चर्मरोग के लिए घरेलु नुस्खे।

चर्मरोग के लिए घरेलु नुस्खे।

एक कष्टदायक रोग……चर्मरोग।

यह पूरे शरीर की चमड़ी पर कहीं भी हो सकता है। अनियमित खान-पान, दूषित आहार, शरीर की सफाई न होने एवं पेट में कृमि के पड़ जाने और लम्बे समय तक पेट में रहने के कारण उनका मल नसों द्वारा अवशोषित कर खून में मिलने से तरह तरह के चर्मरोग सहित शारीरिक अन्य बीमारियां पनपने लगती हैं जो मानव के लिए अति हानिकारक होती है।

दाद के लक्षण :- Daad ka ilaj

दाद में खुजली बहुत ज्यादा होती है की आप उसे खुजाते ही रहते हैं। खुजाने के बाद इसमे जलन होती है व छोटे-छोटे दाने होते हैं।
दाद ज्यादातर जननांगों में जोड़ोें के पास और जहाँ पसीना आता है व कपड़ा रगड़ता है, वहां पर होता है। वैसे यह शरीर में कहीं भी हो सकता है।


खाज (खुजली) :- khaj khujli ka ilaj

इसमें पूरे शरीर में सफेद रंग के छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इन्हें फोड़ने पर पानी जैसा तरल निकलता है जो पकने पर गाढ़ा हो जाता है। इसमें खुजली बहुत होती है, यह बहुधा हांथो की उंगलियों के बीच में तथा पूरे शरीर में कहीं भी हो सकती है। इसको खुजाने को बार-बार इच्छा होती है और जब खुजा देते है तो बाद में असह्य जलन होती है। यह छुतहाएवं संक्रामक रोग है। रोगी का तौलिया व चादर उपयोग करने पर यह रोग आगे चला जाता है, अगर रोगी के हाथ में रोग हो और उससे हांथ मिलायें तो भी यह रोग सामने वाले को हो जाता है।

उकवत (एक्जिमा) :- eczima ka ilaj, eczema ka ilaj

दाद, खाज, खुजली जाति का एक रोग उकवत भी है, जो अत्यंत कष्टकारी है। रोग का स्थान लाल हो जाता है और उस पर छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इसमे चकत्ते तो नही पड़ते परन्तु यह शरीर में कहीं भी हो जाता है। यह दो तरह का होता है। एक सूखा और दूसरा गीला। सूखे से पपड़ी जैसी भूसी और गीले से मवाद जैसा निकलता रहता है। अगर यह सर में हो जाये तो उस जगह के बाल झड़ने लगते हैं।
गजचर्म

चर्मदख :- charm dakh ka ilaj

शरीर के जिस भाग का रंग लाल हो, जिसमें बराबर दर्द रहे, खुजली होती रहे और फोड़े फैलकर जिसका चमड़ा फट जाय तथा किसी भी पदार्थ का स्पर्श न सह सके, उसे चर्मदख कहते हैं।

विचर्चिका तथा विपादिका :- vicharchika tatha vipadika ka ilaj

इस रोग में काली या धूसर रंग की छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं, जिनमें से पर्याप्त मात्रा में मवाद बहता है और खुजली भी होती है तथा शरीर में रूखापन की वजह से हाथों की चमड़ी फट जाती है, तो उसे विचर्चिका कहते हैं। अगर पैरों की चमड़ी फट जाय और तीव्र दर्द हो, तो उसे विपादिता कहते हैं। इन दोनों में मात्र इतना ही भेद है।

पामा और कच्छु :- pama aur kacchu ka ilaj

यह भी अन्य चर्म रोगों की तरह एक प्रकार की खुजली ही है। इसमें भी छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं। उनमें से मवाद निकलता है, जलन होती है और खुजली भी बराबर होती रहती है। अगर यही फुन्सियां बड़ी-बड़ी और तीव्र दाहयुक्त हों तथा विशेष कमर या कूल्हे में हो तो उसे कच्छू कहते है।

चर्मरोग चिकित्सा – charm rog chikitsa

दाद, खाज, खुजली में आंवलासार गंधक को गौमूत्र के अर्क में मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम लगायें। इससे दाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है।

शुद्ध किया हुआ आंवलासार गंधक एक रत्ती को 10 ग्राम गौमूत्र के अर्क के साथ 90 दिन लगातार पीने से समस्त चर्मरोगों में लाभ होता है ।

एक्जिमा (चर्म रोगों में लगाने का महत्व) :- Eczema ka ilaj, eczima ka ilaj

1. कालीमिर्च, मुरदाशंख, कलईवाला नौसादर 10-10 ग्राम लेकर बारीक पीस लें। अब इसमे घी मिलाकर एक्जिमा पर दिन में तीन बार लगाने से कुछ दिनों में यह जड़ से खत्म हो जायेगा।

2. आंवलासार गंधक 50 ग्राम, राल 10 ग्राम, मोम (शहद वाला) 10 ग्राम, सिन्दूर शुद्ध 10 ग्राम। पहले गंधक को तिल के तेल में डालकर धीमी आंच पर गर्म करें। जब गन्धक तेल में घुल जाए तो उसमें सिन्दूर व अन्य दवायें पाउडर करके मिला दें। सिन्दूर का रंग काला होने तक इन्हे पकायें और आग से नीचे उतारकर गरम-गरम ही उसी बर्तन में घोंटकर मल्हम (पेस्ट) जैसा बना लें। यह मल्हम एग्जिमा, दाद, खाज, खुजली, अपरस आदि समस्त चर्मरोगों में लाभकारी है। सही होने तक दोनों टाइम लगायें।

3. 250 ग्राम सरसों का तेल लेकर लोहे की कढ़ाही में चढ़ा कर आग पर रख दे। जब तेल खूब उबलने लगे तब इसमें ५० ग्राम नीम की कोमल कोंपल (नयी पत्तिया) डाल दे। कोपलों के काले पड़ते ही कड़ाही को तुरंत नीचे उतार ले अन्यथा तेल में आग लग कर तेल जल सकता हैं। ठंडा होने पर तेल को छान कर बोतल में भर ले। दिन में चार बार एक्ज़िमा पर लगाये, कुछ ही दिनों में एक्ज़िमा नष्ट हो जायेगा। एक वर्ष तक लगते रहेंगे तो ये रोग दोबारा नहीं होगा।

दाद, खाज, खुजली, एग्जिमा, अकौता, अपरस का मरहम :- marham banane ki vidhi

गन्धक 10 ग्राम, पारा 3 ग्राम, मस्टर 3 ग्राम, तूतिया 3 ग्राम, कबीला 15 ग्राम, रालकामा 15 ग्राम। इन सब को खरल में कूट-पीसकर अच्छे से मिला कर कपड़छान करके एक शीशी में रख लें। दाद रोग में मिट्टी के तेल (केरोसीन) में लेप बनाकर लगाएँ, खाज में सरसों के तेल के साथ मिलाकर सुबह-शाम लगायें। अकौता एग्जिमा में नीम के तेल में मिलाकर लगायें। यह दवा 10 दिन में ही सभी चर्मरोगो में पूरा आराम देती है।

चर्म रोग नाशक अर्क :- charm rog ke liye ark

शुद्ध आंवलासार गंधक, ब्रह्मदण्डी, पवार (चकौड़ा) के बीज, स्वर्णछीरी की जड़, भृंगराज का पंचांग, नीम के पत्ते, बाबची, पीपल की छाल, इन सभी को 100 -100 ग्राम की मात्रा में लेकर व 10 ग्राम छोटी इलायची जौ कुट कर शाम को 3 लीटर पानी में भिगो दें। सुबह इन सभी का अर्क निकाल लें। यह अर्क 10 ग्राम की मात्रा में सुबह खाली पेट मिश्री के साथ पीने से समस्त चर्म रोगों में लाभ करता है। इसके प्रयोग से खून शुद्ध होता है। इसके सेवन से चेहरे की झाइयाँ, आँखों के नीचे का कालापन, मुहासे, फुन्सियां, दाद, खाज, खुजली, अपरस, अकौता, कुष्ठ आदि समस्त चर्मरोगों में पूर्णतः लाभ होता है।

रक्त शोधक :- Rakt shodhak ayurvedic tarike

1. दिन में एक-दो चम्‍मच अलसी के बीजों के तेल का सेवन करना त्‍वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है। बेहतर रहेगा कि इसका सेवन किसी अन्‍य आहार के साथ ही किया जाए। अलसी के तेल को कभी भी सेकना नहीं चाहिए।

2. रीठे के छिलके के पाउडर में शहद मिलाकर चने के बराबर गोलियाँ बना लें। सुबह एक गोली अधबिलोई दही के साथ और शाम को पानी के साथ निगल लें। उपदंश, खाज, खुजली, पित्त, दाद और चम्बल के लिए पूर्ण लाभप्रद है।

3. सिरस की छाल का पाउडर 6 ग्राम सुबह व शाम शहद के साथ 60 दिन सेवन करें। इससे सम्पूर्ण रक्तदोष सही होते हैं।

4. अनन्तमूल, मुलहटी, सफेद मूसली, गोरखमुण्डी, रक्तचन्दन, शनाय और असगन्ध 100 -100 ग्राम तथा सौंफ, पीपल, इलायची, गुलाब के फूल 50 -50 ग्राम। सभी को जौकुट करके एक डिब्बे में भरकर रख लें। एक चम्मच 200 ग्राम पानी में धीमी आंच में पकाएं और जब पानी 50 ग्राम रह जाय तब उसे छानकर उसके दो भाग करके सुबह और शाम मिश्री मिलाकर पिये। यह क्वाथ रक्त विकार, उपदंश, सूजाक के उपद्रव, वातरक्त और कुष्ठरोग को दूर करता है।

5. चार ग्राम चिरायता और चार ग्राम कुटकी लेकर शीशे या चीनी के बर्तन में 125 ग्राम पानी डालकर रात को उसमे भिगो दे और ऊपर से ढक कर रख दे। प्रात: काल रात को भिगोया हुआ चिरायता और कुटकी का पानी निथार कर कपडे से छान कर पी ले और पीने के बाद 3-4 घंटे तक कुछ नहीं खाए और उसी समय अगले दिन के लिए उसी पात्र में 125 ग्राम पानी डाले। इस प्रकार चार दिन तक वही चिरायता और कुटकी काम देंगे। तत्पश्चात उनको फेंककर नया चार चार ग्राम चिरायता और कुटकी डालकर भिगोये और चार चार दिन के बाद बदलते रहे। यह पानी लगातार दो चार सप्ताह पीने से एक्ज़िमा, फोड़े फुंसी आदि चर्म रोग नष्ट होते हैं, मुंहासे निकलना बंद होते हैं और रक्त साफ़ होता हैं।

चर्मरोग के लिए घरेलु नुस्खे। चर्मरोग के लिए घरेलु नुस्खे। Reviewed by deepakrajsimple on March 13, 2018 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.