भारतीय इतिहास या विश्व इतिहास के ३ मुख्य काल हैं। ३१००० ई.पू. के जल प्रलय के पूर्व बहुत कम ज्ञात है। मणिजा सभ्यता थी जो खनिज निकालते थे। इनके ४ मुख्य वर्ण थे-साध्य, महाराजिक, आभास्वर, तुषित (वायु पुराण, अध्याय ३१)। साध्यों में मनुष्य ब्रह्मा हुये जिन्होंने ६ प्रकार की लिपि (दर्श-वाक्) तथा ६ दर्शन किया जो पुराने १० वादों का समन्वय था (नासदीय सूक्त)। इसके बाद २९१०० ई.पू. में स्वायम्भुव मनु से वर्तमान सभ्यता शुरु हुयी, जिसका उल्लेख ब्रह्माण्ड पुराण में है। १७५०० ई.पू. कश्यप काल में ३ मुख्य सभ्यतायें थीं, देव, असुर, मनुष्य। देव सभ्यता के ३ मुख्य क्षेत्र या इन्द्र के ३ लोक रूस (ऋषीक), चीन (मध्यम लोक), भारत थे। असुरों का मुख्य केन्द्र उत्तर-दक्षिण अमेरिका था। उत्तर अफ्रीका तथा पश्चिम एशिया और पश्चिम यूरोप पर भी अधिकार किया था। यूरोप के पश्चिम में दैत्य (डच, ड्यूट्श) तथा पूर्व में दानव (डैन्यूब) थे। हिरण्याक्ष दक्षिण अमेरिका (रसातल, पुष्कर द्वीप) का तथा हिरण्यकशिपु उत्तर अफ्रीका (तलातल, कुश द्वीप) का था। शुरु में असुर अधिक शक्तिशाली थे। दुर्गा सप्तशती में भी उनके आक्रमण का प्रतिकार करने के बाद दुर्गा ने कहा कि यदि जीवित रहना चाहते हो तो पाताल चले जाओ। वराह ने आमेजन तट पर हिरण्याक्ष को मारा। उसके बाद नृसिंह ने मिस्र में हिरण्य कशिपु को मारा। वामन विष्णु ने अरब के काबा (काव्य = शुक्राचार्य) में बलि से इन्द्र के ३ लोक वापस लिये। उसके बाद कार्त्तिकेय ने १५८०० ई.पू. में असुरों को पराजित कर क्रौञ्च द्वीप (उत्तर अमेरिका पर अधिकार किया। महाभारत वन पर्व (२३०/८-१०) के अनुसार उस समय उत्तरी ध्रुव अभिजित से दूर हट गया था तथा धनिष्ठा से वर्षा तथा वर्ष आरम्ब हुआ। इसका उल्लेख ग्रीक लेखकों ने भी किया है कि भारत नेवलम्बी होने के कारण पिछले १५००० वर्षों में (सिकन्दर आक्रमन से १५,५०० वर्ष पूर्व कार्त्तिकेय) किसी देश पर आक्रमण नहीं किया है।
१३९०२ ई.पू. में वैवस्वत मनु, ११००० ई.पू. में वैवस्वत यम तथा उसके बाद १०,००० ई.पू. में जल प्रलय हुआ। ९५०० ई.पू. में ऋषभ देव ८५७५ ई.पू. में इक्ष्वाकु से पुनः वैवस्वत मनु परम्परा में शासन शुरु हुआ। उसकी ३५ वीं पीढ़ी में सूर्यवंश का राजा बाहु डायोनिसस या बाक्कस के आक्रमण में ६७७७ ई.पू. में मारा गया। इसके ६४५१ वर्ष बाद भारतीय राजाओं की १५४वीं पीढ़ी में गुप्तवंश के आरम्भ के समय सिकन्दर का आक्रमण हुआ। महाभारत के बाद तीसरा युग हुआ। वेदों में कई स्थानों पर लिखा है कि ३ युग पूर्व देवों ने ओषधि बनाई थी।
साभार :- श्री अरुण उपाध्याय जी
महाभारत-युद्ध भारतीय कालगणनानुसार 3139-'38 ईसापूर्व में कुरुक्षेत्र की भूमि पर लड़ा गया था. विद्वानों में जिज्ञासा है कि इस युद्ध में कितने योद्धा मारे गए थे. महाभारत के स्त्रीपर्व के २६वे अध्याय में इस सम्बन्ध में विवरण प्राप्त होता है. इसमें महाभारत के वाचक महर्षि वैशम्पायन ने धृतराष्ट्र के द्वारा युधिष्ठिर से पूछा है कि इस महायुद्ध में कितने योद्धा मारे गए हैं, उनकी संख्या बताओ. इसपर युधिष्ठिर ने उन्हें बताया कि इस युद्ध में 1 अरब, 66 करोड़, 20 हजार योद्धा मारे गए हैं. इसके पश्चात युधिष्ठिर ने उन्हें यह भी बताया कि इनके अतिरिक्त 24,165 योद्धा लापता हैं.
इस तथ्य से प्राचीन भारत में राजाओं की समर-नीति का पता चलता है कि कैसे सैनिकों की संख्या का विवरण रखा जाता था.
लापता हुए उन कुरु-योद्धाओं का क्या हुआ ? उपर्युक्त तथ्य से यह भी अनुमान लगता है कि लापता हुए 24,165 योद्धा (कौरव-पक्ष के) कुरुवंशीय योद्धा रहे होंगे जो पांडवों के भय से भारतवर्ष की मुख्य भूमि से बाहर भाग गये होंगे. इनमें अधिकांश शैवपंथी थे. यही कुरु-योद्धा यूनान, रोम, मिस्र, अरब आदि देशों में जाकर मिलते-जुलते नामों से जाने जा रहे हैं और भारतीय मूल के सिद्ध हो रहे हैं. इन्हीं कुरुओं की एक शाखा अरब जाकर "कुरैश" या "कुरैशी" हो गयी और शिव-पूजा करने लगी. इस्लाम के संस्थापक मुहम्मद साहब (570-632) का जन्म इसी "कुरैश" वंश में हुआ था.
इस तथ्य से तत्कालीन भारतवर्ष की जनसंख्या के बारे में भी जानकारी मिलती है कि अपने देश की जनसंख्या उस समय काफी बड़ी-चढ़ी थी; क्योंकि महाभारत-युद्ध में केवल योद्धाओं ने ही भाग लिया था, प्रजाजनों ने नहीं, इस दृष्टि से तत्कालीन भारतवर्ष की कुल जनसंख्या कई अरब रही होगी.
साभार गुँजन अग्रवाल
Hr. deepak raj mirdha
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भारतीय इतिहास के काल
Reviewed by deepakrajsimple
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November 09, 2017
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