अंग्रेजियत का हिन्दुस्तान पर राज करने का राज
"जो कि ब्रिटिश शासन द्वारा ब्रिटिश की हुकूमत भारत पर सौ वर्षों तक किस प्रकार कायम रहे" यह जानने के लिये भारत वर्ष १८३४ में भेजा,सो भ्रमणोपरान्त जांचकर मैकाले द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट-
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लार्ड मैकाले-"मैंने भारत में पूरब से पश्चिम व उत्तर से दक्षिण भ्रमण किया,यहां मैने ऐसी सम्पदा देखी कि मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखा जो भिखारी या चोर हो,यहां व्यक्तियों में ऐसे उच्च चारित्रिक मूल्य दीखते हैं कि हमारा भारत पर लंबे समय तक शासन करने का सपना सच नहीं हो सकता जब तक हम इस राष्ट्र की मेरुदण्ड(रीढ़रज्जु) न तोड़ दें , जो कि इस राष्ट्र की आध्यात्मिक एवम् सांस्कृतिक विरासत है (तथा इसका आधार यहां की गुरुकुल परंपरा है),अतः मैं इस विषय में प्रस्तावित करता हूं कि हमें यहां की प्राचीन शिक्षा पद्यति को नयी से बदलना होगा,तथा भारतियों के मन में बैठाना होगा कि बाह्य अंग्रेजी इनकी हिन्दी की अपेक्षा अच्छी व महान है, वे अपनी आत्मवैभवता (आत्मविश्वास) तथा राष्ट्रिय गौरवता खो बैठेंगे, तथा वे वह बन जायेंगे जो हम चाहते हैं, एक पूर्णतः हमारे प्रभुत्व वाला राष्ट्र |"
इस प्रकार अंग्रेजों ने हमारी पुरानी गुरुकुल पद्यति को नष्ट करते हुये, शराबखाने, चकलाघर व कत्लखाने खोलते हुये समय-समय पर हमारा मानमर्दन करते हुये हमें इस निकृष्टतम् स्तर पर पहुंचा दिया कि हम तथाकथित स्वतंत्रता प्राप्त होने के बावजूद हम अंग्रेजियत के मानसिक गुलाम हैं, सो इस गुलामी को तोड़ने व चारित्रिक विकास हेतु आत्मसाक्षात्कार व आत्मगौरवजागरण सर्वप्रथम आवश्यक है,
||उत्तिष्ठ जागृत प्राप्य वरान्निबोधत्||
जय राम जी की
"जो कि ब्रिटिश शासन द्वारा ब्रिटिश की हुकूमत भारत पर सौ वर्षों तक किस प्रकार कायम रहे" यह जानने के लिये भारत वर्ष १८३४ में भेजा,सो भ्रमणोपरान्त जांचकर मैकाले द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट-
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लार्ड मैकाले-"मैंने भारत में पूरब से पश्चिम व उत्तर से दक्षिण भ्रमण किया,यहां मैने ऐसी सम्पदा देखी कि मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखा जो भिखारी या चोर हो,यहां व्यक्तियों में ऐसे उच्च चारित्रिक मूल्य दीखते हैं कि हमारा भारत पर लंबे समय तक शासन करने का सपना सच नहीं हो सकता जब तक हम इस राष्ट्र की मेरुदण्ड(रीढ़रज्जु) न तोड़ दें , जो कि इस राष्ट्र की आध्यात्मिक एवम् सांस्कृतिक विरासत है (तथा इसका आधार यहां की गुरुकुल परंपरा है),अतः मैं इस विषय में प्रस्तावित करता हूं कि हमें यहां की प्राचीन शिक्षा पद्यति को नयी से बदलना होगा,तथा भारतियों के मन में बैठाना होगा कि बाह्य अंग्रेजी इनकी हिन्दी की अपेक्षा अच्छी व महान है, वे अपनी आत्मवैभवता (आत्मविश्वास) तथा राष्ट्रिय गौरवता खो बैठेंगे, तथा वे वह बन जायेंगे जो हम चाहते हैं, एक पूर्णतः हमारे प्रभुत्व वाला राष्ट्र |"
इस प्रकार अंग्रेजों ने हमारी पुरानी गुरुकुल पद्यति को नष्ट करते हुये, शराबखाने, चकलाघर व कत्लखाने खोलते हुये समय-समय पर हमारा मानमर्दन करते हुये हमें इस निकृष्टतम् स्तर पर पहुंचा दिया कि हम तथाकथित स्वतंत्रता प्राप्त होने के बावजूद हम अंग्रेजियत के मानसिक गुलाम हैं, सो इस गुलामी को तोड़ने व चारित्रिक विकास हेतु आत्मसाक्षात्कार व आत्मगौरवजागरण सर्वप्रथम आवश्यक है,
||उत्तिष्ठ जागृत प्राप्य वरान्निबोधत्||
जय राम जी की
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