हर वो चिज खूबसूरत निकली
एक बार जो तूने छुआ
खुसी भी तुम
और खुसनसीबी भी तुम
खुस रहो यही है दुआ।
मेरी चुप रहने की आदत
मेरी खामोसी को पढ़ना
मेरी जरूरत का ख्याल रखना
और मुझको समझना
है आसान नही
पर ये तुम हो सिर्फ तुम
हर पल साथ हो
यही है दुआ।
तुम्हारा झगड़ना भी सुकून देता है
तुम्हारे गुस्से में भी प्यार होता है
नाराज होती हो तो दिल बेचैन होता है
और बात करती हो तो चैन होता है
जीवनसाथी जीवन भर साथ होता है
हमेसा हरदम यही है दुआ।
हर ख्वाहिश पूरी कर दूं
कोसिस यही है
पर हर कोसिस पूरी हो
ये जरूरी नही है
कोई कोर कसर बाकी नही रखता
पर कभी कमी कुछ हो जाये
कुछ समय ज्यादा लग जाये
खुद समझदार हो क्या समझाये
जरूरतें कम बेसी हो जाये
प्यार कम न करना
बस यही है दुआ ।
प्रेम है और जिम्मेवारी भी
तब ये धर्म होता है
केवल प्रेम तो वासना का मर्म होता है
ये तो देना है समर्पण है
चाहत सरीर का केवल भिखमंगापन है
वो प्यार होता है असल मे जो बस देना जानता है
और हवस तो सिर्फ लेना जानता है
जो पास नही तुम्हारे इसे खोजते हो
और इसे प्रेम का नाम देते हो
पर प्रेम ये नही है
ये कर्तव्य है समर्पण है
लाख तुम्हारे कई प्रेमिकाए होंगी
पर वो जो एक है बस एक
वो होगी तो सिर्फ पत्नी होगी।
दीपक राज सिंपल
8083299134
(हमारे देश मे पतिपत्नी का संबंध एक संपूर्ण संबंध है। ये समर्पण ,प्रेम,कर्तव्य, ममता,पितृत्व, दोस्ती का सार है। ये एकडोर है जो मजबूत है। बहुत मजबूत। और इसको गौरी लंकेश जैसे पतित महिलाये जो फ्री सेक्स के बारे में तर्क़ देती है वो कभी समझ नही पाएंगी। आम भारतीय पति की ओर से ये सभी भारतीय महिलाओं को समर्पित । लय ताल सही नही है उसके लिए माफी चाहूंगा। )
deepak raj mirdha
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
www.deepakrajsimple.blogspot.com
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