हाथ की चक्की


आज मशीनीकरण ने कारण  महिलाओं के श्रम करने वाले कार्य ख़त्म हो गये हैं , और इसका गहरा असर हमारे जीवन पर पड़ रहा है कि अधिकांश महिलायें सिजेरियन आपरेशन , कब्ज , हार्मोन्स अनवैलेंसिंग , माइग्रेन , रसौली , अनियमित माहवारी , साइनस , नजला , थायराइड , साइटिका , पेट की चर्बी आदि से सबसे अधिक परेशान है । 
    यदि आप चाहती हैं कि भविष्य में आपको अंग्रेजी गोलियां ना खानी पड़े , तनाव ग्रस्त जीवन ना जीना पड़े तो आप अपने घर में एक की चक्की ले आइये । 
- आप जो नकली जिंदगी जी रही हैं , हर साल हजारों रुपये जिम और मेकअप पर खर्च कर रही है , पेट की चर्बी से परेशान हैं , मानसिक तनावों से ग्रस्त है , हार्ट अटैक से बचना चाहती है तो बस 10 मिनट हाथ की चक्की चलाइये । 
- पहले गांवों में विवाह-शादी के दौरान भी आस-पास के घरों में एक-एक मन गेहूं पीसने के लिए दे दिया जाता था , लेकिन उनका कभी सिजेरियन आपरेशन नहीं हुआ । 

 -  खादी ग्रामोद्योग में यह मिल सकती है , इससे चक्की बनाने वालों को रोज़गार मिलेगा और आपको बेहतरीन सेहत , बुढ़ापा अस्पताल में नहीं काटना पड़ेगा । 
- चक्की लेते वक़्त ज़्यादा मोल भाव ना करे, गरीब व्यक्ति को दान योग्य होता है ।
- पुरुष भी अगर बढे हुए पेट को कम करना चाहते है तो वह भी शर्म छोड़कर हाथ की चक्की चालायें । एक सेहत मिलेगी दूसरे ताजे पिसे हुए घर का शुद्ध आटे का फायदा जिसको खाकर भूख बढ़िया लगेगी , गैस - एसिडिटी नहीं बनेगी रोटी मुलायम , स्वाद व सुंगध से भरपूर होगी । 

      इस ताजे आंटे में सभी  आवश्यक पोषण तत्व मौजूद रहते हैं। बाजार का आटा जो बिजली की मोटर से पीसा जाता है वह गर्म होकर बेहद बारीक बनकर मैदा का रूप ले लेता है , इसके सारे पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं ।  इसकी बनी रोटी खाने पर आँतो में चिपकती है , और यह आसानी से पचता भी नहीं है । *आपका पेट बेशक भर जाये पर मन को तृप्ति नहीं मिलती* जबकि आप ताजा गेंहूँ खरीदकर आर्थिक बजत भी कर पाते हैं । जहाँ ताजे आंटे में भरपूर विटामिन्स व पोषक तत्व मिलते हैं, वहीँ मन की तृप्ति भी मिलती है ।
*भाई राजीव दीक्षित जी के व्याख्यानो से


हाथ की चक्की हाथ की चक्की Reviewed by deepakrajsimple on February 26, 2018 Rating: 5

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