सूर्यकिरण जल चिकित्सा


सूर्यकिरण जल से आप कैसे चिकित्सा करें।
 

प्रस्तुत पोस्ट में जाने कि आप सूर्यकिरणों द्वारा तृप्त-जल से कैसे उपचार करेगे सबसे पहले आपको जिस रंग का सूर्यकिरण जल(Sun Rays Water)तैयार करना है उस रंग की कांच की बोतल में शुद्ध जल भर कर आठ घंटे के लिए सूर्य के प्रकाश में रख दे और जहाँ तक हो सके तो आप इस सूर्य किरण जल की बोतल को किसी सुरक्षित जगह रक्खे ताकि आपके बच्चे बिना रोग के इस जल का सेवन न कर लें।

लगाने वाली दवा तैयार करना-
तेल या ग्लिसरीन आवश्यक रंग वाली बोतल में भरें और30 दिनों तक प्रतिदिन आठ-आठ घंटे तक सूर्य के प्रकाश में रखें।

खाने वाली दवा तैयार करना-
शक्कर,बतासे,मिश्री या होम्योपैथिक इलाज में उपयोग में आने वाली गोली रोग के लक्षण के अनुसार आवश्यक रंग की बोतल या पन्नी (पोलीथिन)में 30 दिन तक आठ-आठ घंटे प्रतिदिन धूप में रखें।

पीड़ित अंग का उपचार-
मरीज के जिस अंग में कष्ट हो उस पर से कपड़े हटाकर आवश्यक रंग का कांच या पन्नी लगाएं(बाकी शरीर को ढक सकते हैं)और प्रतिदिन 20 से 60 मिनट तक सूर्य प्रकाश पड़ने दें।

सूर्यकिरण जल का अन्य रोगों में प्रयोग-


सर्दी-जुकाम-
सर्दी-जुकाम में लाल या नारंगी रंग की बोतल से तैयार पानी दिन में 4 से 6 बार लें-लाल या नारंगी रंग की बोतल का तैयार तेल नाक, गले और सीने पर लगाएं।


सिरदर्द-
सिर दर्द यदि गर्मी के दिनों का सिरदर्द या गर्मी के कारण सिर दर्द हो, चक्कर आता हो तो नीले रंग की बोतल का पानी लें और नीले रंग की बोतल का तेल सिर में लगाएं।
सर्दी के कारण सिर दर्द हो तो लाल या नारंगी रंगकी बोतल का पानी और तेल सिर में लगाएं।

यदि तनाव या चिंता के कारण सिर दर्द हो तो हरे रंगकी बोतल का पानी लें और हरे रंग की बोतल का तेल सिर में लगाएं।

आँखों की समस्या-
आंखों की समस्याएं यदि आंखों में दर्द हो, आंसू आते हों या शीत की वजह से खुजली की समस्या हो तोलाल या नारंगी रंग की बोतल का पानी लें, उसी पानी से आंखें धोएं और लाल रंग के कांच का चश्मा लगाएं।
यदि गर्मी के कारण आंखों में जलन व दर्द हो, तोनीले रंग की बोतल का पानी लें, इसी पानी से आंखें धोएं और नीले रंग के कांच का चश्मा लगाएं।

गर्दन में दर्द-
गर्दन में दर्द, अकड़न, पीठ में दर्द, हाथ में दर्द या सुन्नपन हो तो दर्द वाले भाग पर कांच का लाल रंग का टुकड़ा रखें या लाल रंग की पन्नी लपेटें और इस पर 20 से 60 मिनट तक सूर्य का प्रकाश पड़ने दें तथालाल रंग की बोतल का जल और लाल रंग की बोतल का तेल पीड़ित भाग पर लगाएं और लाल रंग की कालर वाली कमीज उपयोग करें।


कमरदर्द-
कमर में दर्द, उठने बैठने में दिक्कत, अकड़न, या पैर में दर्द हो तो दर्द वाले भाग पर लाल या नारंगी रंगकी पन्नी बांधकर धूप में लेटें, लाल या नारंगी रंग की बोतल का पानी लें और तेल की मालिश करें।

घुटने का दर्द-
घुटना दर्द में घुटने के चारो तरफ लाल पन्नी लपेटें और धूप में बैठे- लाल रंग की बोतल का पानी लें और लाल या नारंगी रंग की बोतल का तेल लगाएं।

जोड़ में मोच-
मोच होने पर किसी भी जोड़ में मोच आने पर नीले रंग की पन्नी से उपचार करें और नीले रंग की बोतल का तेल लगाएं।

गैस या पेट की जलन-
गैस की परेशानी होने पर भूख न लगना, पेट में भारीपन, पेट में जलन, चिड़चिड़ापन, तनाव, आलस्य आदि लक्षण आते है ऐसे में हरे रंग की बोतल का पानी लें और हरे रंग की बोतल के तेल की सिर और पेट पर मालिश करें-हरे रंग की सब्जी और भाजी का अधिक उपयोग करें।


कब्ज या आलस्य-
कब्ज या पेट के अन्य रोगों, आलस्य आदि से मुक्ति के लिए सुबह शाम लाल या नारंगी रंग की और दोपहर को हरे रंग की बोतल का पानी लें और हरे रंग की बोतल का तेल सिर में लगाएं।


भूंख न लगना-
भूख की कमी होने पे लाल या नारंगी रंग की बोतल का पानी लें और हरे रंग की बोतल का तेल सिर में लगाएं।

मुंह में छाले-
मुंह में छाले होने पे नीले रंग की बोतल का पानी लें, इसी पानी से कुल्ला करें, और इसी रंग की बोतल में तैयार ग्लिसरीन को मुंह और जीभ में लगाएं।


लो ब्लड प्रेशर-
निम्न रक्तचाप होने पर लाल या नारंगी रंग की बोतल का पानी ले और लाल रंग की बोतल के तेल की मालिश करें-अचानक रक्तचाप कम होने पर कड़क काॅफी लें।


उच्च रक्तचाप-
उच्च रक्त चाप को नियंत्रित करने के लिए अपनी तासीर के अनुसार नीले या हरे रंग की बोतल का पानी लें।

हृदय की समस्या-
हृदय की समस्या होने पर लाल या नारंगी रंग की बोतल का पानी लें, और उसी रंग के तेल की मालिश सीने और पीठ पर करें।

अनियमित मासिक धर्म-
यदि मासिक स्राव कम आता हो या दो तीन महीने के अंतराल पर आता हो तो लाल रंग की बोतल का पानी लें, निम्न उदर पर या पन्नी के द्वारा लाल प्रकाश से उपचार करें, और लाल या नारंगी रंग के तेल को निम्न उदर पर लगाएं।
यदि मासिक स्राव अधिक आता हो या महीने में दो बार आता हो तो नीले रंग की बोतल का पानी लें, नीले रंग की पन्नी निम्न उदर पर बांधें व बल्ब का प्रकाश(सूर्य का विकल्प)डालें नीले रंग की बोतल का तेल निम्न उदर पर लगाएं।


नामर्दी या नपुंसकता-
पौरुष शक्ति में कमी होने पे लाल रंग की बोतल का पानी लें, लाल रंग का तेल निम्न उदर और गुप्तांग पर लगाएं और सिर में हरे या नीले रंग के तेल की मालिश करें।


मानसिक संताप-
उदासी और भय के लिए नारंगी रंग की बोतल का पानी लें और सिर में नारंगी रंग की बोतल का तेल लगाएं।

गुस्सा या नींद न आना-
चिड़चिड़ापन-गुस्सा- नींद न आना आदि में नीले रंगकी बोतल का पानी लें और उसी रंग की बोतल का तेल सिर में लगाएं।


घमौरियां-
घमौरियां होना गर्मी के दिनों में यह समस्या बहुत आती है तथा इससे मुक्ति के लिए नीले रंग की बोतल का पानी लें और नीले रंग को पीड़ित भाग पर लगाएं।


लू लगना-
लू से बचाव में गर्मियों में नीले या आसमानी रंग का पानी अधिक उपयोग करें।

Hr. deepak raj mirdha
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
www.deepakrajsimple.blogspot.com
www.deepakrajsimple.in
deepakrajsimple@gmail.com
facebook.com/deepakrajsimple
facebook.com/swasthy.katha
twitter.com/@deepakrajsimple
call or whatsapp 8083299134, 7004782073
सूर्यकिरण जल चिकित्सा सूर्यकिरण जल चिकित्सा Reviewed by deepakrajsimple on October 27, 2017 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.