पश्चिम में एक लेखक हुये हैं फ्लोरेंस लिटोर जिन्होंने एक किताब लिखी - 50 पन्नों की एक किताब " The Personalty Plus " . बमुश्किल 50 पन्ने की किताब मगर जादुई । आप अगर उस किताब को जीवन में उतार लें तो सामाजिक साइक्लोजी के मास्टर बन सकते हैं । किताब की थीम ये है कि हर व्यक्ति का एक प्रधान व्यक्तित्व होता है और एक सहायक व्यक्तित्व ।
लिटोर के अनुसार कुल चार तरह के व्यक्तित्व मानवों में पाये जाते हैं --
1-- मैलनकली :-- यह बौद्धिक विश्लेषण करने वाला व्यक्तित्व होता है परंतु इसमें नकारात्मकता सबसे ज्यादा होती है ।
2-- कॉलरिक :-- यह बहुत ही दुर्दमनीय और नेतृत्व करने वाला व्यक्तित्व होता है परंतु यह अतिआत्मविश्वास का शिकार रहते हैं और दूसरे का प्रभुत्व स्वीकार नहीं करते ।
3-- सैंगविन :--- ये बहुत जिंदादिल ,ऊर्जावान , चतुर और लोकप्रिय होते हैं परंतु यह मक्कार हिसाबिया और जल्दी डिप्रेशन में जाने वाले होते हैं ।
4-- फ्लैगमैटिक :-- ये कर्मठ तो होते हैं परंतु हमेशा विश्राम के मोड में रहते हैं और विश्राम के दौरान इनसे काम लेना टेढी खीर है ।
अब इन्हें वैदिक शब्दावली में डाल दें तो इनका अनुवाद क्या होगा ??
जी हाँ--
1-- ब्राह्मण
2-- क्षत्रिय
3-- वैश्य
4--शूद्र
जो बात लिटोर लैटिन भाषा के शब्दों से प्रकट कर रहे हैं वैदिक ऋषि " पुरुष सूक्त " में संस्कृत शब्दों में कह रहे हैं । श्रीमद्भगवद्गीता में कृष्ण इसे और स्पष्ट करते हुये कहते हैं
" मैंने ' गुण - कर्म ' के आधार पर ' चार वर्णों ' को रचा है "
" गुण कर्म " के आधार पर " जन्म " के आधार पर नहीं ।
" वर्ण " ना कि " जाति "
deepak raj mirdha
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
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Reviewed by deepakrajsimple on October 18, 2017 Rating: 5

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