नमक
१. आयोडीन युक्त नमक में सोडियम क्लोराइड की मात्रा लगभग ९७ प्रतिशत होती है हमारी शरीर में रक्त सोडियम क्लोराइड के पीछे पीछे चलता है जबकि सेंधा नमक में सोडियम क्लोराइड की मात्रा ८५ प्रतिशत होती है इसलिए आयोडीन युक्त नमक में सोडियम क्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण रक्त चाप अधिक रहता है २. आयोडीन युक्त नमक में २.५ % मनुष्यों द्वारा मिलिये गए हानिकारक रसायन (केमिकल ) होते हैं जैसे के सल्फर जो के समुद्री नमक का परिशोधन (साफ ) करने के लिए मिलाया जाता है सल्फर युक्त नमक जब हम खाते हैं तो जल के संपर्क में आने के कारण सुल्फुरिक एसिड में परिवर्त्तित (change ) हो जाता है इसतरह हमारे पेट में अम्ल ( एसिड ) बन जाता है .ये अम्ल जब हमारे रक्त में मिल जाता है तो हमारा रक्त चाप बढ़ जाता . आयोडीन नमक के अतिरिक्त्त सल्फर को चीनी के परिशोधन के लिए प्रयोग किया जाता है इसलिए चीनी के स्थान पर रसायन रहित गुड का प्रयोग करना चाहिए . रक्त चाप बढ़ाने के अतिरिक्त हमारे शरीर में ये सल्फर सभी प्रकार के अम्ल जैसे juric एसिड आदि बनने का कारण है . जिस किसी को उच्च रक्त चाप होगा उनका जुरिक एसिड भी अधिक होगा . जब ये अम्ल युक्त रक्त हमें शरीर विभिन्न अंगों में पहुँचता है तो वहां पर पीड़ा होने लगती है . जब ये अम्ल हमारे घुटनो या गर्दन इत्यादि में पहुँचता है तो जोड़ों में उपस्थित चिकनाई ( grease ) को ख़तम कर देता जिससे sarvical या अर्थरिट्स इत्यादि . इसके विपरीत सेंधा नमक में कोई भी हानिकारक रसायन नहीं मिलाया जाता . आप स्वयं सेंधा नमक को घर में पीस सकते हैं ३. आयोडीन युक्त नमक में नमक ना जमे इसके लिए भी free flowing agents या एंटी caking agents मिलाये जाते है जिस कारण नमक का विशेष गुण जिस कारण वो पानी में घुल जाता है वो गायब हो जाता जब ये free flowing agent युक्त नमक शरीर में पहुँचता है तो रक्त में घुलने के स्थान पर ये शरीर को हानि पहुँचता है ४. सेंधा नमक 84 शरीर के किये आवश्यक खनिज पदार्थ ( मिनरल) होते हैं जोके आयोडीन नमक में नहीं होते . इसके अतिरिक्त्त सेंधा नमक में मैग्नीशियम होता जो के हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है ५. सेंधा नमक विदेशो में लगभग ६०० रूपए किलो से लेकर ३००० रूपए किलो तक मिलता है और हमारे भारत में ७ रूपए किलो में उपल्बध है , आयुर्वेद की हर औषधि में सेंधा नमक पड़ता है . ६. हमारे भारत में हिमाचल प्रदेश के लाहौल सभीति जिले को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में आयोडीन जल में मौजूद है परन्तु बड़ी नमक कम्पनीयो को लाभ पहुचने के लिए सरकार ने गैर आयोडीन युक्त नमक पर रोक लगा रखी है ७. प्रचीन भारत में समुंदरी नमक कोई नहीं खाता था इसलिए किसी का रक्तचाप नहीं बढ़ता था . ये अंग्रेजी डॉक्टर पहले हमें बीमारी देते है उसके बाद बीमारी को ठीक करने का ढोंग करते है बात कैंसर की करते हैं इनसे BP ठीक होता नहीं . अंगेरजी डॉक्टरों से बचे , आयुर्वेद अपनये . अपनी संस्कृति अपनये सेंधा नमक कितना फायदेमंद है जानिए – प्रसिद्धा वैज्ञानिक और समाज सेवी राजीव भाई दीक्षित का कहना है की समुद्री नमक तो अपने आप मे बहुत खतरनाक है लेकिन उसमे आयोडिन नमक मिलाकर उसे और जहरीला बना दिया जाता है ,आयोडिन की शरीर मे मे अधिक मात्र जाने से नपुंसकता जैसा गंभीर रोग हो जाना मामूली बात है प्रकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद हम सब घटिया किस्म का आयोडिन मिला हुआ समुद्री नमक खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे , पर यह एक हकीकत है । नमक विशेषज्ञ एन के भारद्वाज का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है जो की शरीर के लिए हानिकारक और जहर के समान है ।उत्तम प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है । प्रख्यात वैद्य मुकेश पानेरी कहते है कि आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप ,डाइबिटीज़,लकवा आदि गंभीर बीमारियो का भय रहता है । इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है । इसकी शुद्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है । ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था। भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है ,उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है। यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है । सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है। यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है । दस्त, कृमिजन्य रोगो और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है । सेंधा नमक के विशिष्ठ योग हिंगाष्ठक चूर्ण, लवण भास्कर और शंखवटी इसके कुछ विशिष्ठ योग हैं ।मित्रो आपके रसोई घर से जो ============================================================ पशुओं के खाने योग्य अपशिष्ट (wastage) निकलती है जैसी बची हुई सब्जी , चायपती, रोटी इत्यादि इनको प्लास्टिक के लिफाफे मे डालने की जगह एक अलग डस्टबीन में डालें और इस डस्टबीन को ऐसी जगह डालें जहां पर आवारा पशु आते जाते हो . जिसको ख़ाकर ये भूखे पशु अपनी भूख शांत कर सकते हैं इसके निम्नलिखित लाभ है 1. पशुओं के पेट मे हानिकारक प्लास्टिक नही जायेगा 2. आपके घर के कुडेदान से दूर्गध नही आयेगी 3. देश को साफसुथरा रखने मे मदद मिलेगी ==========================================================
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