिए। नीरोगी व्यक्ति को 50 मिली से अधिक नहीं पीना चाहिए। गोमूत्र केवल उन्हीं गोमाता का पीएं जो चलती हों क्योंकि उन्हीं का मूत्र उपयोगी होता है। बैठी हुई गोमाता का मूत्र किसी काम का नहीं होता। जैसे, जर्सी गाय कभी नहीं घूमती और उसके मूत्र में केवल 3 ही पोषक तत्व पाए जाते हैं। वहीं देसी गाय के मूत्र में 18 पोषक तत्व पाये जाते हैं।
चुना
भारत के जो लोग चुने से पान खाते है, बहुत होसियार लोग है पर तम्बाकू नही खाना, तम्बाकू जहर है और चुना अमृत है .. तो चुना खाइए तम्बाकू मत खाइए और पान खाइए चुने का उसमे कत्था मत लगाइए, कत्था कैंसर करता है, पान में सुपारी मत डालिए सोंट डालिए उसमे, इलाइची डालिए, लोंग डालिए. केशर डालिए य ये सब डालिए पान में चुना लगाके पर तम्बाकू नही, सुपारी नही और कत्था नही । महिलाओं के लिए गर्भाशय की बीमारीयों में यह बहुत अच्छा काम करता है जैसे कि सफेद पानी आना, लाल पानी आना, माहवारी आगे-पीछे होना, गर्भाशय में गांठ बन जाना तथा अन्य सभी गर्भाशय से जुड़ी बीमारीयों को चुना ठीक करता है। बाल टॅटना, चेहरे के मुहांसे, हड्डी के टूटने पर, जोड़ों के दर्द में, हीमोग्लोबिन का प्रतिशत कम हो तो, हैपेटाईटिस A, B, C, D, E, स्मरण शक्ति कम हो तो, हाथी पैर हो गया तो इन सब बीमारीयों में चुना दही में अथवा पानी में मिला कर लेना चाहिये। पुरूषों में शुक्राणु बढ़ाने के लिए चुना गन्ने या संतरे या मौसम्मी के रस में लेना चाहिए। 14 साल से कम आयु के बच्चे जिनका कद छोटा हो, महिलायें जिनमें वक्ष का कम विकास हो, दांतों की किसी भी तरह की समस्या, इन सबमें में चने का सेवन करना लाभदायक है। मात्रा: - एक गेहँ के दाने के बराबर दिन में एक बार जोड़ों का दर्द यदि बहुत पुराना हो भूले 20 साल या 30 साल पुराना हो या जब डॉक्टर कहे कि घुटने बदलने पड़ेगें उस समय चुना काम नहीं करेगा। उसको चने की जगह हारश्रृंगार के पत्तों का काढ़ा देना पड़ेगा। हारश्रृंगार को पारीजात भी कहते हैं। इसमें सफेद रंग के छोटे फूल होते हैं जिनकी नारंगी रंग की डंडी होती है। इसके फूलों में बहुत तेज खशब होती है। इस पेड़ के 7-8 पत्तों को बारीक पीस कर चटनी जैसा बनाकर एक गिलास पानी में उबालें, आधा गिलास रह जाने पर सुबह खाली पेट पी लें। तीन महीने में यह समस्या बिल्कुल ठीक हो जायेगी। किसी भी तरह का बुखार होने की स्थिति में भी यह काढ़ा काम करता है। उस स्थिति में 7-8 दिन ही देना है। नोट: - पथरी की बीमारी के मरीज चुना नहीं ले सकते।
हृदय ब्लॉक का आयुर्वेदिक इलाज
दोस्तो अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनिया जो दवाइया भारत में बेच रही है ! वो अमेरिका में 20-20 साल से बूंद है ! आपको जो अमेरिका की सबसे खतरनाक दवा दी जा रही है ! वो आज कल दिल के रोगी (Heart Patient) को सबसे दी जा रही है !! भगवान ना करे कि आपको कभी जिंदगी में दिल का दौरा आए ! लेकिन अगर आ गया तो आप जाएँगे डाक्टर के पास ! और आपको मालूम ही है एक एंजियोप्लास्टी आपरेशन आपका होता है ! एंजियोप्लास्टी आपरेशन में डाक्टर दिल की नली में एक िस्प्रंग डालते हैं ! उसको स्टंट कहते हैं ! और ये स्टंट अमेरिका से आता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डालर का है ! और यहाँ लाकर वो 3 से 5 लाख रुपए में बेचते है और ऐसे लूटते हैं आपको ! और एक बार अटैक में एक स्टंट डालेंगे ! दूसरी बार दूसरा डालेंगे! डाक्टर को कमीशन है इसलिए वे बार बार कहता हैं एंजियोप्लास्टी करवाओ !! इस लिए कभी मत करवाए ! तो फिर आप बोलेंगे हम क्या करे ????! आप इसका आयुर्वेदिक इलाज करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये ! एंजियोप्लास्टी आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो िस्प्रंग दिल की नली में डालता है !! वो िस्प्रंग बिलकुल चमद के िस्प्रंग की तरह होता है और कुछदिन बाद उस िस्प्रंग की दोनां साइड आगे और पीछे फिर ब्लॉकेज जमा होनी शुरू हो जाएगी ! और फिर दूसरा अटैक आता है और डाक्टर आपको फिर कहता है ! एंजियोप्लास्टी आपरेशन करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लूटता है और आपकी जंिदगी इसी में निकाल जाती है ! ! !अब पढिये इसका आयुर्वेदिक इलाज !! हमारे देश भारत में 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !! उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक में उन्होने ने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है वागवट जी लिखते है कि कभी भी हर। को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियो में ब्लॉकेज होनाशुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रक्त (ब्लड) में एसिडिटी (अमलता) बढ़ी हुई है ! अमलता (एसिडिटी) दो तरह की होती है, एक होती है पेट कि अमलता और एक होती है रक्त की अमलता. आपके पेट में अमलता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट में जलन सी हो रही है! तो हाइपर एसिडिटी होगी ! और यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त में आती है तो रक्त अमलता (ब्लड एसिडिटी) होती !! और जब ब्लड में एसिडिटी बढ़ती है तो ये अमलीय रक्त (ब्लड) दिल की नलियो में से निकल नहीं पाता ! और नलिया में ब्लॉकेज कर देता है ! तभी दिल का दौरा होता है !! इसके बिना दिल का दौरा नहीं होता !! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !! इलाज क्या है ?? वागबट जी लिखते है कि जब रक्त (ब्लड) में अमलता (एसिडिटी) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी का उपयोग करो जो छारीय है ! आप जानते है दो तरह की चीजे होती है ! अमलीय और छारीय(acid and एल्कलाइन) !! अब अमल और छार को मिला दो तो न्यूट्रल(उदासीन) होता है सब जानते है !! तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई है तो छारीय (एल्कलाइन) चीजे खाओ ! तो रक्त की अमलता (एसिडिटी) न्यूट्रल(उदासीन) हो जाएगी और रक्त में अमलता न्यूट्रल(उदासीन) हो गई ! तो दिल का दौरा की जिंदगी में कभी संभावना ही नहीं!! ये है सारी कहानी !! अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो छारीय है और हम खाये ????? आपके रसोई घर में सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी दिल का दौरा ना आए ! और अगर आ गया है ! तो दुबारा ना आए !! सबसे ज्यादा आपके घर में छारीय चीज है वह है लोकी !! जिसे दुदी भी कहते है !! अंग्रेजी में इसे कहते है bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप में खाते है ! इससे ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लोकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !! रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो, सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !! इस लोकी के रस को आप और ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !! लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी ना डाले !! ये आयोडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!! तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी ीमंतज की ब्लॉकेज ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!
लौकी परीक्षण
ये केसे पता करें की लोकी असली है या इंजेक्शन लगे हुई है ! आप लोग लोकी पर नाखून लगाकर देख लीजिये की नाखून पूरा आंदर जाता है या नही - अगर नाखून पूरा अंदर जाता है तो लोकी असली है - अगर नाखून पूरा अंदर नही जाता है और वह पर केवल निशान बन जाता है तो लोकी इंजेक्शन लगाई गई लोकी है कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर में ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !! और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला में दान कर दे ! डाक्टर को देने से अच्छा है !किसी गौशाला दान दे !! हमारी गौ माता बचेगी तो भारत बचेगा !!
Hr. deepak raj mirdha
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
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निरोगी रहने के नियम और रोगो की घरेलू चिकित्सा !
Reviewed by deepakrajsimple
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November 10, 2017
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ReplyDeletePlease give your feedback .. About health related any tricks and tips in Hindi, please visit: https://totallyhealthbook.blogspot.com/
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ReplyDeletefor more latest tips and tricks in hindi please visit : https://hindidea.blogspot.com
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