, हाउ फनी
 
मुस्कुराइये आप पोस्ट पढ़ रहे हैं l 

नोम चोमस्की का नाम सुना है आपने ? अरे वही जिसे लोग सदी के सबसे महानतम बुद्धिजीवियों में से एक गिनते है l और सिंपल कर दूँ , एक एक्टिविस्ट जो कि वियतनाम वॉर का विरोध कर के अमेरिका में एक पब्लिक फीगर बने थे , बाद में उन्होंने इराक वॉर और फिर फिलिस्तीन और इजराएल वॉर में फिलिस्तीन का समर्थन करते हुए , युद्ध का विरोध किया था , भाषा विज्ञानं के ज्ञानी आदमी हैं ये l 

अब मैं बताऊँ कि मैंने हाउ फनी क्यूँ लिखा , एक बार ये इण्डिया आये हुये थे , और गाड़ी से दिल्ली घूम रहे थे , साथ में एक एक्टिविस्ट अरुणा रॉय भी थी , चोमस्की कहते हैं कि मेरे साथ एक रोचक वाकया हुआ , कि मैं जब अरुणा के साथ गाड़ी में घूम रहा था उस समय मैं लगातार खिड़की से बाहर देख रहा था , लेकिन अरुणा खिड़की से बाहर नहीं देख रही थी , मैंने आश्चर्य वयक्त करते हुये , अरुणा से पूछा की तुम खिड़की से बाहर क्यूँ नहीं देख रही हो  , तो अरुणा ने बोला " कि अगर आप भारत में रह रहे हों, तो आप खिड़की से बाहर नहीं देख सकते क्यूंकि अगर आप खिड़की से बाहर देख लेंगे तो "you would rather  commit suicide. It's too horrible. So you just don't look" इसलिय आमतौर पर मैं खिड़की से बाहर नहीं देखती हूँ, फिर चोमस्की कहते हैं कि यह वक्तव्य एक ऐसी महिला ने कहा जिसने अपना पूरा जीवन संघर्षों में बिताया है l 

फिर पता नहीं अरुणा रॉय ने चोमस्की से भारत दुर्दशा की क्या क्या कहानियां बतलाई होगी , बाद में चोमस्की लिखते हैं, कि  " the misery and the oppression are so striking,, much worse than any country I have ever seen. "  अब आप लोग इस विमर्श को समझ सकते हैं कि भारतीय बुद्धिजीवि क्या construct बनाते हैं , जब वो ऐसे बड़े बुद्धिजीवियों के साथ कार में बैठते हैं तो..... मुझे पता नहीं अरुणा रॉय ने  ऐसा क्यूँ किया ? जिससे चोमस्की इतनी आपत्ति जनक बात कह दिये l 

 देखिये ऐसे बहुत सारे उदहारण हैं , ऐसे बहुत सारे नाम हैं , जो कि ऑक्सफ़ोर्ड , हार्वर्ड जा कर बौखला जाते  हैं , उन्हें भारत में भयंकर संघर्षों की स्थिति दिखाने में बहुत मज़ा आता है , मुझे लगता है कि उन्हें इस बात से बहुत सिम्पेथी मिलती होगी,और ढेर सारा चंदा भी ,  चंदे के पैसों से विदेश घूमना और भारत में पहले से तय निष्कर्ष पर किताबें लिखने में उन्हें बहुत अच्छा लगता होगा , हाँ और दूसरी बात कि  उरोप और अमेरिका में थर्ड वर्ल्ड के बारे में लोग ऐसा ही सुनना चाहते होंगे l 

खैर इस विमर्श से अब मुझे यह  समझ आने लगा है कि रोमिला थापर जब भारत को सपेंरों और जादूगरों का देश कही होगी तो कितनी वाह वाही हुई होगी रोमिला थापर की विदेशों में , इन्हीं दो पंक्तियों के कारण ,  रोमिला को ना जाने कितने देशों को घूमने और विश्वविद्यालय केम्पस में मुफ्त की रोटियां तोड़ने को मिल गयी होगी , मेरे पास ऐसे बहुत से उदहारण हैं, कभी दिल करेगा तो लिखूंगा, हालाँकि ऐसे लोगों को वंसी जुलुरी और राजीव मल्होत्रा जबाब दे रहे हैं l लेखन का अंत करता हूँ , कभी लिखूंगा कि आखिर  कैसे  ऐसे विमर्श बना कर विश्वविद्यालय और उसके प्रोफ़ेसर चंदा वसूली  करते हैं , और कैसे माला-मॉल हो जाते हैं l हाँ अगर यह पोस्ट घूमते फीरते अरुणा रॉय जी के पास पहुँच जाये तो मुझे माफ़ कर दीजियेगा दीदी, क्यूंकि दिल्ली कि सड़क घूमते-घूमते जब आप चोमस्की से बतिया रहीं थी तो मैं वहीँ सड़क किनारे मार्निंग वाक कर रहा था, और सुबह की अंगड़ाई लेते हुये एक सुन्दर भारत का हिस्सा था , जो इस देश की राजधानी है l 
Aditya Nath Tiwary
deepak raj mirdha
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
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Reviewed by deepakrajsimple on October 18, 2017 Rating: 5

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