प्रश्न 1 .) गाय क्या है ?
उत्तर 1. ) गाय ब्रह्मांड के संचालक सूर्य नारायण
की सीधी प्रतिनिधि है | इसका अवतरण पृथ्वी पर इसलिए हुआ है ताकि पृथ्वी की प्रकृति का संतुलन बना रहे | पृथ्वी पर जितनी भी योनियाँ है सबका पालन - पोषण होता रहे | इसे विस्तृत में समझने के लिए ऋगवेद के 28 वें
अध्याय को पढ़ा जा सकता है |
प्रश्न 2. ) गौमाता और विदेशी काऊ
में अंतर कैसे पहचाने?
उत्तर 2 .) गौमाता एवं विदेशी काऊ
में अंतर पहचानना बहुत ही सरल है |
सबसे पहला अंतर होता है
गौमाता का कंधा (अर्थात
गौमाता की पीठ पर ऊपर की और उठा हुआ
कुबड़ जिसमें सूर्यकेतु
नाड़ी होती है ), विदेशी काऊ में यह
नहीं होता है एवं उसकी पीठ सपाट
होती है | दूसरा अंतर होता है
गौमाता के गले के नीचे
की त्वचा जो बहुत ही झूलती हुई
होती है जबकि विदेशी काऊ के गले के
नीचे की त्वचा झूलती हुई ना होकर
सामान्य एवं कसीली होती है |
तीसरा अंतर होता है गौमाता के सिंग
जो कि सामान्य से लेकर काफी बड़े
आकार के होते है जबकि विदेशी काऊ
के सिंग होते ही नहीं है या फिर
बहुत छोटे होते है | चौथा अंतर
होता है गौमाता कि त्वचा का अर्थात
गौमाता कि त्वचा फैली हुई, ढीली एवं
अतिसंवेदनशील होती है
जबकि विदेशी काऊ
की त्वचा काफी संकुचित एवं कम
संवेदनशील होती है |
प्रश्न 3.) वैज्ञानिक दृष्टि से
गाय की परिक्रमा करने पर मानव शरीर
एवं मस्तिष्क पर क्या प्रभाव एवं
लाभ है ?
उत्तर 3.) सृष्टि के निर्माण में
जो 32 मूल तत्व घटक के रूप में है वे
सारे के सारे गाय के शरीर में
विध्यमान है | अतः गाय
की परिक्रमा करना अर्थात
पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करना है |
गाय जो श्वास छोड़ती है वह वायु
एंटी- वाइरस है | गाय
द्वारा छोड़ी गयी श्वास से
सभी अदृश्य एवं हानिकारक
बैक्टेरिया मर जाते है | गाय के
शरीर से सतत एक दैवीय
ऊर्जा निकलती रहती है जो मनुष्य
शरीर के लिए बहुत लाभकारी है |
यही कारण है कि गाय
की परिक्रमा करने को अति शुभ
माना गया है |
उत्तर 1. ) गाय ब्रह्मांड के संचालक सूर्य नारायण
की सीधी प्रतिनिधि है | इसका अवतरण पृथ्वी पर इसलिए हुआ है ताकि पृथ्वी की प्रकृति का संतुलन बना रहे | पृथ्वी पर जितनी भी योनियाँ है सबका पालन - पोषण होता रहे | इसे विस्तृत में समझने के लिए ऋगवेद के 28 वें
अध्याय को पढ़ा जा सकता है |
प्रश्न 2. ) गौमाता और विदेशी काऊ
में अंतर कैसे पहचाने?
उत्तर 2 .) गौमाता एवं विदेशी काऊ
में अंतर पहचानना बहुत ही सरल है |
सबसे पहला अंतर होता है
गौमाता का कंधा (अर्थात
गौमाता की पीठ पर ऊपर की और उठा हुआ
कुबड़ जिसमें सूर्यकेतु
नाड़ी होती है ), विदेशी काऊ में यह
नहीं होता है एवं उसकी पीठ सपाट
होती है | दूसरा अंतर होता है
गौमाता के गले के नीचे
की त्वचा जो बहुत ही झूलती हुई
होती है जबकि विदेशी काऊ के गले के
नीचे की त्वचा झूलती हुई ना होकर
सामान्य एवं कसीली होती है |
तीसरा अंतर होता है गौमाता के सिंग
जो कि सामान्य से लेकर काफी बड़े
आकार के होते है जबकि विदेशी काऊ
के सिंग होते ही नहीं है या फिर
बहुत छोटे होते है | चौथा अंतर
होता है गौमाता कि त्वचा का अर्थात
गौमाता कि त्वचा फैली हुई, ढीली एवं
अतिसंवेदनशील होती है
जबकि विदेशी काऊ
की त्वचा काफी संकुचित एवं कम
संवेदनशील होती है |
प्रश्न 3.) वैज्ञानिक दृष्टि से
गाय की परिक्रमा करने पर मानव शरीर
एवं मस्तिष्क पर क्या प्रभाव एवं
लाभ है ?
उत्तर 3.) सृष्टि के निर्माण में
जो 32 मूल तत्व घटक के रूप में है वे
सारे के सारे गाय के शरीर में
विध्यमान है | अतः गाय
की परिक्रमा करना अर्थात
पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करना है |
गाय जो श्वास छोड़ती है वह वायु
एंटी- वाइरस है | गाय
द्वारा छोड़ी गयी श्वास से
सभी अदृश्य एवं हानिकारक
बैक्टेरिया मर जाते है | गाय के
शरीर से सतत एक दैवीय
ऊर्जा निकलती रहती है जो मनुष्य
शरीर के लिए बहुत लाभकारी है |
यही कारण है कि गाय
की परिक्रमा करने को अति शुभ
माना गया है |
No comments: