अफ्रीका में एक देश है गाम्बिया . बेहद गरीब और पिछड़े क्षेत्रों में आता है , कभी ये इलाका बेहद हरा भरा हुआ करता था और यहाँ धरती ही माँ बन कर यहाँ के निवासियों का भरण पोषण किया करती थी लेकिन अचानक ही उस पर अंग्रेजों की नजर गयी और विश्व विजय बनने के उन्मादी अंग्रेजों ने वहां धीरे धीरे जड़ें जमानी शुरू की . आख़िरकार अंग्रेज इसमें सफल भी रहे और उन्होंने जाम्बिया को जीत लिया और अपना गुलाम बना लिया. उन्हें यहाँ के बलिष्ठ लोग अपने लिए एक सस्ते गुलाम के रूप में दिखने लगे और धीरे धीरे सारा गाम्बिया उनकी गिरफ्त में आ गया .
लेकिन जहाँ दमन होता है वहां क्रान्ति जरूर होती है और गाम्बिया में भी कुछ ऐसा ही हुआ . गाम्बिया में जनजातियाँ थी और उन्होंने अंग्रेजों से लोहा लेना शुरू किया . चरखे और बिना खड्ग बिना ढाल नहीं बल्कि सीधे सीधे तीर और तलवारों से . आख़िरकार काफी लम्बे संघर्ष के बाद वहां के लोगों ने स्वतंत्र गाम्बिया के दर्शन 1965 में किये . जाते जाते अंग्रेज गाम्बिया में भी धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत थोप कर चले गये और गाम्बिया के मूल लोग 1965 से खुद को धर्मनिरपेक्षता के रंग में रंग लिए, इस आशा के साथ कि उनके साथ सभी लोग धर्म निरपेक्ष हैं ...
लेकिन वहां मुस्लिम आबादी धीरे धीरे बढती गयी .. कुछ लोगों के धर्मांतरण हुए तो दूसरी तरफ जनसंख्या वृद्धि में अन्य काफी पिछड़ गये और धीरे धीरे वहां मुस्लिम आबादी बढ़ कर इस हालत में आ गयी की वहां इस्लामिक कानून की मांग और शरिया आदि की चर्चाएँ शुरू हो गयी . यद्दपि बाकी अन्य इस बात को ले कर खुश थे कि वहां का सिद्धांत और कानून धर्म निरपेक्ष है और वो वहां बना रहेगा . लेकिन धीरे धीरे जब वहां मुस्लिम आबादी 90% पार हो गयी तो अचानक ही 2015 में धर्मनिरपेक्षता के सभी सिद्धांत अचानक ही टूट गये और राष्ट्रपति के तौर पर इस्लामिक चेहरा याहया ने पद सम्भाला ..आबादी 90% हो जाने के कारण उन्हें प्रचंड जीत मिली और विपक्षी धर्मनिरपेक्ष की जमानत जब्त होने की नौबत आ गयी और वो नाम मात्र के विपक्ष बन कर रह गये .
अचानक ही वहां के राष्ट्रपति ने 11 दिसम्बर 2015 को विधिवत घोषणा कर दी कि अब गाम्बिया कोई सेकुलर मुल्क नहीं बल्कि एक इस्लामिक देश है और सभी को वहां के नियम और कायदे पालन करने होंगे . जो भी इस नियम और कायदे को पालन करेगा उसको उस देश में रहने का अधिकार है . इस फैसले से अचानक ही धर्मनिरपेक्ष बन कर जीने वालों के पैरों तले जमीन खिसक गयी और उन्होंने खुद को ठगा सा पाया . लेकिन तब तक संसद , सरकार . अदालत , फ़ौज . पुलिस सब कुछ राष्ट्रपति के अधीनस्थ था और वहां के लोगों को इस कानून को मानने पर बाध्य होंगा पड़ा .
आज वहां के अल्पसंख्यक हो चुके गैर इस्लामिक लोग मात्र दोयम दर्जे के नागरिक बन कर रह गये हैं जिनका शायद ही कोई ध्यान रखने वाला हो . गाम्बिया के राष्ट्रपति याहया को इस फैसले के लिए किसी भी मानवाधिकार , अन्तराष्ट्रीय अदालत , संयुक्त राष्ट्र , नाटो आदि की सहमित लेने की जरूरत नहीं हुई और अब गाम्बिया एक शुद्ध इस्लामिक मुल्क बन चुका है जहाँ धर्म निरपेक्षता की बात भी करना गुनाह के समान है .
जागो और जगाओ
कुछ वर्षों के बाद भारत मे भी ऐसा ही होने वाला है ।।
#छद्म_धर्म_निरपेक्षता
Hr. deepak raj mirdha
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
www.deepakrajsimple.blogspot.com
www.deepakrajsimple.in
deepakrajsimple@gmail.com
facebook.com/deepakrajsimple
facebook.com/swasthy.katha
twitter.com/@deepakrajsimple
call or whatsapp 8083299134, 7004782073
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
www.deepakrajsimple.blogspot.com
www.deepakrajsimple.in
deepakrajsimple@gmail.com
facebook.com/deepakrajsimple
facebook.com/swasthy.katha
twitter.com/@deepakrajsimple
call or whatsapp 8083299134, 7004782073
Our future
Reviewed by deepakrajsimple
on
January 15, 2018
Rating:
No comments: