चाणक्य नीति -
* बुद्धिमान पिता को अपने बच्चों को शुभ गुणों की सीख देनी चाहिए, क्योंकि नीतिज्ञ और ज्ञानी व्यक्तियों की ही कुल में पूजा होती है।
* मूर्खता दुखदायी है, जवानी भी दुखदायी है, लेकिन इससे कही ज्यादा दुखदायी है किसी दूसरे के घर रहकर उससे अहसान लेना है।
* हर पहाड़ पर माणिक्य नहीं होते, हर हाथी के सिर पर मणि नहीं होता, सज्जन पुरुष भी हर जगह होते और हर वन में चंदन के वृक्ष भी नहीं होते हैं।
* उस व्यक्ति ने धरती पर ही स्वर्ग को पा लिया, जैसे : -
- जिसका पुत्र आज्ञाकारी है।
- जिसकी पत्नी उसकी इच्छा के अनुरूप व्यवहार करती है।
- जिसके मन अपने कमाए धन को लेकर संतोष है।
* वह गृहस्थ भगवान की कृपा को पा चुका है जिसके घर में आनंददायी वातावरण है। बच्चे गुणी तथा पत्नी मधुर भाषा में वार्तालाप करती है।
* बुद्धिमान पिता को अपने बच्चों को शुभ गुणों की सीख देनी चाहिए, क्योंकि नीतिज्ञ और ज्ञानी व्यक्तियों की ही कुल में पूजा होती है।
* मूर्खता दुखदायी है, जवानी भी दुखदायी है, लेकिन इससे कही ज्यादा दुखदायी है किसी दूसरे के घर रहकर उससे अहसान लेना है।
* हर पहाड़ पर माणिक्य नहीं होते, हर हाथी के सिर पर मणि नहीं होता, सज्जन पुरुष भी हर जगह होते और हर वन में चंदन के वृक्ष भी नहीं होते हैं।
* भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुंदर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धन राशि तथा दान देने की भावना ऐसे संयोगों का होना सामान्य तप का फल नहीं है।
* एक बुरे मित्र पर कभी विश्वास ना करें। एक अच्छे मित्र पर भी विश्वास ना करें, क्योंकि यदि ऐसे लोग आप पर गुस्सा होते हैं तो आपके सभी राज वो दूसरे के सामने खोल कर रख देंगे।
* मन में सोंचे हुए कार्य को किसी के सामने प्रकट न करें, बल्कि मन लगाकर उसकी सुरक्षा करते हुए उसे कार्य में परिणित करें।
* एक बुरे मित्र पर कभी विश्वास ना करें। एक अच्छे मित्र पर भी विश्वास ना करें, क्योंकि यदि ऐसे लोग आप पर गुस्सा होते हैं तो आपके सभी राज वो दूसरे के सामने खोल कर रख देंगे।
* मन में सोंचे हुए कार्य को किसी के सामने प्रकट न करें, बल्कि मन लगाकर उसकी सुरक्षा करते हुए उसे कार्य में परिणित करें।
* पुत्र वही है जो पिता का कहना मानता है, पिता वही है जो पुत्रों का पालन-पोषण करें। मित्र वह है जिस पर विश्वास कर सकते है और पत्नी वही है जिससे सारे सुख प्राप्त हो।
* उनसे बचे जो आपसे मुंह पर तो मीठी बाते करते है लेकिन पीठ पीछे आपको बर्बाद करने की योजना बनाते है। ऐसा करने वाले तो उस जहर के उस घड़े के समान है जिसकी ऊपरी परत दूध से ढंकी हुई हो। * छल करना, बेवकूफी करना, लालच, निर्दयता, अपवित्रता, कठोरता, और झूठ बोलना यह औरतों के नैसर्गिक दुर्गुण है।
* उनसे बचे जो आपसे मुंह पर तो मीठी बाते करते है लेकिन पीठ पीछे आपको बर्बाद करने की योजना बनाते है। ऐसा करने वाले तो उस जहर के उस घड़े के समान है जिसकी ऊपरी परत दूध से ढंकी हुई हो। * छल करना, बेवकूफी करना, लालच, निर्दयता, अपवित्रता, कठोरता, और झूठ बोलना यह औरतों के नैसर्गिक दुर्गुण है।
* उस व्यक्ति ने धरती पर ही स्वर्ग को पा लिया, जैसे : -
- जिसका पुत्र आज्ञाकारी है।
- जिसकी पत्नी उसकी इच्छा के अनुरूप व्यवहार करती है।
- जिसके मन अपने कमाए धन को लेकर संतोष है।
* वह गृहस्थ भगवान की कृपा को पा चुका है जिसके घर में आनंददायी वातावरण है। बच्चे गुणी तथा पत्नी मधुर भाषा में वार्तालाप करती है।
* ईश्वर का बारम्बार स्मरण करने से मनुष्य पापी नहीं हो सकता। ठीक वैसे ही जैसे उद्योग करने पर दरिद्रता अधिक समय तक हमारे घर नहीं रहती।
* हर मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपनी कन्या को किसी अच्छे खानदान वाले के घर ही ब्याहें।
* अपने शत्रु को मूर्ख या दो पैर वाला पशु समझ कर त्याग देना ही उत्तम है, क्योंकि वह समय-समय पर अपने वाक्यों से हमारे ह्रदय को छलनी करता है वैसे ही, जैसे दिखाई न पड़ा पांवों में कांटा चुभ जाता है। * बच्चे के जन्म के पहले पांच साल तक उसका लाड़-दुलार करें। दस साल का होने तक उसे ताड़ना दें, कितु सोलह साल पूर्ण होने के पश्चात पुत्र से अपने को मित्रवत ही व्यवहार करें। * जहां एक के त्यागने से कुल की रक्षा हो सकती हो, वहां उस एक को त्याग देना ही उचित होता है।
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