#सत्तालोभ_में_राष्ट्रहित_से_समझौता_इसतरह_होता_है।
आजकल प्रेस कॉन्फ्रेंसों और न्यूजचैनली बहसों में PDP के साथ जम्मू कश्मीर में सरकार बनाकर राष्ट्रीय हितों से समझौता करने का आरोप भाजपा पर लगा रही कांग्रेसी फौज की स्मृतियों के सम्भवतः बंद/कुंद हो चुके दरवाजों खिड़कियों को खोलने के लिए एक छोटा सा उदाहरण...

बात 1988 की है। जम्मू कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबन्धन की सरकार थी। केंद्र में कांग्रेस की तीन चौथाई से अधिक बहुमत की सरकार थी। राहुल गांधी के पापा राजीव गांधी उस सरकार के प्रधानमंत्री थे। उसी समय यह फैसला किया गया कि गांधी के जन्मदिन पर 2 अक्टूबर को श्रीनगर हाईकोर्ट में मोहनदास करमचंद गांधी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। प्रतिमा बनकर तैयार हो गयी। प्रतिमा का अनावरण भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश आर एस पाठक के द्वारा किये जाने का कार्यक्रम भी निर्धारित हो गया। लेकिन मुहम्मद शफी बट्ट नाम के एक वकील के नेतृत्व में कुछ मुस्लिम वकीलों ने इसे इस्लाम विरोधी बुतपरस्ती करार देते हुए इसका विरोध किया और गांधी पर भी जमकर राजनीतिक कीचड़ उछाला। इसका परिणाम यह हुआ कि श्रीनगर हाईकोर्ट में मोहनदास करमचंद गांधी की प्रतिमा स्थापित करने का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। गठबन्धन सरकार की सदस्य कांग्रेस ने चुपचाप उस विरोध को स्वीकार कर लिया। मुहम्मद शफी बट्ट नाम के जिस वकील ने प्रतिमा की स्थापना का विरोध किया था उसको साल भर बाद नवम्बर 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी की गठबन्धन सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने श्रीनगर लोकसभा सीट पर अपना प्रत्याशी बनाया था और मुहम्मद शफी बट्ट चुनाव जीतकर संसद भी पहुंच गया था। लेकिन किस्सा यहीं खत्म नहीं होता। राहुल गांधी की मम्मी सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद 2002 में उसी वकील मुहम्मद शफी बट्ट को धूमधाम के साथ कांग्रेस में शामिल कर लिया गया था।
इस छोटे उदाहरण के साथ ही #एक_बड़ा_उदाहरण और क्योंकि कांग्रेसी फौज को यह याद दिलाना भी बहुत जरूरी है कि इसी PDP के साथ सरकार बनाने के लोभ में राष्ट्रीय हितों के साथ कितना शर्मनाक और खतरनाक समझौता उसने 2002 में किया था।


#आनंद_शर्मा_का_झूठ
कल राज्यसभा में भाषण देते समय राज्यसभा में आनंद शर्मा ने नेहरू गांधी परिवार का जयगान करते हुए देश की आज़ादी के लिए नेहरू के महान बलिदान का राग जब अलापा तो आनंद शर्मा को सरासर झूठ का सहारा लेना पड़ा। आनंद शर्मा अपने माथे और गले की नसें फुलाकर अपने दांत पीसते हुए बड़ी उत्तेजित मुद्रा में दावा किया कि नेहरू ने 14 साल जेल में गुजारे। यह दावा करते समय आनंद शर्मा को भलीभांति यह मालूम था कि वो सरासर झूठ बोल रहा है। क्योंकि मुझे नहीं लगता कि अपना पूरा जीवन कांग्रेस में गुजार कर राज्यसभा में दल के उपनेता का पद सम्भाल रहे आनंद शर्मा को नेहरू के बारे में जानकारी नहीं होगी।
अब जानिए कि जिस देश की आज़ादी की लड़ाई में चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़उल्लाह खान सरीखे 7 लाख लोग बलिदान हो गए उस आज़ादी की लड़ाई में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता जवाहर लाल नेहरू ने अपने पूरे जीवनकाल में 10 किस्तों में कुल 8 साल 9 महीने 3 दिन जेल काटी, ये जेल यात्रायें भी भाषण देने, निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने. जबरन दुकाने बंद कराने सरीखे अत्यंत साधारण आरोपों में की गयी थीं. नेहरू की जेल यात्राओं का तिथिवार हिसाब किताब कुछ इस तरह है -

01. 6 दिसंबर 1921 को गिरफ्तारी हुई. इसके 2 महीने 25 दिन बाद 3 मार्च 1922 को रिहा कर दिया गया.

02. 11 मई 1922 को गिरफ्तारी हुई. इसके 8 महीने 15 दिन बाद 26 जनवरी 1923 को रिहा कर दिया गया.

03. 19 सितम्बर 1923 को को गिरफ्तारी हुई. इसके 24 दिन बाद 6 अक्टूबर 1923 को रिहा कर दिया गया.

04. 14 अप्रैल 1930 को गिरफ्तारी हुई. इसके 5 महीने 27 दिन बाद 11 अक्टूबर 1930 को रिहा कर दिया गया.

05. 19अक्टूबर 1930 को गिरफ्तारी हुई. इसके 3 महीने 7 दिन बाद 26 जनवरी 1931 को रिहा कर दिया गया.

06. 26 दिसंबर 1931 को गिरफ्तारी हुई. इसके एक वर्ष 8 महीने 4 दिन बाद 30 अगस्त 1933 को रिहा कर दिया गया.

07. 12 फ़रवरी 1934 को गिरफ्तारी हुई. इसके 1 वर्ष 8 महीने 24 दिन बाद 4 सितम्बर 1935 को रिहा कर दिया गया.

08. 31 अक्टूबर 1940 को गिरफ्तारी हुई. इसके 1 वर्ष 1 महीने 4 दिन बाद 4 दिसम्बर 1941 को रिहा कर दिया गया.

09. 19 अक्टूबर 1930 को गिरफ्तारी हुई. इसके 3 महीने 7 दिन बाद 26 जनवरी 1931 को रिहा कर दिया गया.

10. 9 अगस्त 1942 को गिरफ्तारी हुई. इसके 2 वर्ष 10 महीने 16 दिन बाद 25 जून 1945 को रिहा कर दिया गया.

कुल 8 साल 9 महीने 3 दिन. ध्यान रहे कि कल आनंद शर्मा दावा कर रहा था कि नेहरू 14 साल जेल में बंद रहे।
मित्रों नेहरू से भी बड़े कांग्रेसी नेता मोहनदास करमचंद गांधी के भीषण स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास 6 किस्तों में कुल 5 साल 9 महीने 12 दिन की जेल यात्राओं का है. इसका भी तिथिवार विवरण है मेरे पास. यहाँ लिखूंगा तो पोस्ट और लम्बी हो जाएगी।
हमारा आपका यह दायित्व है कि देश को आज़ादी दिलाने की इकलौती ठेकेदार होने का का दावा करनेवाली कांग्रेस से यह पूछा जाए कि...
जिस देश की आज़ादी की लड़ाई में चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़उल्लाह खान सरीखे 7 लाख देशभक्तों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया उस देश की आज़ादी की लड़ाई में 1885 से 1947 तक 62 साल की अवधि में कांग्रेस के शीर्ष 500 नेताओं में से कितने नेताओं को ब्रिटिश शासकों ने गोली मारी.? या सजा-ए-मौत दी? या आजीवन कारावास दी? या कालापानी भेजा? या कितने कांग्रेसी नेताओं ने लगातार 10 साल जेल में गुजारे?
मित्रों इसका जवाब  है शून्य।


मैंने एक पोस्ट डाली थे 19 जनवरी 2015 को पोस्ट की थी .(शेयर कर रहा हूँ)---पिछले साठ (60) सालों से #कांग्रेस ने संविधान का व #संस्थाओ का #इसाईकारण बेहतरीन तरीके से किया सीना ठोककर किया. जिसके परिणाम स्वरुप भारत में #केन्द्रीय व राज्य के संस्थाओं में #इसाईमिशनरी व #सेकंडहैण्ड #इसाई, #क्रिप्टोक्रिस्चियन, #मूलनिवासी-#बहुजनो व कांग्रेस चमचों की एक विशाल #ठग टोली का #साम्राज्य स्थापित हो गया. दुर्भाग्य से २०१४ में तथाकथित #राष्ट्रवादी सरकार सत्ता आयी लेकिन सात महीने (अब 17 महीने) व्यतीत हो जाने के बाद भी तथाकथित राष्ट्रवादी सरकार ने उन संस्थाओं को #इसाईमिशनरी व #सेकंडहैण्ड #इसाई, #क्रिप्टोक्रिस्चियन, #मूलनिवासी-#बहुजनो से छुटकारा नहीं दिलाया बल्की स्वायत्तता के नाम पर #इसाईमिशनरी व #सेकंडहैण्ड #इसाई, #क्रिप्टोक्रिस्चियन, #मूलनिवासी-#बहुजनो को पुनः स्थापित कर दिया है. ये संस्थान हैं जहाँ पर अभी तक #इसाईमिशनरी व #सेकंडहैण्ड #इसाई, #क्रिप्टोक्रिस्चियन, #मूलनिवासी-#बहुजन जमे हुए हैं बल्की उनके पैर अम्बुजा सीमेंट के लेप से और मजबूत कर दिए गए हैं. 
1. University Grants Commission(UGC) -वेद प्रकाश 
2. Jawaharlal Nehru University(JNU)
3. Indian Council of Social Sciences Research(ICSSR)- सुखदेव थोराट 
4. Indian Council for Research on International Economic Relations (ICRIER)
5. Indian Council of Philosophical research(ICPR)
6. of Educational Planning and Administration (NUEPA)
7. Indira Gandhi National Open Univerity(IGNOU)
8. South Asian university(SAU)--सफाई की लेकिन केजरीवाल के झाड़ू से 
9. Centre for Policy Research(CPR)
10. National Council for educational research & Training(NCERT)
11. National Law University
12. Nehru Memorial Library and Museum(NMLM)
13. Indira Gandhi National Centre for Arts(IGNCA)
14. Indian Council of World Affairs(ICWA)
15. Public Diplomacy Division, MEA
16. Union Public Services Commission(UPSC)
17. Maulana Azad Institute of Asian Studies
18. Prasar Bharat-ज्यादा जरुरत है सफाई की .
19. राज्य सभा चैनल व लोक सभा चैनल
20. भारतीय जन संचार संस्थान- नई दिल्ली 
21 .नीति आयोग में श्रीमती सिन्धुश्री खुल्लर को सीईओ नियुक्त किया गया है जो की पी चिदंबरम की खास सहयोगी हैं. 
इन सभी संस्थानों में #इसाईमिशनरी व #सेकंडहैण्ड #इसाई, #क्रिप्टोक्रिस्चियन, #मूलनिवासी #बहुजनो व #वामपंथी विचारों का चोला पहनकर #अकादमिक #वैद्यता प्रदान की जा रही है और #आर्य हिन्दुओं को पी पीके गाली दी जा रही है।

क्या राय है इन संथाओं के बारे में ?

प्रणव दा ने  निम्लिखित बातें लिखी है ?
I love to hear right from horses month.

पढ़िए क्या लिखा :

"कांग्रेस के कुकर्म।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपनी नयी किताब में लिखा है कि 2004 में कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी से वह बेहद नाराज थे जिसे उन्होंने सरकार के सामने ज़ाहिर भी किया था । ये खुलासा प्रणब मुखर्जी ने अपनी नयी किताब 'द कोलिशन इयर्स 1996 – 2012' के एक अध्याय में किया है. प्रणब मुखर्जी ने इस घटना का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि क्या देश में धर्मनिरपेक्षता का पैमाना केवल हिन्दू संतों महात्माओं तक ही सीमित है ? क्या किसी राज्य की पुलिस किसी मुस्लिम मौलवी को ईद के मौके पर गिरफ्तार करने का साहस दिखा सकती है ?" जानकारी के लिए बता दें कि कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को 2004 के नवंबर महीने में दीवाली के आस पास एक हत्या के आरोप में आंध्र प्रदेश से गिरफ़्तार किया गया था। दरअसल कांग्रेस पार्टी पर यूपीए सरकार के दौरान मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगते रहे थे. खासकर बीजेपी ने तो इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया था । ऐसे में प्रणब मुखर्जी का ये बयान बीजेपी को एक मुद्दा थमा सकता है।

नोट:- नौ साल बाद कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को बाइज्जत बरी कर दिया गया था ।
पराग डिमरी"

#JNU और #रोहित_वेमुल्ला के ड्रामे के पीछे इन फाइलों की काली साया है :नेताजी सुभास चन्द्र बोस की फाइलों का
नेताजी सुभास चन्द्र बोस की फाइलों मे लिखा क्या है ? #JNU और #रोहित_वेमुल्ला के ड्रामे के पीछे इन फाइलों की काली साया है /
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भारत को लूट का अड्डा समझकर पिछले 68 वर्षों मे नेहरू परिवार ने जो करिश्मा कर दिखाया है , और मीडिया उसकी किस तरह अनुचर रही है , ये किसी से छुपा नहीं है /
कहानी शुरू होती है पंडित नेहरू के प्रधानमंत्री बनने से / नेहरू अपनी आत्मकथा मे लिखते हैं कि उनके दादा #गंगाधर_नेहरू 1857 के भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के समय दिल्ली यानि #मुग़ल बहादुरशाह जफर के कोतवाल थे , जिन्की वेश भूषा मुग़लों जैसी थी और उनके दोनों हांथों मे तलवार थी / कोई रेकॉर्ड इस बात को प्रमाणित करने के लिए उपलब्ध नहीं है सिवा नेहरू के मुखश्री से निकले वचनों को छोडकर / एक वर्ष पूर्व तक गूगल पर गंगाधर की वो तस्वीर भी थी , लेकिन शायद अब वो भी वहाँ से गायब है /
बाबर के समयकाल से बहादुर शाह जफर तक के जमाने तक मोघल राजधानी का कोतवाल मात्र #अशरफ मुसलमान होता आया है , यहाँ तक कि अरजाल और अजलफ मुसलमान भी नहीं / तो फिर एक हिन्दू , और वो भी एक पंडित किस तरह दिल्ली का कोतवाल हो सकता है, ये विचारणीय प्रश्न है /
अब जब ये पूरी तरह स्पस्त हो चुका है कि नेहरू ने जिस हवाई जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने से नेताजी की मौत होने का दावा किया था , वो उड़ा ही नहीं , तो फिर नेताजी की मौत कैसे हुयी , इसका रहस्य भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक किए गए फाइलों मे ही छुपी होगी /
अब थोड़ा इतिहास को और खंगालें - गांधी की मौत के लिए जिम्मेदार गोंडसे के साथ एक और व्यक्ति भी था - मदनलाल पाहवा / पाहवा को ब्रिटिश पुलिस गांधी के हत्या के कुछ माह पूर्व गिरफ्तार करती है गांधी की हत्या की शजिश रचने के खडयंत्र मे, लेकिन एड्मिरल माउंटबेटेन ने एक माह पूर्व उसको छोडने का आदेश दिया / क्यों ? माउंटबेटेन और नेहरू का समवंध जगजाहिर है /
पंडित ? नेहरू को भारत पर अबाध रूप के कई पीढ़ियों तक शासन करने और लूटने के लिए अपने सामने अपने विरोधियों को चुनचुन कर हटाना था /
गांधी ने भारत मे एक मजबूत विपक्ष देने के लिए राष्ट्रपति बनने वाले पद के लिए जे बी कृपलानी के नाम का अनुमोदन किया लेकिन नेहरू ने चालाकी से उस प्रस्ताव को खारिज कर सहज प्रवृत्ति डॉ राजेंद्र प्रसाद को उस पद के लिए चुना /
गांधी की दूसरी सबसे बड़ी गलती थी - उनका लास्ट टेस्टमेंट जो मृत्यु के मात्र कुछ दिन पूर्व ही उन्होने लिखा था जिसमे - काँग्रेस को भंग करने की शिफारिश की थी / जब कोंग्रीस ही न बचती तो नेहरू किस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी राज करते ?
इसलिए गांधी को रास्ते से हटाना जरूरी था / इसीलिए मदन लाल पाहवा को जेल से छोड़ा गया / गांधी की हत्या गोंडासे की गोली से हुयी तो उसने तो तीन ही गोली चलायी थी ? फिर चौथी गोली जो विदेशी रिवॉल्वर से चली थी , उसको किसने चलाया था ? Dr.Subramanian swamy ने ये प्रश्न कुछ दिन पूर्व उठाया था /
अब एक और कद्दावर नेता था - #वीर_सावरकर , जिसने 1857 की गदर को भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का नाम दिया था , और जिसने अपनी पुस्तक - 1857 का स्वतन्त्रता संग्राम , जिसको अंग्रेजों ने ban कर रखा था , उसमे साफ साफ लिखा है कि - शिवाजी के जमाने मे मुग़लों का विरोध ठीक था , लेकिन अब सामने जब दुश्मन गोरा अंग्रेज़ है तो हिन्दू और मुसलमान दोनों को कंधे से कंधा मिलाकर लड़ना चाहिए / उस नेता को गांधी की हत्या मे फंसाकर नेहरू ने अपने पिछलग्गू #मरकसिए_इतिहासकारों से #सांप्रदायिक घोसित करवाया /
अब असली बाधा नेहरू के सामने थे - नेताजी सुभाषचंद्र बोस , जो हर भारतीय के खून मे जोश भरते थे /
उनको मृत घोसित करने के लिए स्टालिन के साथ शजिश रची / अब जब वो दस्तावेज़ बाहर आ गये हैं जो नेहरू और काँग्रेस की जड़ खोद कर उनको दो गज जमीन के नीचे दफना सकते हैं , तो #एखलाक , #रोहित_वेमुल्ला , और अब ये नया नाटक #अशरफ_गुरु का नाटक खेला जा रहा है , जिसमे काँग्रेस पोषित मीडिया हाउस साथ दे रही है / लेकिन सोश्ल मीडिया भी उन दस्तावेजों को खँगालने के बजाय इनके बिछाए जाल मे फंस चुकी है /
ज्ञातव्य हो कि नेहरू परिवार के सिवा जो भी नेता कोङ्गेस्स के शीर्ष पद पर गया , उसकी दुर्दशा करने मे कोंग्रेसियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी /
#ललबहादुर शास्त्री की ताशकंद ( मरकस का गढ़ ) मे रहस्यमय तरीके से मौत होती है , लेकिन उनका पोस्ट मार्टेम नहीं होता कि किस कारन से मौत हुयी ?
#सीताराम_केसरी को लात जूतों से मारकर उनको काँग्रेस के दफ्तर से भगाया गया जो वो काँग्रेस के अदध्यक्ष थे /
अब जाटों द्वारा मांगा जा रहा आरक्षण और बेलगाम बेकाबू हिंसक भीड़ के पीछे काँग्रेस आयोजित #Sunil_Sardar जैसे ईसाई धर्मपरिवर्तन कारी शक्तियाँ काम कर रही है /
ये घटनाए भविष्य मे बढ़ेंगी / अगला निशाना उनका #मराठों या करनी क्षत्रियों बनाम अन्य के बीच #जाति_युद्ध केवाने का हो सकता है / PMO India Rajnath Singh जी संगयन मे लें / 
और आज तक सबसे सफल कोंग्रेसी प्रधानमंत्री #नरसिंघराओ को मृतयोपरांत दिल्ली मे अंतिम संस्कार नहीं करने दिया #सोनिया और उसके चमचों ने /
तो भाइयों इस नाटक मे न फाँसों नेता जी की फाइलों को खँगालो


Reviewed by deepakrajsimple on February 25, 2018 Rating: 5

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