डर से जो अंग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है वह हमारी किडनी है। किडनी दो हैं और शरीर में ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। किडनी स्प्लीन को ऊर्जा देती है और उससे पूरे शरीर को ताकत मिलती है। आप का डर इस किडनी को कमजोर करता है और इससे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है आइए एक एक कर देखें।
किडनी के दो हिस्से हैं एक हिस्सा शरीर को ठंडा रखता है दूसरा गर्म करता है। ठंडा रखने वाला हिस्सा शरीर के अंगों का पोषण करता है और नर्म रखने वाला हिस्सा शरीर को ऊर्जा देता है। इसे दो नाम देंगे जो एक्यूप्रेशर में है। ठंडा या गर्म रखने वाला हिस्सा को किडनी यीन कहेंगे और गर्म करने वाले हिस्से को किडनी यांग कहेंगे।
लिखने यह हृदय को पोषण देता है अगर किडनी इन कमजोर हुई तो हृदय को पोषण भी नहीं मिलेगा। और इस से हृदय भी कमजोर होगा जब हार्ट इन कमजोर होता है तो इसमें मौजूद फायर तत्व बढ़ जाता है जिससे नींद ना आना बेचैनी रहना रात को पसीना आना लाल जीभ होना दिखता है।
चित्र लिवर इन को भी किडनी पोषण देता है जब किडनी यह खराब होता है तो लीवर को भी पोषण मिलना बंद हो जाता है और इसमें गर्मी बढ़ जाती है जिससे लीवर यांग फायर रेंज कहते हैं। इससे गुस्सा सर दर्द चक्कर आना और हाई ब्लड प्रेशर जैसे लक्षण दिखते हैं।
इसी तरह किडनी यिन लंग को भी नरेशमेट देता है । किडनी लंग डिफीसेंट होने पर लंग भी डिफीसेंट हो जाते हैं और फिर सुखा सुखा गर्दन सूखी खांसी रात को पसीना और हाथ पैर में गर्म होना यह लक्षण दिखते हैं यह लक्षण लंग यिन डिफीसेंट कहलाते हैं।
इस तरह हमने देखा कि किडनी यह कमजोर होने पर फेफड़े लीवर और हृदय गर्म हो जाते।
जब किडनी का याग फंक्शन कमजोर होता है तो क्या होता है इस पर गौर करते। किडनी फेफड़ों से तरल प्राप्त करता है और ऊर्जा भी प्राप्त करता है इस उर्जा से इस तरल को गर्व करता है और वापस फेफड़ों को भेजता है यह किडनी का स्टीम फंक्शन भी कहलाता है। जब किडनी यांग कमजोर होता है तो यह फंक्शन भी कम हो जाता है। तब सरल गर्म नहीं हो पाता है और शरीर के निचले हिस्से में जमा हो जाता है जिसे सूजन कहते हैं।
किडनी यांग spleen से मिलने वाले तरल और भोजन का पाचन करती है और उसे गर्म करती है। किडनी या कमजोर होने पर यह प्रक्रिया भी मंद पड़ जाती है जिस कारण भोजन बिना पचे हुए रह जाता है और डायरिया पेट में ठंडापन सूजन और थकान के रूप में यह दिखता है।
किडनी किडनी से जो एसेंस मिलता है उससे पूरे शरीर को काम करने की दिशा मिलती है।
हृदय को पोषण देती है और इससे ह्रदय में मौजूद मन को ऊर्जा मिलती है। जब किडनी का एसेंस कम होता है तो यह उर्जा भी कम हो जाती है और मानसिक समस्या भावनात्मक समस्या स्वाभिमान में कमी और इच्छाशक्ति का भाव के रूप में दिखती है।
इसी किडनी एसेंस से बोन मैरो तैयार होता है और उससे रक्त तयार होता है। किडनी एसेंस की कमी आपको रक्त की कमी में परिवर्तित हो जाती है जिससे चक्कर आना आंखों के सामने अंधेरा देखना कान में झुनझुनाहट बजना यह सभी चीजें दिखती हैं।
कमजोर किडनी से ज्यादा हवा आप नहीं खींच सकते। सन प्रक्रिया प्रभावित होती है और यह अस्थमा छोटी सांस खांसी के रूप में परिवर्तित होती है।
ज्यादा डर और कम डर दोनों ही नुकसान दे हैं और इस पूरी प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं आप एक लाइन बना लें जो डिसिप्लिन और डर के बीच है। अनुशासन में रहें परंतु कभी डरे नहीं अगर जीवन में यह नियम बना लें इन सभी बीमारियों से आप बच सकते हैं और अगर कोई बीमारी आई है तो आप ऊपर दिए गए pattern को देखकर बीमारी का कारण जान सकते हैं।
Hr. deepak raj mirdha
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
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डर का शरीर पर प्रभाव
Reviewed by deepakrajsimple
on
January 08, 2018
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