राजीव दीक्षित जी वाटर थिरेपी
यह लेख आपके जीवन के लिए बेहद उपयोगी है अगर इसेआपने समझ लिया तो आप अपने विमारियों के कारणों को
आसानी से जान पाएंगे ।
सन 2007 में डाक्टर हिरेन पटेल को 24 घंटे हमेशा थोडा-
थोडा बुखार रहता था , जो कि थर्मामीटर में नहीं आता
था लेकिन इससे उनका वजन कम होने लगा । उन्होंने भारत
के अनेक बड़े-बड़े डाक्टरों को दिखाया और टेस्ट कराया
लेकिन उनकी इस वीमारी को कोई डाक्टर पकड़
( Diagnos) नहीं पाया , कोई डाक्टर लीवर कैंसर तो
कोई ल्यूकोमा तो कोई HIV+ आदि-आदि की शंका व्यक्त
करते थे । लिहाजा उनकी रातों की नींद गायब हो गयी।
अंत में ईश्वर की शरण में गए जहाँ उन्हें आभास हुआ कि
आप अमृत का सेवन कीजिये । अब अमृत मिले कहाँ से ? तो
उन्होंने अनेक वैदिक ग्रंथों को पढ़ा और उन्हें वहां " अमृत"
का तात्पर्य समझ में आया ।
* अमृत दो शब्दों से बना है । आम + रीत ,
आम = सामान्य , रीत = तरीका ( practice)
यानि पानी पीने का सही तरीका ( Travelent Practice
of Drinking Water ) भारत में एक कमी है कि हमारे
ऋषियों ने जिन तरीको को प्रमाणित करके सिद्द कर रखा
है भारत में उस पर खोज नहीं करते, जबकि विदेशों में हर
दवाइयों पर Documentation है । हमारे यहाँ माउथ ऑफ़
डॉक्यूमेंटेशन है इस कारण शब्द का मूल अर्थ विलुप्त हो
जाता है ।
- यदि शरीर को समझना है तो ब्रह्माण्ड को समझना
जरुरी है , पृथ्वी पर 73% जल है उसी प्रकार हमारे शरीर
में भी 73% जल है । यदि हमारी सारी हड्डियों व
मांसपेशियों को निचोड़ा जाए तो 27% स्थूल है ।
- हम जो भी खाते-पीते है वह पानी के माध्यम से शरीर
में जाता है पानी का प्रारूप शरीर में रक्त है।
पानी रक्त में घुलकर शरीर के अंगों को पोषकता प्रदान
करता है । हम जो पानी पीते है उसका रासायनिक विघटन
होता है। जैसे हाइड्रोजन व आक्सीजन ।
शरीर में जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक होता है वह साँस से होता
है, जिसे प्राणवायु ( Oxigen) कहते है ।
- यह शरीर हमें अपने माँ-बाप से मिला है , इसीलिए हमारा
डीएनए हमारे माँ-वाप से , पूर्वजों से मिलता है, एक अणु
से हमारा शरीर कैसे बना ? This is a science of DNA .
यदि हमारे डीएनए में विकृति होगी तो हमें जन्मजात रोग
पैदा होते ही शुरू हो जायेंगे।
- हमारे शरीर में तीन रचना है १. ओक्सीजन को फैलाना
२. भोजन करना व पचाना ३. विजातीय तत्व (Wastage)
को बाहर करना । हमारे शरीर में दो तरह का wastage है
।१. Water Soluble २. Non water Soluble जिसे लीवर
प्रोसेस करके बाहर निकालता है, तथा किडनी मूत्र के
द्वारा प्रोसेस करके शरीर से बाहर निकालती है । अब
जरा सोचें ! जो शरीर हमें हमारे माँ-बाप से मिला है उसे
क्यूँ Soluble Processing की आदत होगी ?
- हमारे शरीर को Soluble Process करने का तरीका
हमारे DNA में हमारे माँ-बाप से मिला । तो क्या हमारे
माँ-बाप कोल्ड ड्रिंक्स पीते थे ? यूरिया , रासायनिक
खाद खाते थे ? डाई लगाते थे ? चाय-काफी पीते थे ?
जंक फूड खाते थे ? नहीं ना ! तो फिर आपके लीवर व
किडनी को क्यूँ उन चीजों को प्रोसेस करने की आदत
होनी चाहिए । हो सकता है हमारी आने वाली पीड़ी इन्हें
प्रोसेस कर पायें लेकिन अभी से कुछ कहना मुश्किल है ।
* * हमारी 90 % विमारियां हमारे शरीर से Wastage ना
निकलने के कारण होती है। हमारा मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ़
वेस्टेज प्रोसेस को बिगाड़ा किसने ? खुद हमने
- आज मेडिकल साइंस मानवता से दूर होता जा रहा है
इनका उद्देश्य सिर्फ पैसे कमाना है , जिस चीज की कीमत
1000 रुपये है यह फर्मासिस्टकल कम्पनियाँ उसे अस्पताल
को 20 हजार में बेचती है और वह अस्पताल उसी सामान
के 1.5 से 2 लाख रूपये आपसे वसूलती है कितना अधिक
प्रॉफिट मार्जिन है ? ? ये फर्मासिस्टूकल कम्पनियाँ
डाक्टरों को मोटे-मोटे गिफ्ट और विदेशी दौरों का पूरा
खर्च खुद उठाती है।
* => हमारे शरीर में 73% पानी है और सारे ओर्गन्स पानी
में तैरते स्पांज जैसे है यदि स्पांज से पानी निकाल दें तो वह
सूख जायेगा, निष्क्रिय हो जायेगा और काम करना बंद
कर देगा । हमारे शरीर में जब भी पानी की कमी होती है
तो शरीर सबसे पहले बेन व हार्ट को बचाने का प्रयास
करता है । शरीर ब्रेन व हार्ट को पानी की कमी नहीं
होने देगा उसके लिए वह दूसरे अंगों से पानी को अवशोषित
करके ब्रेन व हार्ट को देगा , अब मान लीजिये आपके शरीर
में पानी की कमी हो गयी तो शरीर ने आपके पेनक्रियाज
से पानी खींच लिया और हार्ट को दे दिया तो क्या
होगा ? आपका पेनक्रियाज सूख जायेगा यदि यही क्रिया
निरंतर चलती रही तो धीरे-धीरे पेनक्रियाज काम करना
बंद कर देगा और काम बंद करते ही इन्सुलिन बनना बंद हो
जायेगा और आपको डायबटीज हो जायेगा। शरीर के
अन्दर जब भी पानी की कमी होती है शरीर Defective
होना शुरू हो जाता है । ब्रेन व हार्ट का पानी सबसे अंत
में सूखता है ।
- - शरीर में जब पानी की कमी हो जाती है तो शरीर
का wastage नहीं निकलता है वह धीरे-धीरे शरीर में जमा
होने लगता है, फिर वह अल्सर का रूप लेता है , फिर टयुमर ,
फिर कैंसर का रूप ले लेता है । यानि " कैंसर का मूल " शरीर
से wastage का ना निकलना है।
* डा. फरीदुल बेटमिन गिलीज एक इजराइली वैज्ञानिक थे
, जिन्हें नोबल पुस्कार के लिए चुना गया लेकिन इन
फर्मास्विटिकल कंपनियों ने षड्यंत्र करके उन्हें रोक दिया ।
स्पस्टवादी विचारधारा होने के कारण एक बार उन्होंने
कुछ बोल दिया होगा तो इजराइल की सरकार ने उन्हें जेल
में डाल दिया जहाँ उन्होंने 3000 मरीजों को तीन साल में
ठीक किया और वहां पर वाटर थिरेपी के ऊपर एक किताब
लिखी " Your Body Many Crises " यह दुनिया के अनेक
देशों में प्रतिबंधित है। भारत में भी प्रतिबंधित है यदि आपके
कोई रिश्तेदार विदेश में रहते है तो आप उनसे यह किताब
मंगवाकर पढ़िए एनाजोन डॉट कॉम । इन्होने अनेक
विमारियों को एनालाइज करके लिखा है ।
- हमारे शरीर में 90% विमारी पानी की कमी के कारण
होता है । शरीर के सारे विजातीय तत्व पानी पीने से
निकल जाते है। ज्यादा पानी पीने से भी शरीर में सूजन
हो जाती है आइये कुछ विमारियों के द्वारा आपको वाटर
थिरेपी के विषय में समझाने का प्रयास करते है ।
** ईश्वर ने शरीर से wastage निकलने के लिए मल-मूत्र-
पसीना (स्वेद), छींक , पाद आदि प्रारूप दिए हैं ।
=> अस्थमा :- अस्थमा में आदमी साँस नहीं ले पाता है
डाक्टर से पूंछो तो कहेंगे कि कैप्लरी में ब्लोकेज है, लेकिन
जब पूंछो कि अस्थमा होता क्यों है ? तो डाक्टर कहेंगे
श्वांस नलिका में सूजन के कारण , या इन्फेशन के कारण ?
अब प्रश्न उठता है कि फिर सबकी श्वांस नलिका में सूजन
क्यों नहीं होता है ?
जब फेफड़ा पम्प करता है तो उसे पानी की ज्यादा जरुरत
होती है लेकिन शरीर में पानी की कमी है तब ? शरीर
फेफड़े का पानी खींचकर हार्ट व ब्रेन को बचाएगा उस
समय फेफड़ों में पानी की कमी के कारण कैप्लरी में "
स्टामिन " बनेगा अर्थात सूजन होगा । स्टामिन मनुष्य का
दुश्मन नहीं है , शरीर स्टामिन बनाती है तो उसका कारण
है। मान लीजिये शरीर में पानी की कमी हो जाये तो
फेफड़ा सारा पानी खींच लेगा तो उस स्थति में हार्ट व
ब्रेन को पानी नहीं मिलेगा लिहाजा हार्ट व ब्रेन ख़राब
हो जायेगा ।
1% दवाइयां स्टामिन मैनेजमेंट सिस्टम की है। जब डाक्टर
स्प्रे व नोसल ड्राप देते है तो जरा सोचिये वह क्या करता
है ? ? वह force fully स्टामिन के ब्लोकेज को खोलने का
प्रयास करेगा अब ऐसी स्थति में जब शरीर में पानी की
कमी है तो फेफड़ा और सूख जाएगा अतः आपकी दवाओं
का डोस बढ़ा दिया जायेगा और एक समय बाद डाक्टर
कहेगा आपको दवाइयां असर नहीं कर रही है लिहाजा
आपको आर्टिफिशयल कैप्लरी सर्जरी के द्वारा लगवानी
पड़ेगी। यह समस्या फिर आएगी तब डाक्टर कहेगा इन्हें घर
ले जाइये अब इन्हें दुवाओं की जरुरत है। यानि हम अपने
पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार रहे है ।
=> ब्लड -प्रेशर :- एक व्यक्ति जब तक मरता है तब तक
2.5 लाख की ब्लड-प्रेशर की दवाइयां खा लेता है। याद
रखें " जो दवाई आपको पूरी जिन्दगी लेनी पड़े वह दवाई
नहीं बल्कि आपके भोजन का हिस्सा है " । ब्लड-प्रेशर का
मुख्य कारण "हाइपर टेंशन" है हाइपर टेंशन यानि क्या ?
यानि आपका दिमाग हमेशा गर्म रहेगा । वह
Electromagnetic Wave निकालता है तो ब्रेन में सेंसेसन
चक-चक-चक करता रहता है। यदि Electromagnetic
Wave बढ़ जाता है तो दिमाग गर्म हो जायेगा तब उसे
पानी की ज्यादा जरुरत पड़ेगी । ऐसी स्थति में शरीर को
तो ब्रेन को बचाना है इस कारण शरीर तेजी से ब्रेन को
पानी पहुँचाने की कोशिश करेगा वही स्पीड बढ़ते ही
हाई-ब्लड-प्रेशर शुरू हो जायेगा। यदि दिमाग ठंडा होगा
तो उसे पानी की जरुरत नहीं होगी , यदि दिमाग को पानी
की जरुरत नहीं होगी तो ब्लड-प्रेशर नहीं बढेगा ।
** ब्लड-प्रेशर के रोगी नहाने के पहले 150 ml पानी को
पियें , भोजन के पहले व भोजन के बाद पेशाब करें । इससे
धीरे-धीरे BP सामान्य हो जायेगा।
=> डाइबटीज ( शुगर ) :- हमारे शरीर में एक अंग है
पेनक्रियाज जो इन्सुलिन बनाता है जो कि हमारे रक्त के
अन्दर मौजूद ब्लड-शुगर को use करता है शरीर में जब
ग्लूकोस पचता नहीं है तो शुगर बढ़ जाता है ग्लूकोस ,
इन्सुलिन ना बनने के कारण पचता नहीं है और इन्सुलिन जब
शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो शरीर पेनक्रियाज
से पानी खींचकर हार्ट व ब्रेन को बचाता है ऐसा बार-
बार होने पर पेनक्रियाज निष्क्रिय हो जाता है और
इन्सुलिन नहीं बनाता है , लिहाजा ब्लड के अन्दर शुगर की
मात्रा बढ़ जाती है और हमें शुगर हो जाता है । फिर हम
बाहर से आर्टिफिशियल इन्सुलिन की गोली लेते है , इससे
ब्लड-शुगर अवशोषित होगा तब फिर हमें पानी की जरूरत
पड़ेगी और शरीर में पानी की कमी के कारण पेनक्रियाज
में स्टामिन बनेगा यानि सूजन आएगी फिर हम इन्सुलिन की
गोली व गोली से इंजेक्शन की तरफ जायेंगे। शुरुआत गोली
से करते हैं और ख़त्म हाई डोस इंजेक्शन पर करते है ।
इसी पानी की चिकित्सा से थर्ड स्टेज कैंसर और
पैरालिसिस भी ठीक हुआ है ।
आइये अब हम पानी पीने के तरीकों की बात करते है ।
* => सुबह उठते ही सवा लीटर पानी पीजिये क्योकि
हमारे आमाशय की कैपिसिटी 600 मिली है यदि इसको
जबरदस्ती फैलाया जाए तो लगभग तीन लीटर पानी आ
सकता है अब आप 600 ml का दूना कर लीजिये यानि
सवा लीटर पानी विना कुल्ला किये बैठकर पीजिये । जब
आप पानी पियेंगे तो आमाशय से हवा निकलेगी और पानी
को focefully यूरिन ट्रैप से किडनी द्वारा या डाइजेस्टिव
ट्रैप से पानी निकाला जायेगा इस कारण सारा कचरा मल
व पेशाब के रास्ते साफ हो जायेगा सारे विजातीय तत्व
बाहर निकल जायेंगें । जब wastage निकल जायेगा तो
आपको विमारियां नहीं होंगी ।
- => हमारे शरीर में कोलन है आँतों के पीछे का हिस्सा
जिसमे हेपेटाइटस -H जो कि शरीर के बचे निष्क्रिय
कोशिकाओं को पेशाब व मल के द्वारा बाहर निकाल देता
है। इसका कार्य पुरुष में वीर्य व औरतों में अंडे बनाने का
कार्य करता है ।
-*- 15 वर्ष से ऊपर के सभी बच्चे 600 ml से ज्यादा
पानी पी सकते है । जिन्हें आदत नहीं है वो 100 ml प्रति
सप्ताह बढ़ाते जाएँ दो-तीन माह में वो भी सवा लीटर
पानी आसानी से पी सकते है । पानी पीने के एक घंटे पहले
व बाद में कुछ भी ना खाएं ना-पीये , अन्यथा वह पाचन
में जायेगा जबकि आपने पानी पिया है wastage को
निकालने के लिए ।
*- भोजन के एक घंटे बाद ही जल का सेवन करें ।
*- जिन्हें गैस या एसिडिटी है वह भोजन के आधे घंटे पहले
150 ml पानी पियें ।
*- जो सोने से पहले 150 ml पानी पीकर सोते है उन्हें
हार्ट व लकवा की शिकायत जल्द नहीं होती है ।
*=> ध्यान दें :- मोटापा , कफ प्रवृति , जोड़ों के दर्द ,
न्योरिजिकल डिसीज जैसे लकवा , लाइजमर, पार्किसेन्स,
वाले ही सुबह गर्म पानी पियें बाकि सारे लोग सामान्य
पानी पियें ।
**=> पानी ना पियें :- जिन्हें पानी पीने के बाद हाथ-पैरों
व चहरे पर सूजन आती हो , नाक से पानी गिरता हो, छींक
आती हो, चक्कर आते हों , किडनी की समस्या हो वो
लोग सुबह का पानी ना पियें ।
** गर्भवती महिलाएं को 500 ml से कम पानी ( room
tem के बराबर ) पीना चाहिए
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